पादप वृद्धि नियामक पदार्थ (Plant Growth regulators) : परिचय, वृद्धि हॉर्मोन|hindi


पादप वृद्धि नियामक पदार्थ (Plant Growth regulators) : परिचय, वृद्धि हॉर्मोन
पादप वृद्धि नियामक पदार्थ (Plant Growth regulators) : परिचय, वृद्धि हॉर्मोन|hindi

पादप-हॉर्मोन्स (plant hormones = phytohormones), वे कार्बनिक पदार्थ हैं जो पौधे के एक भाग में बनते हैं तथा दूसरे स्थान पर स्थानान्तरित होते हैं। कुछ पौधों में तने के शीर्ष को काट देने पर अन्य कलिकाओं की वृद्धि प्रेरित होती है। बीज प्रायः फल से अलग होकर ही तेजी से अंकुरित (germinate) होते हैं। ये प्रभाव पादप-हॉर्मोन्स (plant hormones = phytohormones) के कारण होते हैं। अब यह पूर्णतया सिद्ध हो गया है कि पौधों में वृद्धि, प्रजनन, आदि विभिन्न क्रियाएँ पादप- -हॉर्मोन्स द्वारा होती हैं।

वृद्धि हॉर्मोन (Growth hormones) – हॉर्मोन (hormone) शब्द का प्रयोग “उत्तेजित करने वाला पदार्थ" (excitant) के रूप में सबसे पहले स्टरलिंग ने 1906 में किया। उनके अनुसार, ये पदार्थ मेरुदण्डीय जन्तुओं (vertibrate animals) में कुछ नलिकाविहीन ग्रन्थियों (ductless glands) द्वारा स्रावित (secrete) होते हैं और जन्तुओं के विभिन्न भागों में फैलकर बहुत लघु मात्रा में ही कुछ विशेष क्रियाओं को क्रियान्वित करते हैं।

पादप हॉर्मोन (phytohormones) पौधों की विभज्योतकी कोशिकाओं (meristematic cells) और विकास करती पत्तियों एवं फलों में प्राकृतिक रूप में उत्पन्न होने वाले विशेष कार्बनिक यौगिक (organic compounds) हैं, जो परिवहन के उपरान्त पौधों के दूसरे अंगों में बहुत लघु मात्रा में पहुँचकर वृद्धि एवं अनेक उपापचयी क्रियाओं (metabolic reactions) को प्रभावित एवं नियन्त्रित करते हैं। बहुत से कार्बनिक यौगिक जो प्राकृतिक रूप से पौधों में उत्पन्न नहीं होते परन्तु पादप-हॉर्मोन की तरह ही कार्य करते हैं, उन्हें तथा पादप- हॉर्मोन्स को सम्मिलित रूप से वृद्धि नियन्त्रक पदार्थ (growth regulators = growth substances = growth regulating substances) कहते हैं।
इस प्रकार स्पष्ट है कि सभी पादप-हॉर्मोन्स वृद्धि नियन्त्रक पदार्थ हैं परन्तु सभी वृद्धि नियन्त्रक पदार्थ पादप हार्मोन्स नहीं हैं। ये कार्बनिक यौगिक (कार्बोहाइड्रेट्स, वसा एवं प्रोटीन को छोड़कर जो ऑक्सीकरण के द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं) बहुत लघु मात्रा में उपस्थित होने पर पौधों में वृद्धि करते हैं तथा वृद्धि रोधन भी करते हैं अथवा किसी दूसरे प्रकार से वृद्धि को नियन्त्रित करते हैं। वेण्ट (Went, 1928) के अनुसार, वृद्धि कारक पदार्थों की अनुपस्थिति में वृद्धि नहीं होती है। पादप-हॉर्मोन्स को हम पाँच प्रमुख वर्गों में विभाजित कर सकते हैं-

1. ऑक्सिन (Auxins) — उदाहरण :
  • इण्डोल ऐसीटिक अम्ल (Indole acetic acid = IAA)
  • इण्डोल पाइरुविक अम्ल ( Indole pyruvic acid)
  • इण्डोल ऐसीटेल्डिहाइड (Indole acetaldehyde)
  • इण्डोल ब्यूटाइरिक अम्ल ( Indole butyric acid = = IBA)
  • नेफ्थेलीन ऐसीटिक अम्ल (Naphthalene acetic acid = NAA)
  • 2,4-डाइक्लोरो-फीनॉक्सी ऐसीटिक अम्ल (2,4-dichloro-phenoxy acetic acid = 2,4-D)
  • 2-मिथाइल-4-क्लोरो-फीनॉक्सी ऐसीटिक अम्ल (2-Methyl-4 chloro-phenoxy acetic acid = MCPA)।

