धातुओं का संक्षारण तथा संक्षारण से प्रतिरक्षण के उपाय(Corrosion in hindi)


धातुओं का संक्षारण (Corrosion of Metals)

धातुओं का संक्षारण तथा संक्षारण से प्रतिरक्षण के उपाय(Corrosion in hindi)

धातुओं का वायु तथा नदी में नमी में परत दर परत विनाश धातुओं का संक्षारण (Corrosion of Metals) कहलाता है।
धातुओं का संक्षारण(Corrosion of Metals) राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंचाता है।


आपने देखा होगा कि,

  • लोहे की कीलों पेज पर तथा जंगले प्रायः वर्षा के समय जंग से ढक जाते हैं। 
  • एलुमिनियम के बर्तनों की सतह प्रयोग करते करते चमकहीन हो जाती है।
  • तांबे और पीतल के बर्तन यदि कुछ समय तक साफ नहीं किए जाए तो ये प्रायः अपनी चमक खो देते हैं और हरे रंग की परत से ढक जाते हैं।
  • चांदी के बर्तन तथा आभूषण की सतह काली पड़ जाती है।

यह सभी संक्षारण के उदाहरण हैं। संक्षारण धातु को परत दर परत खाता रहता है और धीरे-धीरे उसका विनाश करता रहता है। कई धातु जैसे प्लैटिनम, टाइटेनियम, सोना, निकल आदि संक्षारित नहीं होते हैं।


लोहे का संक्षारण (Corrosion of Iron)

लोहा जब नमी युक्त वायु के संपर्क में आता है तब उसके ऊपर भूरे रंग की परत जम जाती है जिसे जंग कहते हैं। जंग मुख्यतः हाइड्रेट फेरिक ऑक्साइड होता है।

वायु में अम्लीय गैसों की उपस्थिति जैसे कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, सल्फर  ट्राईऑक्साइड आदि लोहे की संक्षारण गति को बढ़ा देते हैं। नम वायु की उपस्थिति में लोहे की सतह पर भूरे रंग का चूर्ण बनना लौह संक्षारण कहलाता है।

जंग लगने की परिस्थितियां - लोहे में जंग केवल शुष्क वायु में नहीं लगता। ऑक्सीजन मुक्त शुद्ध जल में भी लोहे में जंग नहीं लगता है। लोहे में जंग लगने के लिए ऑक्सीजन और जल दोनों ही आवश्यक है।

एलुमिनियम का संक्षारण (Corrosion of Aluminum)

एलुमिनियम एक बहुत ही क्रियाशील धातु है। जब एलुमिनियम को नमी युक्त वायु में रखा जाता है तो उसकी सतह पर एलुमिनियम ऑक्साइड की परत बन जाती है। एलुमिनियम ऑक्साइड अपेक्षाकृत उदासीन होता है तथा एलुमिनियम का संक्षारण नहीं होने देता है। अल्युमिनियम ऑक्साइड की पतली परत एनोडाइजिंग प्रक्रिया द्वारा प्राप्त की जा सकती है।

तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के विद्युत अपघटन द्वारा विद्युत अपघटन बर्तन जिसमें एलुमिनियम पदार्थ को एनोड बनाया जाता है ,एनोडाइजिंग की प्रक्रिया निष्पादित(Executed) की जाती है। एनोड से उत्सर्जित ऑक्सीजन एलुमिनियम से संयोग करके अल्युमिनियम ऑक्साइड की समांगी परत बनाती है। एनोडाइजिंग प्रक्रिया का उपयोग रंगीन एलुमिनियम ऑक्साइड की परत प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।

तांबे का संक्षारण (Corrosion of Copper)

तांबा भी एक बहुत ही क्रियाशील धातु है। कार्बन डाइऑक्साइड तथा नमी की उपस्थिति में यह हरे रंग की परत से ढक जाता है जो क्षारीय कॉपर कार्बोनेट होता है।

चांदी का संक्षारण (Corrosion of Silver)

सामान्य तापमान पर चांदी वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ संयोग नहीं करती है। चांदी पर नमी का कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन वायु में उपस्थित हाइड्रोजन सल्फाइड गैस की उपस्थिति में चांदी काले रंग की परत से ढक जाती है।


संक्षारण से प्रतिरक्षण (Preservation of Corrosion)

धातुओं के संक्षारण के कारण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भारी क्षति उठानी पड़ती है। अतः धातुओं का संक्षारण विशेषकर लोहे के संक्षारण का प्रतिरक्षण करना बहुत आवश्यक होता है। धातुओं को संक्षारण से बचाने के लिए उन्हें नमी युक्त हवा से दूर रखना चाहिए और उन्हें उसके संपर्क में नहीं आने देना चाहिए।

संक्षारण से प्रतिरक्षा के लिए कई विधियां हैं जिन्हें हम उपयोग कर सकते हैं जिनमें से कुछ विधियां इस प्रकार हैं-

1. पेंट ग्रीस अथवा तेल का प्रयोग -धात्विक वस्तुओं की सतह पर पेंट ग्रीस अथवा तेल की परत धातुओं को नमी युक्त वायु के संपर्क मैं आने पर उस से बचाती है।

2. यशदीकरण द्वारा (Through Galvanisation)- लोहे की वस्तुओं को जस्ते की पतली परत से ढकना यशदीकरण(Galvanisation) कहलाता है। लोहे पर जस्ते की परत लगाने से या उस पर जंग लगने से रोकती है। यशशीकृत लोहे की चादरों का प्रयोग छत बनाने, बाल्टियां बनाने तथा ड्रम आदि बनाने में किया जाता है।

3. संक्षारण- प्रतिरोधक धातुओं के विद्युत लेपन द्वारा- धातुओं पर विद्युत लेपन द्वारा किसी भी अन्य संक्षारण प्रतिरोधक धातु जैसे निकल क्रोमियम आदि की परत चढ़ा कर उनका प्रतिरक्षण किया जा सकता है। क्रोमियम और निकल की परतें मशीनी कल पुर्जों, शौचालय के नलों आदि को जंग से बचाता है।

4. कलई द्वारा टिन एक संक्षारण प्रतिरोधक तथा अविषाक्त धातु है। अतः इसका प्रयोग लोहे पीतल तथा तांबे के बर्तनों को रंगने में किया जाता है जो खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखते हैं। उदाहरण के लिए कलईदार पीतल के बर्तनों का उपयोग खाना पकाने तथा रखने के लिए किया जाता है। घी ,तेल ,दूध आदि को रखने के लिए बने डिब्बे भी कलईदार लोहे की चादर से बनते हैं।

5. सम्मिश्रण द्वारा- कुछ धातुओं को संक्षारण-प्रतिरोधक बनाने के लिये अन्य धातुओं के साथ सम्मिश्रण कर मिश्र धातु (Alloy)बना दिया जाता है।

6. कैथोडिक बचाव द्वारा - किसी धातु को संक्षारण से बचाने के लिए उसे अधिक क्रियाशील धातु के साथ जोड़ना धातु का कैथोडिक बचाव कहलाता है। उदाहरण के लिए जब लोहे को मैग्नीशियम के टुकड़े के साथ जोड़ा जाता है तब वह तब तक संचारित नहीं होता जब तक मैग्नीशियम उपस्थित रहता है।

यह कुछ उपाय हैं जिनको करके हम धातुओं को संक्षारण (Corrosion) से बचा सकते हैं।



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