रन्ध्र (stomata) के बन्द होने एवं खुलने की क्रिया, उनकी guard cells की स्फीति (turgid) दशा तथा श्लथ (flaccid) दशा पर निर्भर करती है। जब guard cell , स्फीति-दशा में होती है, तो रन्ध्र (stomata) के छिद्र खुल जाते हैं और जब guard cells , श्लथ दशा में होती है तो रन्ध्र के छिद्र बन्द हो जाते हैं। जैसा कि नीचे रन्ध्र (stomata) की रचना में बतलाया गया है, guard cells की अन्दर की ओर की भित्ति (छिद्र की ओर की) मोटी होती है तथा बाह्यभित्ति पतली होती है। जब guard cells में स्फीति बढ़ती है तो बाह्य पतली भित्ति बाहर की ओर फैल जाती है। जिस कारण अन्दर वाली भित्ति खिंचकर बाहर की ओर आ जाती है और रन्ध्र (stomata) का छिद्र खुल जाता है।
इसके विपरीत जब guard cells में श्लथ दशा उत्पन्न जाती है तो इसकी बाह्यभित्ति अपनी पहली दशा में आ जाती है (अन्दर की ओर आ जाती है) जिस कारण इसकी अन्दर की भित्ति पर खिंचाव नहीं रहता और वह अन्दर की ओर अपने पूर्व स्थान पर आ जाती है और रन्ध्र (stomata) का छिद्र फिर से बन्द हो जाता है।
द्वार- कोशाओं की स्फीति-दशा में परिवर्तन क्यों होता है?
स्फीति - दशा का सम्बन्ध उनके परासरण दाब (osmotic pressure) में परिवर्तन होने से होता है। जिस समय guard cells का परासरण दाब बढ़ जाता है तो इन कोशिकाओं में आस-पास की कम परासरण दाब वाली कोशिकाओं से जल अन्तः परासरण क्रिया द्वारा आ जाता है जिससे द्वार-कोशाएँ स्फीति (turgid) दशा में आ जाती हैं और रन्ध्र (stomata) के छिद्र खुल जाते हैं। जिस समय guard cells का परासरण दाब कम हो जाता है तो इन कोशिकाओं से बहि:परासरण द्वारा जल आस-पास की अधिक परासरण दाब वाली कोशाओं में चला जाता है, जिस कारण ये कोशाएँ श्लथ - दशा में आ जाती हैं और रन्ध्र (stomata) का छिद्र बन्द हो जाता है।
इस प्रश्न का उत्तर विभिन्न वैज्ञानिकों ने निम्न प्रकार से दिया है-
- स्टार्च ⇌ शर्करा परिवर्तन मत
- सक्रिय K+ स्थानान्तरण क्रिया-विधि मत
(i) स्टार्च ⇌ शर्करा परिवर्तन मत (Starch Sugar Conversion Theory)
guard cells में स्टार्च (starch) की मात्रा रात्रि में (अँधेरे में) अधिक होती है और दिन के समय (प्रकाश में) कम होती है, यद्यपि दूसरी बाह्यत्वचीय कोशाओं (epidermal cells) में स्थिति इसके विपरीत होती है।
सेयरे (Sayre, 1926) के अनुसार, pH में परिवर्तन से रन्ध्रों (stomata) के खुलने और बन्द होने पर प्रभाव पड़ता है। यदि pH अधिक होगा (हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता कम होगी) तो रन्ध्रों (stomata) के छिद्र खुल जाते हैं और यदि pH कम होगा (हाइड्रोजन आयन की सान्द्रता अधिक होगी) तो रन्ध्रों (stomata) के छिद्र बन्द हो जाते हैं। बाद में यह पाया गया कि प्रकाश में guard cells का pH बढ़ जाता है और अँधेरे में कम हो जाता है। pH की मात्रा बढ़ने से स्टार्च की मात्रा कम हो जाती है और शर्करा की मात्रा बढ़ जाती है जिस कारण guard cells, turgid अवस्था में आ जाती है। जिस समय pH कम होता है तो द्वार-कोशा में flaccid दशा हो जाती है।
