रदरफोर्ड का ⍺-कण प्रकीर्णन प्रयोग|Full Detailed in Hindi


रदरफोर्ड का अल्फा-कण प्रकीर्णन प्रयोग (Rutherford's alpha particle scattering experiment)

रदरफोर्ड ने अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग किया जिसके आधार पर उन्होंने परमाणु का नाभिकीय मॉडल भी प्रस्तुत किया था। 
अपने सुप्रसिद्ध प्रयोग में 
रदरफोर्ड ने एक खाली कक्ष में सोने की पतली पन्नी पर अल्फा कणों की बौछार की थी और अगले पृष्ठ पर पतली सोने की पन्नी द्वारा अल्फा कणों के प्रकीर्णन का सरल चित्र दिखाई दिया था।

रदरफोर्ड ने प्रकीर्णन प्रयोग द्वारा कई परिणाम निकाले  जो इस प्रकार है-

1. अधिकतर अल्फा कण से बिना विक्षेपित हुए सीधे निकल गए इससे यह पता चलता है कि परमाणु का आंतरिक भाग अधिकतर खाली होता है।
2. कुछ अल्फा कण 90 डिग्री या उससे अधिक के कोण पर विक्षेपित हो गए। ऐसा करने के लिए अल्फा कणों को (धन आवेशित) परमाणु के भारी तथा धन आवेशित क्रोड़ से निकलना पड़ा क्योंकि केवल सामान आवेश ही एक दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। परमाणु के इस भारी धनआवेशित क्रोड़ को नाभिक अथवा केंद्रक का नाम दिया गया।
3. अल्फा कणों में पर्याप्त द्रव्यमान होता है। यह नाभिक द्वारा विक्षेपित हो जाते हैं इसका अर्थ यह हुआ कि नाभिक अवश्य भारी होता है और यह प्रतिपादित करता है कि परमाणु का समक्ष द्रव्यमान नाभिक के अंदर संकेंद्रित होता है।
4. अल्फा कणों का बहुत कम भाग प्रकीर्णित होकर वापस आता है। जिससे यह पता चलता है कि नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा होता है।
5. ऐसे कण जिनके मार्ग में विचलन हो जाता हैं उनकी संख्या बहुत होती है। अतः धनावेशित एवं भारी कणों द्वारा घेरा गया स्थान बहुत कम हैं। 
रदरफोर्ड का ⍺-कण प्रकीर्णन प्रयोग|Full Detailed in Hindi

रदरफोर्ड का अल्फा-⍺कण प्रकीर्णन प्रयोग 


5. नाभिक का आकार परमाणु के आकार का 10000 वां भाग होता है। यदि हम परमाणु के आकार को फुटबॉल के मैदान लगभग 100 तक आवर्धित (Magnified) करें तो नाभिक का आकार एक मटर के दाने के बराबर होगा जो केंद्र में रखा है।

उपरोक्त प्रयोगों एवं निष्कर्षों के आधार पर रदरफोर्ड ने यह सुझाव दिया कि परमाणु का लगभग समस्त भार तथा उसका पूरा धनावेश उसके केंद्र में स्थित होता है। परमाणु के बाग़ को उसका नाभिक या केन्द्रक कहते हैं।  



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