जिन कार्बनिक यौगिकों में परमाणुओं की सभी श्रृंखलाएँ (chains) खुली हुई होती हैं, उन्हें ऐलिफैटिक यौगिक (aliphatic compounds) या विवृत श्रृंखला यौगिक (open chain compounds) कहते हैं। उदाहरणार्थ -.
CH3
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CH3 - CH2 - CH - CH3
आइसो पेंटेन (iso-pentane)
CH3 – CH 2 – CH2 – CH3
n - ब्यूटेन (n-butane)
कार्बनिक रसायन के विकास के प्रारम्भ में जिन यौगिकों को वसाओं (fats) से प्राप्त किया गया उन्हें ऐलिफैटिक यौगिक कहा गया। कार्बनिक रसायन के विकास के साथ-साथ यह ज्ञात हुआ कि ये सभी खुली श्रृंखला वाले यौगिक हैं। इस कारण आधुनिक समय में सभी खुली श्रृंखला वाले यौगिकों को ऐलिफैटिक यौगिक कहते हैं चाहे वे वसाओं से प्राप्त होते हैं या नहीं।
यह आवश्यक नहीं है कि खुली श्रृंखला वाले यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की केवल एक ही खुली श्रृंखला उपस्थित हो। यौगिक में उपस्थित मुख्य श्रृंखलाओं के पार्श्व (side) में अन्य श्रृंखलाएँ भी उपस्थित हो सकती हैं। इन्हें पार्श्व-श्रृंखलाएँ (side chains) कहते हैं। तथा ये मुख्य श्रृंखला से कार्बन-कार्बन बन्ध के माध्यम से जुड़ी रहती हैं। उदाहरण के लिए-
n - ब्यूटेन (n-butane)
कार्बनिक रसायन के विकास के प्रारम्भ में जिन यौगिकों को वसाओं (fats) से प्राप्त किया गया उन्हें ऐलिफैटिक यौगिक कहा गया। कार्बनिक रसायन के विकास के साथ-साथ यह ज्ञात हुआ कि ये सभी खुली श्रृंखला वाले यौगिक हैं। इस कारण आधुनिक समय में सभी खुली श्रृंखला वाले यौगिकों को ऐलिफैटिक यौगिक कहते हैं चाहे वे वसाओं से प्राप्त होते हैं या नहीं।
यह आवश्यक नहीं है कि खुली श्रृंखला वाले यौगिकों में कार्बन परमाणुओं की केवल एक ही खुली श्रृंखला उपस्थित हो। यौगिक में उपस्थित मुख्य श्रृंखलाओं के पार्श्व (side) में अन्य श्रृंखलाएँ भी उपस्थित हो सकती हैं। इन्हें पार्श्व-श्रृंखलाएँ (side chains) कहते हैं। तथा ये मुख्य श्रृंखला से कार्बन-कार्बन बन्ध के माध्यम से जुड़ी रहती हैं। उदाहरण के लिए-
जिन कार्बनिक यौगिकों में परमाणुओं की कम से कम एक चक्रीय श्रृंखला उपस्थित होती है, उन्हें चक्रीय यौगिक (cyclic compounds) या संवृत श्रृंखला यौगिक कहते हैं। इन यौगिकों में कुछ परमाणु एक-दूसरे से सहसंयोजक बन्धों द्वारा इस प्रकार जुड़े रहते हैं जैसे माला में मोती पिरोये होते हैं।
वे चक्रीय यौगिक जो गुणों तथा चक्रीय श्रृंखला की संरचना में बेन्जीन के समान होते हैं, ऐरोमैटिक यौगिक (aromatic compounds) कहलाते हैं। बेन्जीन की संरचना व उसका संक्षिप्त रुप निम्नलिखित है-
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ऐरोमैटिक यौगिकों के विशेष गुण जिनके कारण उनका अध्ययन ऐलिफैटिक यौगिकों से अलग एक भिन्न समूह में किया जाता है, ऐरोमैटिक गुण कहलाते हैं। ऐरोमैटिक गुण ऐलिफैटिक यौगिकों के गुणों से भिन्न होते हैं।
