परिभाषा
जिन यौगिकों में केवल सह-संयोजक बन्ध होते हैं, उन्हें सह-संयोजक यौगिक (covalent compounds) कहते हैं। उदाहरणार्थ- मेथेन (CH4) एक सह-संयोजक यौगिक है।
सह-संयोजकता
किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा साझे में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्व की सह-संयोजकता (covalency) कहलाती है। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा बनाये गये सह-संयोजक बन्धों की संख्या उसकी सह-संयोजकता के बराबर होती है।
सह-संयोजक यौगिकों के लक्षण (Characteristics of Covalent Compounds)
1. सह-संयोजक यौगिकों के अणुओं के परमाणु एक दूसरे से सह-संयोजक बन्धों के द्वारा जुड़े रहते हैं लेकिन सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणु एक-दूसरे से इस प्रकार के बन्धों से नहीं जुड़े रहते हैं। सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणु एक-दुसरे से बहुत weak वान्डर वाल बलों (van der Waal's forces) द्वारा जुड़े रहते हैं। अत: सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणुओं को अलग-अलग करने के लिये अधिक ऊर्जा देने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः सह-संयोजक यौगिकों के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं।
सह-संयोजकता
किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा साझे में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्व की सह-संयोजकता (covalency) कहलाती है। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा बनाये गये सह-संयोजक बन्धों की संख्या उसकी सह-संयोजकता के बराबर होती है।
सह-संयोजक यौगिकों के लक्षण (Characteristics of Covalent Compounds)
1. सह-संयोजक यौगिकों के अणुओं के परमाणु एक दूसरे से सह-संयोजक बन्धों के द्वारा जुड़े रहते हैं लेकिन सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणु एक-दूसरे से इस प्रकार के बन्धों से नहीं जुड़े रहते हैं। सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणु एक-दुसरे से बहुत weak वान्डर वाल बलों (van der Waal's forces) द्वारा जुड़े रहते हैं। अत: सह-संयोजक यौगिकों के विभिन्न अणुओं को अलग-अलग करने के लिये अधिक ऊर्जा देने की आवश्यकता नहीं होती है। अतः सह-संयोजक यौगिकों के गलनांक तथा क्वथनांक कम होते हैं।
2. सह-संयोजक यौगिक प्राय: जल तथा अन्य ध्रुवीय विलायकों (polar solvents) में अविलेय तथा अध्रुवीय विलायकों (non-polar solvents) में विलेय होते हैं। अधिकांश सह-संयोजक यौगिक, कार्बनिक विलायकों में विलेय होते हैं।
3. विलयित (dissolved) या गलित (fused) हो जाने पर सह-संयोजक यौगिक साधारणतया आयनित नहीं होते हैं।
4. आयनित न होने के कारण गलित या विलयन की अवस्था में भी सह-संयोजक यौगिक विद्युत् के कुचालक (bad conductors) होते हैं।
5. सह-संयोजक यौगिकों की रासायनिक अभिक्रियाओं में इनके अणु भाग लेते हैं। इस प्रकार की अभिक्रियाओं को आणविक अभिक्रियायें (molecular reactions) कहते हैं। आणविक अभिक्रियाओं की गति आयनिक अभिक्रियाओं की गति से बहुत कम होती है।
सह-संयोजक यौगिकों की रासायनिक अभिक्रियाओं में साधारणतया इनके अणु आयनित नहीं होते हैं।
उदाहरण के लिए- AgNO3 के जलीय घोल में NaCl मिलाने पर AgCI का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है लेकिन CHCI3 या CCI4 मिलाने पर AgCI का सफेद अवक्षेप प्राप्त नहीं होता है। AgNO3 के जलीय घोल में Ag+ तथा NO3-, आयन होते हैं। इसमें कोई ऐसा पदार्थ डाल देने पर जो CI- आयन प्रदान करे, AgCI का सफेद अवक्षेप प्राप्त होगा। सोडियम क्लोराइड मिलाने पर यह Na+ तथा CI- देता है तथा इसलिये AgCI का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है। चूँकि CHCl3 तथा CCI4 सह-संयोजक यौगिक हैं, अत: AgNO3 के जलीय विलयन में CHCl3 या CCI4 मिलाने पर CI- आयन प्राप्त नहीं होते हैं तथा AgCI का सफेद अवक्षेप प्राप्त नहीं होता है।
6. सह-संयोजक बन्ध की प्रकृति दिशात्मक (directional) होती है। अतः सह-संयोजी यौगिकों के अणुओं की एक विशेष ज्यामितीय आकृति होती है। उदाहरण के लिए - ऐसेटिलीन का अणु रेखीय (linear) होता है, जल का अणु कोणीय (angular) होता है तथा अमोनिया का अणु पिरैमिडीय (pyramidal) होता है।
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