वैद्युत-संयोजक बन्ध
परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण (transfer) के द्वारा जो बन्ध बनते हैं, उन्हें वैद्युत-संयोजक बन्ध कहते हैं।
जब दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण होता है तो उनमें से एक परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन (cation) बनाता है तथा दूसरा परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन (anion) बनाता है।
इस प्रकार प्राप्त विपरीत आवेशित आयन स्थिर-वैद्युत बलों (electrostatic forces) के द्वारा एक दूसरे से बंधे रहते हैं। अतः वैद्युत-संयोजक बन्ध को आयनिक बन्ध (ionic bond) या ध्रुवीय बन्ध (polar bond) भी कहते हैं।
वैद्युत-संयोजक बन्ध के उदाहरण
1. सोडियम क्लोराइड (NaCl) में सोडियम (Na) तथा क्लोरीन (Cl) के मध्य बना बन्ध - सोडियम तथा क्लोरीन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं-
सोडियम (Na, परमाणु क्रमांक = 11) : 2, 8, 1
सोडियम तथा क्लोरीन के आयन परस्पर स्थिर-वैद्युत आकर्षण बल के द्वारा बंधे रहते हैं। अत: सोडियम क्लोराइड में सोडियम तथा क्लोरीन के बीच बना बन्ध वैद्युत-संयोजक बन्ध है।
2. कैल्सियम क्लोराइड (CaCl 2) में कैल्सियम (Ca) तथा क्लोरीन (Cl) के मध्य बने बन्ध - कैल्सियम क्लोराइड में कैल्सियम तथा क्लोरीन परमाणुओं के मध्य बने बन्ध भी वैद्युत-संयोजक बन्ध होते हैं। कैल्सियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 है। इसके निकटतम उत्कृष्ट गैस आर्गन (Ar) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए इसके एक परमाणु में से दो इलेक्ट्रॉन कम होने की प्रवृत्ति होती है। क्लोरीन के एक परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन अधिक होने की प्रवृत्ति होती है। अत: एक कैल्सियम परमाणु दो क्लोरीन परमाणुओं से निम्न प्रकार से संयोग करता है-
3. मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) में मैग्नीशियम (Mg) तथा ऑक्सीजन (O) के मध्य बना बन्ध - MgO में Mg तथा O के मध्य बना बन्ध भी वैद्युत-संयोजक बन्ध है। Mg की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन कम करने की तथा O की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन अधिक करने की होती है। अतः
वैद्युत-संयोजक बन्ध बनाने में प्रयुक्त परमाणुओं की प्रकृति
इस प्रकार के बन्ध तभी बनते हैं जब एक प्रबल धन-विद्युती तत्व (जैसे-सोडियम) किसी प्रबल ऋण-विद्युती तत्व (जैसे—क्लोरीन) के साथ संयोग करता है। प्रबल धन-विद्युती तत्व इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा प्रबल ऋण-विद्युती तत्व इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।
धातुओं में इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। अधातुओं में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। अतः धातुओं एवं अधातुओं के मध्य बने बन्ध प्रायः वैद्युत संयोजक होते हैं।
जब दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण होता है तो उनमें से एक परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन (cation) बनाता है तथा दूसरा परमाणु एक या एक से अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन (anion) बनाता है।
इस प्रकार प्राप्त विपरीत आवेशित आयन स्थिर-वैद्युत बलों (electrostatic forces) के द्वारा एक दूसरे से बंधे रहते हैं। अतः वैद्युत-संयोजक बन्ध को आयनिक बन्ध (ionic bond) या ध्रुवीय बन्ध (polar bond) भी कहते हैं।
वैद्युत-संयोजक बन्ध के उदाहरण
1. सोडियम क्लोराइड (NaCl) में सोडियम (Na) तथा क्लोरीन (Cl) के मध्य बना बन्ध - सोडियम तथा क्लोरीन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं-
सोडियम (Na, परमाणु क्रमांक = 11) : 2, 8, 1
क्लोरीन (CI, परमाणु क्रमांक = 17) : 2, 8, 7
सोडियम के निकटतम उत्कृष्ट गैस नियॉन (Ne) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए सोडियम का एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन त्याग करने की प्रवृत्ति रखता है। क्लोरीन के निकटतम उत्कृष्ट गैस आर्गन (Ar) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए क्लोरीन का एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। जब सोडियम और क्लोरीन का रासायनिक संयोग होता है तो सोडियम का एक परमाणु क्लोरीन के एक परमाणु को एक इलेक्ट्रॉन दे देता है। इस प्रकार सोडियम का धनायन (Na+) तथा क्लोरीन का ऋणायन (CI-) बनता है तथा दोनों तत्व स्थायी संरचनायें प्राप्त कर लेते हैं।
सोडियम के निकटतम उत्कृष्ट गैस नियॉन (Ne) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए सोडियम का एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन त्याग करने की प्रवृत्ति रखता है। क्लोरीन के निकटतम उत्कृष्ट गैस आर्गन (Ar) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए क्लोरीन का एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति रखता है। जब सोडियम और क्लोरीन का रासायनिक संयोग होता है तो सोडियम का एक परमाणु क्लोरीन के एक परमाणु को एक इलेक्ट्रॉन दे देता है। इस प्रकार सोडियम का धनायन (Na+) तथा क्लोरीन का ऋणायन (CI-) बनता है तथा दोनों तत्व स्थायी संरचनायें प्राप्त कर लेते हैं।
सोडियम तथा क्लोरीन के आयन परस्पर स्थिर-वैद्युत आकर्षण बल के द्वारा बंधे रहते हैं। अत: सोडियम क्लोराइड में सोडियम तथा क्लोरीन के बीच बना बन्ध वैद्युत-संयोजक बन्ध है।
2. कैल्सियम क्लोराइड (CaCl 2) में कैल्सियम (Ca) तथा क्लोरीन (Cl) के मध्य बने बन्ध - कैल्सियम क्लोराइड में कैल्सियम तथा क्लोरीन परमाणुओं के मध्य बने बन्ध भी वैद्युत-संयोजक बन्ध होते हैं। कैल्सियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 है। इसके निकटतम उत्कृष्ट गैस आर्गन (Ar) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिए इसके एक परमाणु में से दो इलेक्ट्रॉन कम होने की प्रवृत्ति होती है। क्लोरीन के एक परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन अधिक होने की प्रवृत्ति होती है। अत: एक कैल्सियम परमाणु दो क्लोरीन परमाणुओं से निम्न प्रकार से संयोग करता है-
3. मैग्नीशियम ऑक्साइड (MgO) में मैग्नीशियम (Mg) तथा ऑक्सीजन (O) के मध्य बना बन्ध - MgO में Mg तथा O के मध्य बना बन्ध भी वैद्युत-संयोजक बन्ध है। Mg की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन कम करने की तथा O की प्रवृत्ति दो इलेक्ट्रॉन अधिक करने की होती है। अतः
वैद्युत-संयोजक बन्ध बनाने में प्रयुक्त परमाणुओं की प्रकृति
इस प्रकार के बन्ध तभी बनते हैं जब एक प्रबल धन-विद्युती तत्व (जैसे-सोडियम) किसी प्रबल ऋण-विद्युती तत्व (जैसे—क्लोरीन) के साथ संयोग करता है। प्रबल धन-विद्युती तत्व इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं तथा प्रबल ऋण-विद्युती तत्व इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति रखते हैं।
धातुओं में इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके धनायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। अधातुओं में इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणायन बनाने की प्रवृत्ति होती है। अतः धातुओं एवं अधातुओं के मध्य बने बन्ध प्रायः वैद्युत संयोजक होते हैं।
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