सूत्र - CH4
मेथेन, ऐल्केन श्रेणी का प्रथम सदस्य है। यह साधारण ताप पर एक गैस है। यह गैस दलदली स्थानों (marshy places) में वनस्पतियों के सड़ने से (जीवाणुओं द्वारा अपघटन से) बुलबुलों के रूप में उत्पन्न होती रहती है। अतः इसे मार्श गैस (marsh gas) भी कहते हैं। ज्वालामुखी से निकलने वाले गैसीय मिश्रणों में तथा कोयले की खानों (mines) में भी यह गैस उपस्थित होती है। मेथेन तथा वायु के मिश्रण को जलाने पर विस्फोट होता है तथा आग लग जाती है। यह विस्फोट अधिक दाब के प्रभाव में भी हो सकता है। अतः कोयले की खानों में मेथेन गैस की उपस्थिति के कारण विस्फोट तथा आग लग जाने का खतरा रहता है। अतः कोयले की खानों में मेथेन गैस को नम अग्नि (fire damp) कहते हैं। मेथेन का सबसे प्रमुख स्त्रोत (source) प्राकृतिक गैस (natural gas) है। पेट्रोलियम के कुओं से प्राप्त गैसीय मिश्रण को प्राकृतिक गैस कहते है इसका लगभग 80% भाग मेथेन गैस होती है।
निर्माण की विधियाँ
1. सोडियम ऐसीटेट से - प्रयोगशाला में मेथेन गैस को निर्जल सोडियम ऐसीटेट तथा सोडा लाइम के मिश्रण को गर्म करके बनाया जा सकता है। इस मिश्रण में सोडियम ऐसीटेट तथा सोडा लाइम को लगभग 1: 2 के अनुपात में लेते हैं।
CaO
CH3COONa + NaOH → Na2CO3 + CH4
सोडा लाइम एक भाग कॉस्टिक सोडा तथा तीन भाग बुझे हुए चूने को गर्म करके बनाया जाता है। इसमें NaOH तथा CaO होते हैं। NaOH अभिक्रिया में भाग लेता है तथा CaO अभिक्रिया के लिये प्रयुक्त काँच के उपकरण को NaOH द्वारा खराब होने से बचाता है।
इस विधि से प्राप्त मेथेन गैस को पानी के ऊपर एकत्रित करते हैं। इसमें एथिलीन और हाइड्रोजन गैस अशुद्धियों के रूप में उपस्थित रहती है। अशुद्धियों को दूर करने के लिये अशुद्ध गैस को पोटैशियम परमैगनेट के विलयन में से प्रवाहित करते हैं। इस प्रकार शुद्ध मेथेन गैस प्राप्त हो जाती है।
2. मैथिल आयोडाइड से - प्रयोगशाला में मेथेन गैस को मेथिल आयोडाइड के अपचयन से भी प्राप्त किया जाता है। नवजात हाइड्रोजन द्वारा मेथिल आयोडाइड के अपचयन से मेथेन गैस प्राप्त होती है। नवजात हाइड्रोजन, ऐल्कोहॉल पर जिंक कॉपर युग्म की अभिक्रिया से उत्पन्न की जाती है। शुद्ध मेथेन गैस को जल के ऊपर एकत्रित करते हैं।
CH3OH
CH3I + 2H → CH4 + HI
Zn-Cu
3. ऐलुमिनियम कार्बाइड से - ऐलुमिनियम कार्बाइड पर जल या तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया से कमरे के ताप पर ही मेथेन गैस प्राप्त हो जाती है। इसे जल के ऊपर एकत्रित कर लेते हैं। इसमें हाइड्रोजन गैस अशुद्धि के रूप में उपस्थित रहती है।
Al4C3 + 12H2O → 3CH4 + 4Al(OH)3
ऐलुमिनियम मेथेन
कार्बाइड
भौतिक गुण (Physical Properties)
यह एक रंगहीन, गन्धहीन तथा स्वादहीन गैस है। यह जल में कम घुलनशील है परन्तु ऐल्कोहॉल तथा ईथर में पर्याप्त मात्रा में घुल जाती है। यह वायु से हल्की होती है। साधारण दाब पर इसका क्वथनांक -162°C तथा गलनांक -184°C होता है 180 वायुमण्डलीय दाब पर इसे 11°C पर द्रवीभूत किया जा सकता है।
1. वायु में जलाने पर ऑक्सीजन से अभिक्रिया : वायु में जलाने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस व जल वाष्प बनाती है तथा प्रकाशहीन ज्वाला के साथ जलती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
CH + 2O2 → CO2 + 2H2O
2. हैलोजेनों से अभिक्रिया : सूर्य के मद्धिम प्रकाश की उपस्थिति में यह हैलोजनों के साथ विस्थापन अभिक्रियायें प्रदर्शित करती है। इस अभिक्रिया में इसके चारों हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके चार हैलोजेन परमाणुओं द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए-