Starch + iP ⇌ Glucose-1-phosphate
जिस समय pH का मान 7 होता है, तो विकर (enzyme) फॉस्फोरिलेस (phosphorylase) स्टार्च का जलीय अपघटन करके शर्करा बनाता है। फॉस्फोरिलेस (phosphorylase) नामक विकर (enzyme) की उपस्थिति guard cell के हरितलवक (chloroplast) में प्रमाणित हो चुकी है। यह विकर (enzyme) स्टार्च शर्करा में परिवर्तन को उत्प्रेरित करता है। जब pH का मान 5 होता है तब शर्करा स्टार्च में परिवर्तित हो जाती है।
रन्ध्रों (stomata) के खुलने की क्रिया का सारांश निम्नलिखित है -
प्रकाश → प्रकाश-संश्लेषण (1) पत्ती में कार्बन डाइऑक्साइड की सान्द्रता में कमी (2) guard cells की pH का बढ़ना (3)→ विकरों के द्वारा स्टार्च का शर्करा में परिवर्तन (4) → द्वार कोशाओं का परासरण दाब बढ़ना (5)→ द्वार-कोशाओं में जल का आगमन (6)→ द्वार-कोशाओं की स्फीति बढ़ना (7) → रन्ध्रीय छिद्र का खुलना ।
रन्ध्रों (stomata) के बन्द होने से प्रकाश की अनुपस्थिति में ऊपर दिये गये क्रम के विपरीत कार्य होते हैं (1), (2), (3), (4), (5), (6) और (7)।
सन् 1964 में स्टेवार्ड (Steward) ने रन्ध्रों के खुलने एवं बन्द होने की क्रिया के बारे में अपने कुछ भिन्न विचार रखे। उनके अनुसार जिस समय तक ग्लूकोस-6-फॉस्फेट (glucose-6-phosphate) ग्लूकोस एवं अकार्बनिक फॉस्फेट (iP) में नहीं बदल जाता, guard cells के परासरण दाब में विशेष परिवर्तन नहीं होता है। उनके अनुसार रन्ध्रों के बन्द होने के लिये ATP के रूप में ऊर्जा आवश्यक होती है। इस कार्य के लिये ऑक्सीजन आवश्यक होती है। स्टेवार्ड की विचारधारा-
बहुत से वैज्ञानिक स्टार्च शर्करा परिवर्तन की विचारधारा को निम्नलिखित कारणों से ठीक नहीं मानते हैं-
- प्रकाश में जिस समय guard cells में स्टार्च समाप्त होता है शर्करा नहीं बनती, परंतु मैलिक अम्ल का निर्माण होता है।
- एकबीजपत्री पौधों में guard cells में स्टार्च नहीं बनता है।
- ऊपर दी गयी विचारधारा के अनुसार ग्लूकोस-1-फॉस्फेट (glucose-1-phosphate) के निर्माण के कारण guard cells का परासरण दाब बढ़ता है, परन्तु अकार्बनिक फॉस्फेट में भी उतना ही परासरण दाब उत्पन्न होता है, अतः ग्लूकोस 1-फॉस्फेट (glucose-1-phosphate) के बनने से परासरण दाब में कोई अन्तर नहीं होगा।
- फॉस्फोराइलेस विकर स्टार्च से ग्लूकोस-1-फॉस्फेट (starch-glucose-1-phosphate) के बनने में सहायक होता है, परन्तु ग्लूकोस-1-फॉस्फेट (glucose-1-phosphate) से मण्ड (starch) बनने में यह सहायता नहीं करता है। यह प्रक्रिया किसी दूसरे विकर द्वारा प्रभावित होती होगी जिसके बारे में अभी कुछ ज्ञात नहीं है (Manners 1973)।
(ii) सक्रिय K+ स्थानान्तरण क्रिया - विधि (Active K+ Transport Mechanism)
