पौधों में खाद्य पदार्थों का संचयन (Storage of Food Materials In Plants)
पौधा अपनी जैविक क्रियाओं जैसे- श्वसन, स्वांगीकरण, वृद्धि, पुष्पन आदि के लिए भोजन निर्मित करता है। पौधे प्रायः अपनी आवश्यकताओं से अधिक भोजन निर्मित करते है और अवशेष भोजन को विशेष अंगों या ऊतकों में एकत्रित कर लेते है। इन, संचित भोज्य पदार्थों का उपयोग आवश्यकता के समय किया जाता है। प्रमुखतः प्रतिकूल अवस्थाओं के बाद जब पौधा दोबारा वृद्धि प्रारम्भ करता है और उस समय पत्तियाँ, पुष्प आदि बन रहे होते हैं, ताकि भोजन निर्माण आदि कार्य फिर से प्रारम्भ हो सकें।संचयन: अंग तथा ऊतक (Storage: Organs and Tissues)
उच्च श्रेणी के पौधों, विशेषकर आवृतबीजी पौधों में भोज्य पदार्थ भिन्न-भिन्न अंगों में संचित किए जाते हैं। सामान्यतः बीज, फल, तना, पत्ती आदि में तो स्थायी या अस्थायी रूप में भोज्य पदार्थों का संचयन रहता ही है, किन्तु शाकीय-बहुवर्षी पौधों में इस कार्य के लिए, कुछ अंग विशेष रूप से रूपान्तरित हो जाते हैं, उदाहरण के लिए-(1) भूमिगत तनों में-अनेक शाकीय पौधों में बहुवर्षीयता प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के भूमिगत तनों में भोजन संचित होता है। जैसे- (i) प्रकन्द (rhizome), उदाहरण- अदरक, हल्दी आदि (ii) धनकन्द (corm), उदाहरण- घुइयाँ, केसर, जिमीकन्द, बण्डा, कचालू आदि, (iii) कद (tuber), उदाहरण- आलू आदि।
(2) मूल में- विभिन्न प्रकार की जड़ें (मूसला जड़ें तथा अपस्थानिक जड़ें) भोजन संचय के फलस्वरूप विभिन्न आकार ले लेती हैं; उदाहरण के लिए-
(क) मूसला जड़ों में- तर्कुरूप- मूली, शंकुरूप- गाजर, कुम्भरूप- शलजए, चुकन्दर आदि, कन्दिल या कन्दिल-गुच्छ, जैसे-गुलाबाँस, रूएलिया आदि ।
(ख) अपस्थानिक जड़ों में- जैसे-कन्दिल शकरकन्द में, कन्दिल-गुच्छ डहेलिया, सतावर आदि में, प्रन्थिमय आमाहल्दी में; मणिकाकार, जंगली अंगूर, घासों आदि में; वलयित मूल इपीकाक आदि में।
इन सबके अतिरिक्त अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भाग तो फल तथा बीज ही हैं। बीजों में, भोज्य पदार्थ भ्रूणपोष या बीजपत्रों में एकत्रित होता है। एकबीजपत्री पौधों में तथा रेंडी आदि द्विबीजपत्री पौधों के बीज भ्रूणपोषी होते हैं। अधिकतर द्विबीजपत्री बीजों में भोजन बीजपत्रों में ही (चना, मटर, सेम आदि) संचित होता है।
मांसल और रसीले फल भी प्रचुर मात्रा में भोज्य पदार्थों का संचयन करते हैं। यह भोजन अधिकतर तो फलभित्ति में (अमरूद, टमाटर, काशीफल आदि) कभी-कभी अन्य भागों में (उनके फल बनाने में सम्मिलित हो जाने से) भी संचित हो जाता है; जैसे- सेब, कमल, नाशपाती आदि के पुष्पासन में, लीची के एरिल में आदि ।
अधिकतर काष्ठीय पौधों (वृक्ष, क्षुप आदि) में भोजन उनकी जड़ों तथा तनों में उपस्थित मज्जा, मज्जा किरण, कॉर्टेक्स, एण्डोडर्मिस आदि अनेक भागों की मृदूतक कोशिकाओं में संचित रहता है।
अधिकतर काष्ठीय पौधों (वृक्ष, क्षुप आदि) में भोजन उनकी जड़ों तथा तनों में उपस्थित मज्जा, मज्जा किरण, कॉर्टेक्स, एण्डोडर्मिस आदि अनेक भागों की मृदूतक कोशिकाओं में संचित रहता है।
FAQs
1. पौधे भोजन का भंडारण कैसे और कहां करते हैं?