CH4 + Cl2 → HCI + CH3CI (मेथिल क्लोराइड)
भौतिक गुण (Physical Properties)
यह एक रंगहीन, गन्धहीन तथा स्वादहीन गैस है। यह जल में कम घुलनशील है परन्तु ऐल्कोहॉल तथा ईथर में पर्याप्त मात्रा में घुल जाती है। यह वायु से हल्की होती है। साधारण दाब पर इसका क्वथनांक -162°C तथा गलनांक -184°C होता है 180 वायुमण्डलीय दाब पर इसे 11°C पर द्रवीभूत किया जा सकता है।
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1. वायु में जलाने पर ऑक्सीजन से अभिक्रिया : वायु में जलाने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस व जल वाष्प बनाती है तथा प्रकाशहीन ज्वाला के साथ जलती है। अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
CH + 2O2 → CO2 + 2H2O
2. हैलोजेनों से अभिक्रिया : सूर्य के मद्धिम प्रकाश की उपस्थिति में यह हैलोजनों के साथ विस्थापन अभिक्रियायें प्रदर्शित करती है। इस अभिक्रिया में इसके चारों हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके चार हैलोजेन परमाणुओं द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए-
CH4 + Cl2 → HCI + CH3CI (मेथिल क्लोराइड)
CH3Cl + Cl2 → HCl + CH2Cl2 (डाइ-क्लोरो मेथेन)
CH2Cl2 + Cl2 → HCI + CHCI3 (क्लोरोफॉर्म)
CH2Cl2 + Cl2 → HCI + CHCI3 (क्लोरोफॉर्म)
CHCI3 + Cl2 → HCl + CCI4 (कार्बन टेट्रा-क्लोराइड)
3. नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया : 400°C पर नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके यह नाइट्रोमेथेन बनाती है।
400°C
CH4 + HNO3 → CH3NO2 + H2O
इस अभिक्रिया में मेथेन का एक हाइड्रोजन परमाणु एक नाइट्रो समूह द्वारा विस्थापित हो जाता है। अतः यह अभिक्रिया भी मेथेन की विस्थापन अभिक्रियाओं का एक उदाहरण है।
4. नियन्त्रित ऑक्सीकरण : 200-400°C. व 100-150 वायुमण्डलीय दाब पर तथा MoO3 की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके यह मेथिल ऐल्कोहॉल (CH3OH) बनाती है।
2CH4 + 2O2 → 2CH3OH
5. ओजोन से अभिक्रिया : ओजोन से अभिक्रिया करके यह फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO) बनाती है।
2CH4 + 2O3 → 2HCHO + 2H2O + O2
6. तापीय अपघटन : वायु की अनुपस्थिति में 1000°C तक गरम करने पर यह अपने अवयवों में अपघटित हो जाती है।
CH 4 →1000°C → C +2H2
उपयोग (Uses)
3. नाइट्रिक अम्ल से अभिक्रिया : 400°C पर नाइट्रिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके यह नाइट्रोमेथेन बनाती है।
400°C
CH4 + HNO3 → CH3NO2 + H2O
इस अभिक्रिया में मेथेन का एक हाइड्रोजन परमाणु एक नाइट्रो समूह द्वारा विस्थापित हो जाता है। अतः यह अभिक्रिया भी मेथेन की विस्थापन अभिक्रियाओं का एक उदाहरण है।
4. नियन्त्रित ऑक्सीकरण : 200-400°C. व 100-150 वायुमण्डलीय दाब पर तथा MoO3 की उपस्थिति में ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके यह मेथिल ऐल्कोहॉल (CH3OH) बनाती है।
2CH4 + 2O2 → 2CH3OH
5. ओजोन से अभिक्रिया : ओजोन से अभिक्रिया करके यह फॉर्मेल्डिहाइड (HCHO) बनाती है।
2CH4 + 2O3 → 2HCHO + 2H2O + O2
6. तापीय अपघटन : वायु की अनुपस्थिति में 1000°C तक गरम करने पर यह अपने अवयवों में अपघटित हो जाती है।
CH 4 →1000°C → C +2H2
उपयोग (Uses)
- ईंधन के रूप में।
- कार्बन ब्लैक बनाने में। कार्बन ब्लैक का उपयोग छापेखाने की स्याही, जूतों की पॉलिश, ग्रामोफोन रिकार्डस तथा रबड़ के टायर बनाने में किया जाता है।
- मेथिल ऐल्कोहॉल तथा अनेकों अन्य कार्बनिक यौगिकों के निर्माण में।
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