धातु क्या है?,उपस्थिति,विशेषताएं,गुण(Metals: an Overview)|hindi


धातु क्या है (What is Metals)

धातु आमतौर पर क्रिस्टलीय ठोस होते हैं।
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धातुओं की उपस्थिति (Occurrence of Metals)

 ➤  धातु प्रकृति में दो रूपों में पाए जाते हैं- स्वतंत्रत तथा संयुक्त रूप में। कम क्रियाशील धातु जैसे सोना, चांदी, तथा प्लैटिनम आदि मुक्त अवस्था में पाए जाते हैं फिर भी अधिकतर धातु संयुक्त अवस्था में खनिज के रूप में जमीन में पाए जाते हैं। वे सभी धातु जो वायु में उपस्थित जल तथा गैसों के द्वारा प्रभावित नहीं होते हैं वे प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में उपस्थित रहते हैं। जैसे सोना, चांदी, प्लैटिनम,मरक्युरी आदि।

 ➤  दूसरी ओर ,वे धातु है जो जल ,कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन तथा अन्य रसायनों के साथ प्रतिक्रिया करते रहते हैं और प्रकृति में, यौगिक के रूप में संयुक्त अवस्था में उपस्थित रहते हैं। जैसे सोडियम ,पोटैशियम ,लोहा, एल्यूमीनियम ,तांबा आदि। जैसे- एल्यूमीनियम (Al)पृथ्वी की भू- पर्पटी पर सर्वाधिक पाई जाने वाली धातु है । लोहा तथा कैल्शियम क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर पृथ्वी की भूपर्पटी पर सर्वाधिक मात्रा में पाई जाने वाली धातुएं हैं।

"धातु या खनिजों से युक्त वे प्राकृतिक पदार्थ जो पृथ्वी के तल में पाए जाते हैं, खनिज (Minerals) कहलाते हैं।"

 ➤  खनिज में धातुओं की मात्रा कम या अधिक हो सकती है तथा खनिजों में पाए जाने वाले खनिज का प्रतिशत विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न हो सकता है। वे खनिज जिनसे धातुओं को व्यापारिक स्तर पर आसानी से तथा कम खर्च में प्राप्त कर सकते हैं उन्हें अयस्क (Ore) कहते हैं।


उदाहरण के लिए ,यदि कोई धातु ,अयस्क में ऑक्सीकारक के रूप में उपस्थित है तब यह ऑक्सीकारक अयस्क कहलाएगा। इसी प्रकार अयस्कों के कुछ सामान्य उदाहरण इस प्रकार हैं जैसे ऑक्सीकारक अयस्क ,कार्बोनेट अयस्क, सल्फाइड अयस्क तथा हेलाइड अयस्क आदि।


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धातुओं की विशेषताएं(Characteristics of Metals)

धातुओं की कई विशेषताएं होती है जिनमें से कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं-

 ➤  धातु ताप विद्युत के सुचालक होते हैं अर्थात इनमें से बिजली सरलता से गुजर सकती है।

 ➤  सभी धातु, मरकरी को छोड़कर, सामान्य तापमान पर ठोस रहते हैं। सिर्फ मर्करी ही एक ऐसा धातु है जो सामान्य तापमान पर तरल अवस्था में रहता है।

 ➤  धातु आघात वर्धनीय तथा तन्य(Malleable and tensile) होते हैं अर्थात इन धातुओं को पीट-पीटकर पतला करके पतले पत्तर में परिवर्तित किया जा सकता है (जैसे- मिठाई पर लगने वाला चांदी व सोने का वर्क) तथा इनकी तारे खींची जा सकती हैं।

 ➤  धातुओं में चमक होती है जिसे धात्विक चमक कहते हैं और उन्हें चमकाया जा सकता है।

 ➤  धातुओं में उच्च तनन (Tensile) शक्ति होती है अर्थात यह बहुत अधिक दबाव सह सकते हैं।

 ➤  धातु धन विद्युतीय होते हैं अर्थात धातुओं में इलेक्ट्रॉन को गवा कर धन आवेशित आयन जिन्हें धनायन कहते हैं बनाने की प्रवृत्ति होती है।


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धातुओं के भौतिक गुण (Physical Properties of Metals)

सभी धातु कुछ समान भौतिक गुण दर्शाते हैं लेकिन इनमें से कुछ अपवाद भी होते हैं। धातुओं के कुछ भौतिक गुण इस प्रकार हैं-

 ➤  भौतिक अवस्था (physical state) : सामान्य दबाव पर तथा सामान्य ताप पर सभी धातुएं ठोस अवस्था में ही रहती हैं लेकिन मरकरी ही एक ऐसा धातु है जो सामान्य दबाव तथा सामान्य ताप पर तरल अवस्था में रहता है। 

 ➤  रंग (color) : अधिकतर धातु सोने तथा तांबे को छोड़कर रुपहले मटमैला रंग के होते हैं। तांबे का रंग लाल भूरा तथा सोने का रंग गहरा पीला होता है।

