साइटोकाइनिन अथवा फाइटोकाइनिन (CYTOKININ OR PHYTOKININ) : परिचय, कार्य|hindi


साइटोकाइनिन अथवा फाइटोकाइनिन (CYTOKININ OR PHYTOKININ) : परिचय, कार्य
साइटोकाइनिन अथवा फाइटोकाइनिन (CYTOKININ OR PHYTOKININ) : परिचय, कार्य|hindi

साइटोकाइनिन (cytokinins) ऐसे पदार्थ हैं, जो ऑक्सिन की सहायता से कोशिका विभाजन का उद्दीपन करते हैं। मिलर तथा उनके सहयोगियों (Miller et al 1956) ने मछली के शुक्राणुओं से एक सक्रिय पदार्थ प्राप्त किया और इस संश्लिष्ट उत्पाद (synthetic product) को काइनेटिन कहा। रासायनिक प्रकृति से यह N°- फरफ्यूरिल- ऐमीनो-प्यूरिन (N°-furfuryl-aminopurine) है। काइनेंटिन पौधों में प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता है। यह पदार्थ कोशिका विभाजन या कोशिकाद्रव्य विभाजन (cell division or cytokinesis) बढ़ाता है। अतः स्कूग 1965 ने इसे साइटोकाइनिन नाम दिया। लेथम तथा उनके सहयोगियों (Letham et al 1963) ने मक्का के बीज में दूसरा ऐसा पदार्थ पाया है जिसे जिएटिन (Zeatin) कहते हैं। यह प्रथम प्राकृतिक साइटोकाइनिन (natural endogenous) की खोज थी, इसके पश्चात् पौधों से प्राकृतिक रूप में पाये जाने वाले अनेक साइटोकाइनिन प्राप्त हो चुके हैं, जैसे डाइहाइड्रोजिएटिन एवं ट्राइकेन्थेन (tricanthene)। साइटोकाइनिन का संश्लेषण उन क्षेत्रों में होता है जहाँ पर कोशिका विभाजन हो रहा हो, जैसे विकसित हो रही प्ररोह कलिकाएँ, जड़ शीर्ष, तरुण फल तथा बीजों के भ्रूणपोष आदि।

साइटोकाइनिन अथवा फाइटोकाइनिन (CYTOKININ OR PHYTOKININ) : परिचय, कार्य|hindi


साइटोकाइनिन के प्रमुख कार्य (Main Functions of Cytokinins)


  1. इन पदार्थों का विशेष गुण कोशिका विभाजन है।
  2. ये जीर्णता (senescence) को रोकते हैं और पर्णहरिम (chlorophyll) को काफी समय तक नष्ट नहीं होने देते हैं।
  3. विभिन्नन (Differentiation)—कोशिका-विभाजन के अतिरिक्त साइटोकाइनिन पौधों के कुछ अंगों के निर्माण को नियन्त्रित करते हैं। उदाहरण के लिए – यदि तम्बाकू की पिथ कोशाओं का संवर्धन (culture) एक ऐसे माध्यम में किया जाये जिसमें शर्करा एवं खनिज लवण उपस्थित हों तब केवल कैलस (callus) का विकास होता है। परन्तु यदि माध्यम में साइटोकाइनिन और ऑक्सिन का अनुपात बदलता रहे, तब जड़ अथवा प्ररोह अथवा दोनों को विकसित किया जा सकता है।

अधिक साइटोकाइनिन / ऑक्सिन अनुपात में प्ररोह का विकास होता है।
कम साइटोकाइनिन / ऑक्सिन अनुपात में केवल जड़ों का विकास होता है।
माध्यमिक साइटोकाइनिन / ऑक्सिन के अनुपात में जड़ तथा प्ररोह दोनों विकसित होते हैं।
माध्यमिक साइटोकाइनिन / कम ऑक्सिन अनुपात पर केवल कैलस (callus) का ही निर्माण होता है।
साइटोकाइनिन अथवा फाइटोकाइनिन (CYTOKININ OR PHYTOKININ) : परिचय, कार्य|hindi


संवर्धन के ये प्रयोग आनुवंशिक इन्जीनियरी (genetic engineering) में बहुत लाभदायक हैं, क्योंकि नई किस्म के पौधे उत्पन्न करने में कोशा संवर्धन बहुत लाभदायक है।



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