लिंग-सहलग्न गुणों अर्थात् लक्षणों के भेद (Kinds of Sex-linked Characters)
मनुष्य में लिंग निर्धारण के अंतर्गत हमने यह जाना कि मानव में लैंगिक लक्षणों के जीन्स मुख्यतः लिंग गुणसूत्रों में होते हैं, लेकिन लैंगिक विरूपता (sexual dimorphism) इतनी जटिल और व्यापक होती है कि कई ऑटोसोमल जीन्स भी लैंगिक विभेदीकरण को प्रभावित करते हैं। इसी प्रकार, लिंग गुणसूत्रों में, लैंगिक लक्षणों के अलावा, कुछ अन्य, गैरलैंगिक या दैहिक (somatic) लक्षणों के जीन्स भी होते हैं। इन्हीं लक्षणों को लिंग-सहलग्न आनुवंशिक गुण या लक्षण (Sex-Linked Characters) कहते है और इनकी वंशागति को लिंग-सहलग्न वंशागति (sex-linked inheritance)।
इस वंशागति की खोज टी०एच० मॉर्गन (T.H. Morgan, 1910-11) ने ड्रोसोफिला (Drosophila) मक्खी पर किए गए प्रयोगों के द्वारा की थी। मानव में लगभग 120 somatic लक्षण लिंग-सहलग्न पाए गए हैं।
यद्यपि X और Y लिंग गुणसूत्रों की रचना भिन्न होती है फिर भी gametogenesis में, अर्धसूत्री विभाजन के दौरान, इनकी pairing or synapsis होता है। यह pairing अन्य homologous जोड़ियों के गुणसूत्रों के विपरीत, लिंग गुणसूत्रों की पूरी लम्बाई में न होकर इनके एक-एक छोटे से खण्डों के बीच ही होता है। इससे पता चलता है कि ये छोटे खण्ड इनके समजात खण्ड (homologous or pairing segments) होते हैं। तथा बचे हुए खंड इनके अपने अलग-अलग असमजात खण्ड (nonhomologous or differential segments) होते हैं।
Read more - लिंग निर्धारण (Sex Determination) किसे कहते हैं?
इसी वर्णन के अनुसार, लिंग-सहलग्न लक्षणों को हम तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं-
- X-सहलग्न (X-linked) गुण
- Y-सहलग्न (Y-linked) गुण
- XY-सहलग्न (XY-linked) गुण
(A) X-सहलग्न (X-linked) गुण : इन लक्षणों के जीन्स X गुणसूत्र के असमजात (nonhomologous) खण्ड पर के होते हैं तथा साथी Y गुणसूत्र पर इन जीन्स के ऐलील (alleles) नहीं होते हैं। अतः ये जीन्स पुत्रियों को माता और पिता दोनों से तथा पुत्रों को केवल माता से मिलते हैं। मानव में अधिकांश लिंग-सहलग्न गुण X-linked ही होते हैं। अतः सामान्यतः लिंग सहलग्नता का अर्थ X-सहलग्नता से ही लगाया जाता है।
Read more - मेण्डल के संकरण प्रयोग
(B) Y-सहलग्न (Y-linked) गुण : इन लक्षणों के जीन्स y गुणसूत्र के असमजात (nonhomologous) खण्ड पर होते हैं। अतः साथी X गुणसूत्र पर इनके ऐलील नहीं होते। स्पष्ट है कि ऐसे लक्षण केवल पुरुषों में होते हैं और इनके जीन्स पीढ़ी-दर-पीढ़ी पिता से पुत्रों में ही जाते हैं। अतः इन्हें होलैन्ड्रिक जीन्स (holandric genes) और इनकी वंशागति को से होलैन्ड्रिक वंशागति (holandric inheritance) कहते हैं। कर्णपल्लवों (ear pinnae) पर लम्बे-लम्बे और कुछ मोटे बालों की उपस्थिति एक ऐसा ही लक्षण होता है। इसे हाइपरट्राइकोसिस (hypertrichosis of ears) कहते हैं।
(C) XY-सहलग्न (XY-linked) गुण : इन लक्षणों के जीन्स X एवं y गुणसूत्रों के समजात खण्डों पर ऐलील्स के रूप में होते हैं। स्पष्ट है कि इनकी वंशागति, पुरुषों एवं स्त्रियों में सामान्य, ऑटोसोमल लक्षणों की भाँति होती है। इन्हें अधूरे लिंग-सहलग्न (incompletely sex-linked) लक्षण कहते हैं। पूर्ण वर्णान्धता (total color blindness), नेफ्राइटिस (nephritis—वृक्कों अर्थात् गुर्दों का एक रोग) एवं कुछ अन्य रोग ऐसे ही आनुवंशिक लक्षण होते हैं।
(B) Y-सहलग्न (Y-linked) गुण : इन लक्षणों के जीन्स y गुणसूत्र के असमजात (nonhomologous) खण्ड पर होते हैं। अतः साथी X गुणसूत्र पर इनके ऐलील नहीं होते। स्पष्ट है कि ऐसे लक्षण केवल पुरुषों में होते हैं और इनके जीन्स पीढ़ी-दर-पीढ़ी पिता से पुत्रों में ही जाते हैं। अतः इन्हें होलैन्ड्रिक जीन्स (holandric genes) और इनकी वंशागति को से होलैन्ड्रिक वंशागति (holandric inheritance) कहते हैं। कर्णपल्लवों (ear pinnae) पर लम्बे-लम्बे और कुछ मोटे बालों की उपस्थिति एक ऐसा ही लक्षण होता है। इसे हाइपरट्राइकोसिस (hypertrichosis of ears) कहते हैं।
(C) XY-सहलग्न (XY-linked) गुण : इन लक्षणों के जीन्स X एवं y गुणसूत्रों के समजात खण्डों पर ऐलील्स के रूप में होते हैं। स्पष्ट है कि इनकी वंशागति, पुरुषों एवं स्त्रियों में सामान्य, ऑटोसोमल लक्षणों की भाँति होती है। इन्हें अधूरे लिंग-सहलग्न (incompletely sex-linked) लक्षण कहते हैं। पूर्ण वर्णान्धता (total color blindness), नेफ्राइटिस (nephritis—वृक्कों अर्थात् गुर्दों का एक रोग) एवं कुछ अन्य रोग ऐसे ही आनुवंशिक लक्षण होते हैं।
उपर्युक्त सहलग्न गुणों के आधार पर मनुष्यों में होने वाले लिंग सहलग्न लक्षणों को जान सकते हैं और हमें यह भी पता चलत है कि यह कैसे कार्य करता है।
Read more - मेण्डल के नियम (Mendel's law)
Read more - आनुवंशिकी किसे कहते हैं?
No comments:
Post a Comment