एथिलीन (Ethylene) या एथीन (Ethene) : परिचय, निर्माण की विधियां, गुण|hindi


एथिलीन (Ethylene) या एथीन (Ethene) : परिचय, निर्माण की विधियां, गुण

एथिलीन (Ethylene) या एथीन (Ethene) : परिचय, निर्माण की विधियां, गुण|hindi

सूत्र - C2H4

यह ऐल्कीन श्रेणी का प्रथम सदस्य हैं। कोल गैस (coal gas) में लगभग 6% एथिलीन होती है। एथिलीन की उपस्थिति के कारण कोल गैस को जलाने पर प्राप्त ज्वाला प्रकाश-युक्त होती है। एथिलीन को अधिक मात्रा में पेट्रोलियम से प्राप्त ऐल्केनों के भंजन (cracking) से प्राप्त किया जाता है।

बनाने की विधियाँ

1. प्रयोगशाला विधि - प्रयोगशाला में एथिलीन एथिल ऐल्कोहॉल तथा सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के मिश्रण को 160-170°C पर गर्म करके प्राप्त की जाती है।


   C2H5OH + H2SO4 → C2H5HSO4 + H2O

                      160-170°C
   C2H5HSO4    →   C2H4 + H2SO4



2. औद्योगिक निर्माण - (i) एथिल ऐल्कोहॉल के उत्प्रेरकी निर्जलीकरण से-
                 
                 Al203
C2H5OH     →     C2H4 + H2O
                 350°C


(ii) ऐसेटिलीन के आंशिक अपचयन से - ऐसेटिलीन तथा हाइड्रोजन के ऐसे मिश्रण को, जिसमें ऐसेटिलीन तथा हाइड्रोजन की मात्रायें बराबर हो या ऐसेटिलीन की मात्रा अधिक हो, निकिल चूर्ण पर 200°C पर प्रवाहित किया जाये तो एथिलीन प्राप्त होती है।

                               Ni
CH ≡ CH + H2     →      CH2 = CH2 
ऐसेटिलीन           200°C      एथिलीन



भौतिक गुण (Physical Properties)

यह एक रंगहीन तथा मीठी गन्ध वाली गैस है। इसके सूँघने से मूर्छा आने लगती है। यह जल में कम विलेय तथा ऐल्कोहॉल, ईथर तथा अन्य कार्बनिक विलायकों में अधिकता में विलेय है। इसको -105°C पर द्रव अवस्था में तथा -170°C पर ठोस अवस्था में परिवर्तित किया जा सकता है।


रासायनिक गुण (Chemical Properties)

भौतिक गुण (Physical Properties)


1. वायु में जलाने पर : वायु में जलाने पर यह ऑक्सीजन से अभिक्रिया करके कार्बन डाइ ऑक्साइड गैस तथा जल वाष्प बनाती है।

    C2H4 + 3O2  →  2CO2 + 2H2O

2. योगात्मक अभिक्रियाएँ : एथिलीन के एक अणु में एक कार्बन- कार्बन द्वि-बन्ध उपस्थित है। इस कारण यह योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है। उदाहरण के लिए-

(i) हाइड्रोजन के साथ :
                              Ni (उत्प्रेरक)
CH2 = CH2 + H2  →  CH3-CH3 एथेन
                            300°C

(ii) हैलोजेनों के साथ : क्लोरीन, ब्रोमीन तथा आयोडीन के साथ संयोग करके यह क्रमशः एथिलीन डाइ-क्लोराइड, एथिलीन डाइ - ब्रोमाइड तथा एथिलीन डाइ आयोडाइड बनाती है। क्लोरीन के साथ यह अभिक्रिया वाष्प अवस्था में या क्लोरीन जल द्वारा करायी जाती है। ब्रोमीन के साथ यह अभिक्रिया ब्रोमीन जल द्वारा कराई जाती है। इस अभिक्रिया में क्लोरीन सबसे अधिक व आयोडीन सबसे कम प्रभावी है।

             CH2                            CH₂Cl
              ||          + Cl2    →       |
             CH2                            CH₂Cl

