पौधों में चलन गति के अन्तर्गत जीवद्रव्य (protoplasm) का कोशिका के अन्दर चलन, जीवद्रव्य के नग्न कोशिकांगो का चलन तथा एककोशीय एवं बहुकोशीय पौधों, जैसे क्लैमिडोमोनास (Chlamydomonas), वॉल्वॉक्स (Volvox), आदि या उनके स्वतन्त्र अंगों, जैसे युग्मक (gametes), अलैंगिक चल बीजाणु (zoospores), आदि का चलन आता है। ये गतियाँ दो प्रकार की होती हैं-
- स्वतः गतियाँ (Autonomous or spontaneous movements)
- प्रेरित गतियाँ (Induced or paratonic movements)
(1) स्वतः गतियाँ (Autonomous or Spontaneous Movements)
ये गतियाँ पौधे के शरीर की आन्तरिक योग्यताओं एवं कारकों के कारण होती हैं। ये गतियाँ निम्नलिखित प्रकार की होती हैं—
(2) प्रेरित गतियाँ (Induced or Paratonic Movements)
इस प्रकार की गतियाँ पौधे के सूक्ष्म अंगों जैसे, युग्मकों (gametes) में अथवा अत्यन्त सूक्ष्म एककोशीय या बहुकोशीय पौधों में होती हैं। यह बाह्य कारकों, जैसे रासायनिक पदार्थ, प्रकाश तथा ताप द्वारा प्रेरित (induced) होती हैं। इन्हें अनुचलन गतियाँ (tactic movements) भी कहते हैं। बाह्य कारकों की प्रकृति के आधार पर ये गतियाँ निम्न प्रकार की होती हैं-
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- पक्ष्म गति (Ciliary movement) – यह गति पक्ष्म (cilia) के द्वारा होती है, जैसे क्लैमिडोमोनास (Chlamydomonas) अथवा वॉल्वॉक्स (Volvox) के पौधे, यूलोथ्रिक्स (Ulothrix) के चलबीजाणु जो अपने cilia के द्वारा जल में या जल के माध्यम से इधर-उधर गति करते हैं।
- अमीबीय गति (Amoeboid movement) –अवपंक कवक (slime fungi) में जीवद्रव्य का नग्न पुंज (naked mass) होता है, जो पादाभ (pseudopodium) के द्वारा आगे बढ़ता है।
- उत्सर्जनी गति (Excretory movement) —ऑसिलैटोरिया (Oscillatoria) नाम की हरी नीली शैवाल के तन्तु (trichomes) घड़ी के पैण्डुलम की तरह इधर-उधर हिलते रहते हैं। वैज्ञानिकों का विचार है कि यह इस पौधे के तन्तु (filaments) के द्वारा उत्सर्जित किये गये पदार्थों के द्वारा होता है और इस गति में उत्सर्जी पदार्थ बाहर निकलते हैं ।
- जीवद्रव्य भ्रमण (Cyclosis) – इस गति में जीवद्रव्य एक कोशा के अन्दर ही रिक्तिकाओं के चारों ओर गतिशील रहता है। यदि जीवद्रव्य केन्द्र में स्थित एक रिक्तिका के चारों ओर केवल एक दिशा में ही घूमता है, जैसे वैलिसनेरिया (Vallisneria) तथा हाइड्रिला (Hydrilla) की पत्ती में तब इसे घूर्णन (rotation) कहते हैं। परन्तु यदि एक ही कोशिका का जीवद्रव्य अनेक छोटी-छोटी रिक्तिकाओं के चारों ओर विभिन्न दिशाओं में घूमता है, जैसे ट्रेडेस्कैन्शिया (Tradescantia) के पुंकेसरी रोम में तथा कुकुरबिटा के प्ररोह रोम (shoot hairs of Cucurbita) में तब इसे परिसंचरण (circulation) कहते हैं।
(2) प्रेरित गतियाँ (Induced or Paratonic Movements)
इस प्रकार की गतियाँ पौधे के सूक्ष्म अंगों जैसे, युग्मकों (gametes) में अथवा अत्यन्त सूक्ष्म एककोशीय या बहुकोशीय पौधों में होती हैं। यह बाह्य कारकों, जैसे रासायनिक पदार्थ, प्रकाश तथा ताप द्वारा प्रेरित (induced) होती हैं। इन्हें अनुचलन गतियाँ (tactic movements) भी कहते हैं। बाह्य कारकों की प्रकृति के आधार पर ये गतियाँ निम्न प्रकार की होती हैं-
- रसायन अनुचलन (Chemotaxis = chemotactic) — इसमें चलन गति रासायनिक पदार्थ के प्रभाव द्वारा प्रेरित होती है, जैसे मौस तथा फर्न में नर युग्मक (male gametes) रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से प्रेरित होकर ही मादा युग्मक (female gametes) की ओर जाते हैं। इसी प्रकार कुछ जीवाणु (bacteria) ऑक्सीजन की ओर आकर्षित होते हैं।
- प्रकाश अनुचलन (Phototaxis = phototactic) — इस प्रकार की गति प्रकाश उद्दीपन के कारण होती है। अनेक सूक्ष्म शैवाल कम प्रकाश की ओर प्रचलन करते हैं, परन्तु बहुत तेज प्रकाश से विपरीत दिशा की ओर जाते हैं। नीचे चित्र में लेम्ना की पत्ती की कोशाओं में हरितलवकों का प्रकाश अनुचलन प्रदर्शित किया गया है।
- ताप अनुचलन (Thermotaxis = thermotactic) — इस प्रकार की गति ताप उद्दीपन के कारण होती है, जैसे शैवाल, क्लैमिडोमोनास (Chlamydomonas) को यदि ठण्डे जल में रखकर बर्तन का एक किनारा गर्म किया जाये तब यह पौधा गर्म भाग की ओर चलता है, परन्तु शीघ्र ही यह बहुत अधिक ताप वाले भाग से कम ताप वाले भाग की ओर चलता है।
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