ऊर्जाक्षेपी तथा ऊर्जाशोषी क्रियाएँ (Exergonic and Endergonic Reactions)|hindi


ऊर्जाक्षेपी तथा ऊर्जाशोषी क्रियाएँ (Exergonic and Endergonic Reactions)
ऊर्जाक्षेपी तथा ऊर्जाशोषी क्रियाएँ (Exergonic and Endergonic Reactions)|hindi

ऊर्जाक्षेपी क्रियाएँ (Exergonic Reactions)

ऐसी क्रियाएँ जिसमें बन्धन ऊर्जा (bond energy) या संचित ऊर्जा (stored energy) मुक्त होती है, ऊर्जाक्षेपी क्रियाएँ (exergonic reactions) कहलाती हैं, अर्थात् इन क्रियाओं में ऊर्जा मुक्त होती है। सजीवों (living organisms) में अपचयी (catabolic) अथवा विघटनात्मक क्रियाएँ (destructive processes) इनका उदाहरण हैं, जैसे कोशिकीय श्वसन (cellular respiration) में ग्लूकोस का ऑक्सीकरण होकर कार्बन डाइऑक्साइड व जल बनता है तथा ऊर्जा मुक्त होती है।

ऊर्जाक्षेपी तथा ऊर्जाशोषी क्रियाएँ (Exergonic and Endergonic Reactions)|hindi



ग्लूकोस अणु के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त होती है। यह मुक्त ऊर्जा (free energy) ATP के बन्धों में संचित हो जाती है जिसका उपयोग कोशिका के विभिन्न महत्त्वपूर्ण कार्यों को सम्पन्न करने में होता है।


ऊर्जाशोषी क्रियाएँ (Endergonic Reactions)

इस प्रकार की क्रियाओं में ऊर्जा को आबद्ध करके इसका संग्रह किया जाता है। इनके अन्तर्गत सजीवों में होने वाली उपचयी अथवा निर्माणात्मक क्रियाएँ (anabolic or constructive processes) आती हैं, जैसे प्रोटीन का निर्माण तथा प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया में शर्कराओं का निर्माण, आदि ।

प्रकाश-संश्लेषण (photosynthesis) एक ऊर्जाशोषी (endergonic) अभिक्रिया है। इसमें प्रकाश ऊर्जा (light energy) का रासायनिक ऊर्जा (chemical energy) में परिवर्तन हो जाता है। जो शर्करा के अणुओं में संचित हो जाती है।
प्रकाश अभिक्रिया (light reaction) में उत्पन्न रासायनिक ऊर्जा, ATP तथा NADP.2H अणुओं में संचित हो जाती है। ATP तथा NADP.2H को परिपाचन शक्ति (assimilatory power) तथा NADP.2H को अपचयन शक्ति (reducing power) कहते हैं। इनका उपयोग कार्बोहाइड्रेट के निर्माण में प्रकाश संश्लेषण की रासायनिक प्रकाशहीन अभिक्रिया (chemical dark reaction) में होता है।

रासायनिक प्रकाशहीन अभिक्रिया (chemical dark reaction) की समीकरण निम्नलिखित है -

6CO2 + 18ATP + 12NADP.2H → C6H12O6 + 6H2O + 18ADP + 18Pi + 12NADP
                          ऊर्जा - - - - - - - - - - - - ⤴


उपचयी (anabolic) क्रियाएँ संश्लेषी (synthetic or constructive) होती हैं तथा इनको ऊर्जा की आवश्यकता होती है। कोशिका में इन उपचयी क्रियाओं की दर (rate) अपचयी (catabolic) क्रियाओं से अधिक होती है। अपचयी क्रियाएँ विनाशात्मक (destructive) होती हैं तथा इनसे ऊर्जा का विमोचन होता है। दोनों क्रियाओं को उपापचयी क्रियाएँ (metabolic reactions) कहते हैं।

उपचय (anabolism) + अपचय (catabolism) = उपापचय (metabolism)

जीवित कोशा में ऊर्जाक्षेपी (energy yielding) व ऊर्जाशोषी (energy consuming) क्रियाएँ निरन्तर साथ-साथ चलती रहती हैं। ATP ऊर्जा का भण्डार न होकर ऊर्जाशोषी तथा ऊर्जाक्षेपी अभिक्रियाओं के मध्य सेतु (bridge) की तरह कार्य करता है। ATP का ट्राइफॉस्फेट भाग इसके ऊर्जा वाहक के रूप में कार्य करने की क्रिया को सम्पन्न करता है।

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रसायनपोषी (chemoautotrophs) जीवों जैसे जीवाणु, आदि में पोषक तत्वों के उपापचय से उत्पन्न मुक्त ऊर्जा (free energy) का उपयोग ADP व अकार्बनिक फॉस्फेट (Pi) से ATP के निर्माण में होता है। जीवित निकाय (living system) द्वारा ग्रहण ऊर्जा (पोषक तत्वों की रासायनिक ऊर्जा अथवा प्रकाश-संश्लेषण में प्राप्त प्रकाश ऊर्जा) का ATP में परिवर्तन होता है तथा इसका उपयोग ऊर्जाशोषी प्रक्रमों (endergonic process) में होता है।

कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के ऑक्सीकरण से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग (ADP व अकार्बनिक फॉस्फेट = Pi के द्वारा) ATP के संश्लेषण में होता है। इस ATP का उपयोग प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट के संश्लेषण, सक्रिय अवशोषण तथा जीवद्रव्य भ्रमण आदि में होता है। 

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