             
             CH2                            CH₂Br
              ||          + Br2 →         |
             CH2                            CH₂Br



(iii) हैलोजेन अम्लों के साथ यह HCI, HBr तथा HI से संयोग करके क्रमशः एथिल क्लोराइड (C2H5CI), एथिल ब्रोमाइड (C2H5Br) तथा एथिल आयोडाइड (C2H5I) बनाती है। इस अभिक्रिया में HI सबसे अधिक प्रभावी है।

(iv) हाइपोक्लोरस अम्ल के साथ

             CH2 = CH2 + HOCI   →  CH2OH.CH2CI
                                                       एथिलीन क्लोरो-हाईड्रिन


(v) सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ : एथिल हाइड्रोजन सल्फेट (CH3.CH2.HSO4) प्राप्त होता

             CH2 = CH2 + H2SO4  →  CH3.CH2.HSO4


(vii) बेयर अभिकर्मक के साथ : KMnO4 के क्षारीय एवं तनु घोल को बेयर अभिकर्मक कहते हैं। एथिलीन बेयर अभिकर्मक के साथ अभिक्रिया करके एथिलीन ग्लाइकॉल बनाती है।

         2KMnO4 + 2KOH 2K2 MnO4 + H2O + O

         CH2                            CH₂OH
         ||     + H2O + O   →     |
         CH2                            CH₂OH



पोटैशियम परमैंगनेट (KMnO4 ) का रंग गुलाबी तथा पोटैशियम मैंगनेट (K2MnO4) का रंग हरा होता है। अतः एथिलीन बेयर अभिकर्मक के गुलाबी रंग को उड़ा देती है तथा हरे रंग का विलयन प्राप्त होता है।

(viii) सल्फर मोनो-क्लोराइड के साथ :

         CH2                            CH₂ - S - CH2
      2 ||     + S2Cl2   →         |                |     +   S
         CH2                            CH₂Cl     CH₂Cl
                                          मस्टर्ड गैस


3. प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ : एथिलीन साधारणतया योगात्मक अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करती है लेकिन कुछ परिस्थितियों में यह प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ भी प्रदर्शित करती है। उदाहरण के लिए - एथिलीन तथा क्लोरीन के मिश्रण को लगभग 400°C तक गरम करने पर इसका एक हाइड्रोजन परमाणु एक क्लोरीन परमाणु द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है।

                              400°C
CH2 = CH2 + Cl2   →  CH2 = CH – Cl + HCl                                          
                                     वाइनिल क्लोराइड

4. बहुलकीकरण : उचित उत्प्रेरक (ऑक्सीजन या परॉक्साइड) की उपस्थिति में लगभग 500 वायुमण्डलीय दाब तथा 250 - 300°C ताप पर यह पॉलीथीन (polythene) बनाती है। निम्नलिखित समीकरण में n का मान 100 या 100 से n अधिक है।

    nC2H4 बहुलकीकरण (C2H4 )n


उपयोग (Uses)
  1. ऑक्सी- एथिलीन ज्वाला बनाने में इसका उपयोग किया जाता है। इस ज्वाला का ताप अधिक होता है। अधिक उपयुक्त साधन न होने पर इसका उपयोग वेल्डिंग में किया जाता है।
  2. सीमित मात्रा में इसका उपयोग निश्चेतक के रूप में किया जाता है।
  3. फलों को पकाने तथा उन्हें सड़ने से रोकने में।
  4. मस्टर्ड गैस बनाने में। यह एक जहरीली गैस है। इसका प्रयोग प्रथम विश्व युद्ध में किया गया था।
  5. एथिलीन क्लोरो-हाइड्रिन बनाने में। इसका प्रयोग आलू के शीघ्र अंकुरण के लिए किया जाता है।
  6. पॉलीथीन बनाने में। इसका प्रयोग थैलों तथा अन्य वस्तुओं के बनाने में किया जाता है।
  7. अनेकों अन्य महत्वपूर्ण यौगिक (जैसे- एथिल ऐल्कोहॉल, एथिलीन ग्लाइकॉल आदि) बनाने में।

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