Ans. पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का निर्माण करते हैं। यह प्रक्रिया क्लोरोफिल युक्त पत्तियों में होती है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान, पौधे सूर्य के प्रकाश, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके ग्लूकोज (एक प्रकार की चीनी) का उत्पादन करते हैं।
ग्लूकोज पौधे के लिए ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका उपयोग पौधे की वृद्धी और विकास के लिए किया जाता है। पौधे आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज का भंडारण भी करते हैं। यह भंडारण विभिन्न भागों में होता है, जैसे:
- बीज: बीजों में भोजन का भंडारण भ्रूण के विकास के लिए होता है।
- फल: फलों में भोजन का भंडारण बीजों के अंकुरण और विकास के लिए होता है।
- जड़ें: जड़ों में भोजन का भंडारण पौधे के लिए ऊर्जा का स्रोत होता है, जब प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है, जैसे कि सर्दियों में।
- तने: कुछ पौधों के तनों में भी भोजन का भंडारण होता है, जैसे कि गन्ने में।
2. पौधे आवश्यकता से अधिक भोजन का क्या करते हैं?
Ans. पौधे आवश्यकता से अधिक भोजन का भंडारण करते हैं ताकि वे विभिन्न परिस्थितियों में जीवित रह सकें। जैसे:
- जब प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाता है: सर्दियों के दिनों में, दिन छोटे होते हैं और सूर्य की रोशनी कम होती है। इस समय, पौधे प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते हैं और वे अपने भंडारित भोजन का ही उपयोग करते हैं।
- जब पौधे को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है: जब पौधे फल या फूल पैदा कर रहे होते हैं, तो उन्हें अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इस समय, वे अपने भंडारित भोजन का उपयोग करते हैं।
- जब पौधे घायल होते हैं: यदि पौधे घायल हो जाते हैं, तो उन्हें ठीक होने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। यह ऊर्जा यह अपने भंडारित भोजन से प्राप्त करते हैं।
3. पौधे के किन किन भागों में भोजन संचित होता है?
Ans. पौधे के निम्नलिखित भागों में भोजन का संचय होता है:
- बीज: बीजों में भ्रूण के विकास के लिए भोजन का भंडारण होता है।
- फल: फलों में बीजों के अंकुरण और विकास के लिए भोजन का भंडारण होता है।
- जड़ें: जड़ों में भोजन का भंडारण पौधे के लिए ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका उपयोग पौधे तब करते हैं जब वह प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते है, जैसे कि सर्दियों में।
- तने: कुछ पौधों के तनों में भी भोजन का भंडारण होता है, जैसे कि गन्ने में।
- पत्तियां: कुछ पौधों की पत्तियों में भी भोजन का भंडारण होता है, जैसे कि मोटे पत्तों वाले पौधे।
4. पौधों में भोजन का संचालन कौन करता हैं?
Ans. पौधों में भोजन का संचालन फ्लोएम नामक एक विशेष ऊतक द्वारा होता है। फ्लोएम एक नलिका जैसा ऊतक होता है जो पौधे के सभी भागों में फैला होता है। यह ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्वों को पौधे के विभिन्न भागों में पहुंचाने का काम करता है।
5. पौधों में भोजन कहाँ बनता हैं?
Ans. पौधों में भोजन पत्तियों में बनता है। पत्तियों में क्लोरोफिल नामक एक हरा रंगद्रव्य होता है। क्लोरोफिल सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करके पानी और कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज (एक प्रकार की चीनी) में बदल देते है।
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