इस मत को फूजिनो (Fujino 1959, 67) ने दिया तथा लेविट (Lewitt, 1974) इसे संशोधित किया। लेविट के अनुसार, प्रकाश में guard cells में स्टार्च के जलीय अपघटन से मैलिक अम्ल उत्पन्न होता है, जिसका मैलेट और H+ में वियोजन हो जाता है। इस प्रकार H+, सहायक कोशाओं के K+ से बदल जाते हैं। H+ बाहर निकलते हैं तथा K+ अन्दर आ जाते हैं। K+ मैलेट से क्रिया करके पोटैशियम मैलेट का निर्माण करते हैं, जो guard cells की रिक्तिका में स्थानान्तरित हो जाता है। पोटैशियम मैलेट की उपस्थिति में बाह्यत्वचा कोशाओं से जल का परासरण guard cells में हो जाता है और उनका स्फीति-दाब बढ़कर रन्ध्र खुल जाता है।
इस क्रिया विधि की रूपरेखा --
प्रकाश ➡ guard cells में मैलिक अम्ल का निर्माण ➡ मैलिक अम्ल का मैलेट और H+ में वियोजन ➡ H+ का बहिर्गमन तथा K का अन्तः गमन ➡ पोटैशियम मैलेट का निर्माण तथा guard cell की रिक्तिका में प्रवेश ➡ guard cells में जल का परासरण ➡ guard cells के स्फीति दाब में वृद्धि ➡ रन्ध्र का खुलना
रन्धों की गतिशीलता की दैनिक आवर्तिता (Daily-periodicity of Stomatal Movement)
अधिकतर समोद्भिद् (mesophyte) पौधों में रन्ध्र (stomata) दिन में खुलते हैं और रात्रि में बन्द हो जाते हैं। प्रातःकाल प्रकाश पड़ते ही रन्ध्र (stomata) खुलने प्रारम्भ हो जाते हैं और कुछ समय पश्चात् पूर्णरूप से खुल जाते हैं। इससे वाष्पोत्सर्जन क्रिया अधिक हो जाती है जिसके कारण पत्ती की कोशाओं में स्फीति-दशा (turgidity) में कमी हो जाती है तथा दोपहर से कुछ पूर्व रन्ध्र (stomata) आंशिक रूप से बन्द हो जाते हैं। रन्ध्रों के आंशिक रूप से बन्द होने से वाष्पोत्सर्जन क्रिया कम हो जाती है और पूर्व स्फीति - दशा (turgidity) को प्राप्त कर लेने के कारण रन्ध्र (stomata) फिर से पूर्णरूप से खुल जाते हैं। इस कारण से वाष्पोत्सर्जन क्रिया फिर से बढ़ जाती है। वाष्पोत्सर्जन बढ़ने से पत्ती की कोशाओं में फिर से स्फीति दशा में कमी आ जाती है जिस कारण रन्ध्र (stomata) फिर से बन्द होने लगते हैं, क्योंकि अब संध्या के कारण प्रकाश की मात्रा कम होने लगती है रन्ध्र (stomata) निरन्तर बन्द होते रहते हैं और सूर्यास्त के समय पूर्णरूप से बन्द हो जाते हैं।
अन्धकार-सक्रिय रन्ध्र (Scotoactive stomata ) — कुछ माँसल मरुद्भिद् पौधों (succulent xerophytes), जैसे नागफनी (Opuntia) में रन्ध्र दिन के समय बन्द रहते हैं, परन्तु रात्रि में खुल जाते हैं। यह अनुकूलन दिन के समय वाष्पोत्सर्जन क्रिया रोकने के लिये है। रात्रि के समय ऐसे पौधों में अनॉक्सीय श्वसन से कार्बोहाइड्रेट्स का अपूर्ण ऑक्सीकरण होता है, इसमें कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त नहीं होती तथा मैलिक अम्ल बनता है। मैलिक अम्ल के कारण तथा K+ आयन के स्थानान्तरण के कारण रन्ध्र खुल जाते हैं। इसके विपरीत दिन के समय guard cells में संचित मैलिक अम्ल (maleic acid) का विघटन होकर कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त होती है और इसकी अधिकता से रन्ध्र बन्द हो जाते हैं। इसके विपरीत प्रकाश के समय खुलने वाले रन्ध्रों को प्रकाश-सक्रिय रन्ध्र (photoactive stomata) कहते हैं।
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