सिग्मा बंध तथा पाई बंध (sigma 𝞂 and pi 𝜋 bond)|in Hindi


सिग्मा बंध तथा पाई बंध (sigma (𝞂) and pi (𝜋) bond)

सिग्मा बंध तथा पाई बंध (sigma 𝞂 and pi 𝜋 bond)|in Hindi



सिग्मा बन्ध (sigma 𝞂 bond)- दो परमाणुओं के मध्य बना हुआ एक एकल बन्ध जो उनके कक्षकों के अक्षों पर परस्पर अतिव्यापन द्वारा बना है, सिग्मा-बन्ध (𝞂 बन्ध) कहलाता है। सिग्मा-बन्ध में इलेक्ट्रॉनों का घनत्व अन्तर-नाभिकीय अक्ष (inter-nuclear axis) पर सर्वाधिक होता है। इससे स्पष्ट है कि इलेक्ट्रॉन आवेश दो नाभिकों के बीच संचित रहता है। इस प्रकार का बन्ध मेथेन (CH4), ऐथेन (C2H6) आदि यौगिकों के अणुओं में उन कार्बन परमाणुओं के मध्य बनता है, जो परस्पर एकल सह-संयोजी बन्ध द्वारा जुड़े हों। इस प्रकार के अतिव्यापन में साधारण अयुग्मित कक्षक या संकरित कक्षक भाग लेते हैं। यह बन्ध अतिव्यापन द्वारा इस प्रकार बनते हैं


1. s-s बन्ध- दो परमाणुओं के s-कक्षकों के अतिव्यापन से बने सिग्मा-बन्ध को s-s बन्ध कहते हैं; जैसे - H2 के अणु में s-s अतिव्यापन से यह बन्ध बनता है। 

2. p-p बन्ध- दो परमाणुओं के p-कक्षकों के अक्षों पर अतिव्यापन से बना सिग्मा-बन्ध, p-p बन्ध कहलाता है; जैसे- फ्लुओरीन, क्लोरीन आदि। 

सिग्मा बंध तथा पाई बंध (sigma 𝞂 and pi 𝜋 bond)|in Hindi



3. s-p बन्ध- एक परमाणु के s-कक्षक तथा दूसरे परमाणु के p-कक्षक के अक्ष पर अतिव्यापन से बना बन्ध, s-p बन्ध कहलाता है; जैसे-H—F अणु में। 


(ब) पाई बन्ध (pi 𝜋 bond)- जब दो p-कक्षकों या p व d-कक्षकों या सिर्फ d-कक्षकों के पार्वीय अतिव्यापन (lateral overlapping) से जो बन्ध बनता है,उसे पाई-बन्ध कहते हैं। इस प्रकार के बन्ध में अन्तर-नाभिकीय कक्ष (inter-nuclear axis) पर इलेक्ट्रॉन का घनत्व शून्य होता है और अन्तर-नाभिकीय अक्ष के तल के दोनों ओर इलेक्ट्रॉन घनत्व बराबर होता है। 

सिग्मा बंध तथा पाई बंध (sigma 𝞂 and pi 𝜋 bond)|in Hindi



इस प्रकार का बन्ध एथिलीन (C2H4), ऐसीटिलीन (C₂H₂) आदि यौगिकों के अणुओं में उन कार्बन परमाणुओं के मध्य बनता है, जिनमें असंकरित p-कक्षक रहती है, जो पार्श्व-अतिव्यापन द्वारा द्वि-बन्ध या त्रि-बन्ध बनाती है।



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