ऐलिफैटिक तथा ऐरोमैटिक यौगिकों के गुणों का तुलनात्मक वर्णन निम्नलिखित है-
- ऐरोमैटिक यौगिकों में एक विशेष गन्ध होती है जिसे ऐरोमैटिक गन्ध कहते हैं। ऐलिफैटिक यौगिक गन्धहीन होतें हैं या उनमें इनसे भिन्न गंध होती है।
- ऐरोमैटिक यौगिकों में कार्बन तथा हाइड्रोजन की प्रतिशतताओं का अनुपात प्रायः ऐलिफैटिक यौगिकों में इन तत्वों की प्रतिशतताओं के अनुपात से अधिक होता है। इस कारण अधिकांश ऐरोमैटिक यौगिकों को जलाने पर वे धुएँदार ज्वाला (smoky flame) के साथ जलते हैं जबकि अधिकांश ऐलिफैटिक यौगिक बिना घुएँ की ज्वाला (non smoky flame) के साथ जलते हैं।
- ऐरोमैटिक यौगिकों के अणु सूत्र यह प्रदर्शित करते हैं कि इनमें उच्च श्रेणी की असंतृप्तता उपस्थित है अर्थात् उनमें अनेक कार्बन-कार्बन द्वि-बन्ध उपस्थित हैं। कार्बन कार्बन द्वि-बन्धों की उपस्थिति के बावजूद ऐरोमैटिक यौगिक योग अभिक्रियाएँ सरलतापूर्वक प्रदर्शित नहीं करते हैं। ऐलिफैटिक यौगिक योग अभिक्रियाएँ सरलतापूर्वक प्रदर्शित करते हैं।
- ऐरोमैटिक यौगिक प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ जैसे हैलोजेनीकरण, नाइट्रीकरण, सल्फोनीकरण तथा फ्रिडेल क्राफ्ट अभिक्रिया सरलतापूर्वक प्रदर्शित करते हैं। इन अभिक्रियाओं में एक या अधिक हाइड्रोजन परमाणु अन्य परमाणुओं या समूहों द्वारा प्रतिस्थापित हो जाते हैं तथा ऐरोमैटिक यौगिकों के लाक्षणिक गुण व उनकी लाक्षणिक संरचना अप्रभावित रहते हैं। ऐलिफैटिक यौगिक प्रायः प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं की तुलना में अन्य अभिक्रियाएँ अधिक सरलता से प्रदर्शित करते हैं।
- हाइड्रोजनीकरण ऊष्मा के आँकड़े यह प्रदर्शित करते हैं कि ऐरोमैटिक यौगिकों की संरचनाओं का स्थायित्व ऐलिफैटिक यौगिकों की सरंचनाओं के स्थायित्व से अधिक होता है। अतः ऐरोमैटिक यौगिकों की अधिकांश अभिक्रियाओं में उनकी लाक्षणिक संरचना अप्रभावित रहती है।
- ऐरोमैटिक हाइड्रॉक्सी यौगिक (फिनोल) अम्लीय होते हैं जबकि ऐलिफैटिक हाइड्रॉक्सी यौगिक (ऐल्कोहॉल) उदासीन होते हैं।
- ऐरोमैटिक ऐमीनो यौगिक ऐलिफैटिक ऐमीनो यौगिकों की तुलना में दुर्बल भास्मिक होते हैं।
- ऐरोमैटिक यौगिक चक्रीय होते हैं। ऐरोमैटिक हैलोजेन यौगिकों में चक्र में उपस्थित हैलोजेन परमाणुओं को सरलतापूर्वक अन्य परमाणुओं या समूहों द्वारा विस्थापित नहीं किया जा सकता है जबकि ऐलिफैटिक यौगिकों में उपस्थित हैलोजेन परमाणु अनेकों प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ सरलतापूर्वक प्रदर्शित करते हैं।
ऐरोमैटिक यौगिकों के विशेष गुण इनकी संरचनात्मक विशेषता के कारण होते हैं। बेन्जीन की संरचना चक्रीय होती है। बेन्जीन के व्युत्पन्नों में बेन्जीन चक्र उपस्थित होता है। अन्य ऐरोमैटिक यौगिकों में या तो बेन्जीन चक्र उपस्थित रहता है या उनकी चक्रीय संरचना बेन्जीन की चक्रीय संरचना जैसी होती है।
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