उपरोक्त ऑक्सिन्स में इण्डोल ऐसीटिक अम्ल (IAA) तथा इण्डोल ब्यूटाइरिक अम्ल (IBA) ही प्राकृतिक ऑक्सिन हैं जिनका निर्माण पौधों में होता है (अन्तर्जात निर्माण = endogenous formation)। शेष सभी संश्लेषी ऑक्सिन (synthetic auxins) हैं।


2. जिबरेलिन (Gibberellins) — उदाहरण : जिबरेलिक अम्ल (Gibberellic acid = GA3)।
3. साइटोकाइनिन (Cytokinins)—उदाहरण : काइनेटिन (Kinetin), जियेटिन (Zeatin) ।
4. एबसिसिक अम्ल (Abscisic acid = ABA)।
5. इथाइलीन (Ethylene)।

उपरोक्त श्रेणियों में ऑक्सिन, जिबरेलिन तथा साइटोकाइनिन वृद्धिवर्धक (growth promoters) हैं जबकि एबसिसिक अम्ल एवं इथाइलीन वृद्धिरोधक (inhibitors) हैं।


हॉर्मोन की मात्रा का नियमन (Regulation of Amount of Hormones)

पौधों में हॉर्मोन्स की मात्रा का नियमन (regulation) दो प्रकार से होता है-

  1. हॉर्मोन निर्माण की दर के नियमन द्वारा (By the regulation of the rate of hormone synthesis) - हॉर्मोन्स के निर्माण को अनेक कारक प्रभावित करते हैं, जैसे दिन की अवधि (day length), इण्डोल ऐसीटिक अम्ल (IAA) के निर्माण को प्रेरित करती है। इसी प्रकार से द्विवर्षीय पौधों में "कम तापक्रम" से जिबरेलिन (gibberellin) का निर्माण प्रभावित होता है।
  2. हॉर्मोन्स के टूटने अथवा निष्क्रियता की दर के नियमन द्वारा (By the regulation of rate of breakdown or inactivation) — हॉर्मोन्स के निष्क्रिय होने के लिये या तो उनका ऑक्सीकरण (oxidation) होता है या वे किसी अन्य यौगिक से जुड़ जाते हैं।

इस प्रकार हॉर्मोन्स के निर्माण तथा उनके निष्क्रिय होने के समन्वयन से ही हॉर्मोन्स की मात्रा नियमित होती है और इसी से वृद्धि नियन्त्रित होती है।


हॉर्मोन्स पर अन्य पदार्थों का प्रभाव (Effect of Other Substances on Hormones)

हॉर्मोन्स का प्रभाव दूसरे पदार्थों से भी प्रभावित होता है, जैसे- Ca²+ की प्रवणता (gradient) पौधों में कोशिका विवर्धन से लेकर प्रकाशानुवर्तन व गुरुत्वानुवर्तन जैसी क्रियाओं तक को प्रभावित करता है। परागनलिका (pollen tube) की वृद्धि ऑक्सिन के कारण होती है, इसके शीर्ष से लेकर आधार तक Ca²+ की मात्रा में अन्तर होता है, शीर्ष पर यह सर्वाधिक सान्द्रता में होते हैं, यदि इस प्रवणता को समाप्त कर दिया जाये तो परागनलिका की ध्रुवता (polarity) समाप्त हो जाती है। इसी प्रकार से Ca²+ की प्रवणता को कृत्रिम रूप से बढ़ाये जाने पर जड़ व तने का भिन्नन (differentiation) प्रारम्भ हो जाता है और उन्हीं के अनुरूप उनमें वक्र (curve) आते हैं। Ca²+ की उपस्थिति कोशाओं की साइटोकाइनिन (cytokinin) के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाती है। Ca²+ के प्रभाव से साइटोकाइनिन द्वारा जीर्णावस्था शीघ्र समाप्त हो जाती है। Ca²+ का यह प्रभाव कैल्मोडुलिन (calmodulin) नामक प्रोटीन के सक्रिय होने के कारण होता है जो अनेक विकरों (enzymes) की क्रियाओं को प्रभावित करता है।


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