 ➤  रूप (form) : सभी धातु चमकीले होते हैं। धातुओं की अपनी विशेष चमक होती है। धातुओं के चमकने की विशेषता धात्विक चमक कहलाती है। अतः सभी धातुओं  में
 धात्विक चमक होती है और इन्हें सरलता से चमकाया जा सकता है।



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 ➤  कठोरता (Hardness) : सभी धातु बहुत कठोर होते हैं। सिर्फ पोटैशियम और सोडियम को छोड़कर। पोटैशियम और सोडियम ऐसे धातु हैं जिन्हें चाकू से सरलता से काटा जा सकता है। इसके विपरीत ओसमियम धातु इतनी कठोर होती है की इससे शीशा खुरचा जा सकता है।

 ➤  तनन क्षमता (Tensile Strength) : धातुओं में बहुत उच्च तनन क्षमता होती है और यह बहुत अधिक मजबूत होते हैं। उदाहरण के लिए लोहा बहुत अधिक दबाव सह सकता है इसीलिए इसका प्रयोग इमारतों पुल रेलवे लाइन इत्यादि बनाने में किया जाता है।

 ➤  आघातवर्धनीयता (Malleability) : धातु आघातवर्धनीय होते हैं इसका अर्थ यह होता है कि धातुओं को हथौड़े से पीट-पीटकर पतली चादरों में परिवर्तित किया जा सकता है तथा उनका प्रयोग विभिन्न उपयोग में किया जा सकता है। जैसे चांदी को बहुत पतली पत्तरों में पीटा जा सकता है जिसका प्रयोग मिठाइयों पर वर्क के रूप में किया जाता है जिसे तुमने देखा ही होगा। इसके अलावा एलुमिनियम फाइल का प्रयोग हम खाने पीने की वस्तुओं को पैक करने में करते हैं।

 ➤  तन्यता (Ductility) : धातु बहुत तन्य होते हैं। अर्थात धातुओं से बहुत लंबी लंबी तारे खींची जा सकती हैं जिनका प्रयोग बिजली के तारों में किया जाता है। इसके अलावा सोने और चांदी की भी बहुत पतली पतली तारे खींची जा सकती हैं। उदाहरण के लिए तांबे और एलुमिनियम का प्रयोग विद्युत तारों में व केबल मैं किया जाता है क्योंकि यह विद्युत के सुचालक होते हैं। इसके अलावा इनका प्रयोग खाना पकाने वाले बर्तनों में भी किया जाता है क्योंकि यह उष्मा के सुचालक भी होते हैं।

 ➤  चालकता (Conductivity) : धातु ऊष्मा और विद्युत की सुचालक होती है। चांदी विद्युत की सर्वश्रेष्ठ सुचालक होती है। चांदी के पश्चात तांबा विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक होता है।


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 ➤  
घनत्व (Density): सभी धातुओं में उच्च घनत्व होता है सिर्फ सोडियम और पोटेशियम ऐसे धातु होते हैं जिनका घनत्व बहुत कम होता है।

 ➤  ध्वनि (Sound) : धातु ध्वनिज होते हैं। धातुओं को हथौड़े से पीटा जाता है या उन पर चोट की जाती है तब वह ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसी कारण धातु का प्रयोग घंटी बनाने, वाद्य यंत्रों के तार आदि बनाने के लिए किया जाता है।




धातुओं के रासायनिक गुण (Chemical Properties of Metals) 
सभी धातु समान रासायनिक अभिक्रियाएं देती हैं लेकिन फिर भी धातुओं की क्रियाशीलता अभिक्रियाओं की स्थिति और उनके प्रकृति पर निर्भर करती है। धातुओं की कुछ सामान्य रासायनिक अभिक्रियाएं इस प्रकार हैं:

 ➤  ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया सब सभी धातु ऑक्सीजन के साथ संयोग करके धात्विक ऑक्सीकारक बनाते हैं। यह धातु ऑक्सीजन के साथ विभिन्न स्थितियों में संयोग करते हैं जो इस प्रकार है-

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 ➤  जल के साथ अभिक्रिया विभिन्नता धातु जल के साथ भिन्न-भिन्न स्थितियों में अभिक्रिया करते हैं कुछ सामान्य धातु की जल के साथ अभिक्रियाएं इस प्रकार हैं-

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 ➤  अम्लों के साथ अभिक्रिया अधिकतर धातुएं तनु अम्लों के साथ संयोग कर लवण तथा हाइड्रोजन गैस उत्पादित करती हैं। तनु अम्लों के साथ कुछ सामान्य तत्वों की अभिक्रिया इस प्रकार हैं-

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कुछ भोज्य पदार्थ जैसे नींबू फल चटनी अचार दही इत्यादि को जस्ते ,तांबे ,एलुमिनियम या लोहे के बर्तनों में रखने की इजाजत नहीं दी जाती है क्योंकि इन भोज्य पदार्थों में कमजोर अम्ल होता है जो इन धातुओं के साथ संयोग करके विषैले यौगिकों का निर्माण करते हैं जिससे भोजन जहरीला हो जाता है।


धातुओं के ऑक्सीकारक (Oxides of Metals)
धातुओं के ऑक्सीकारक की प्रकृति क्षारीय होती है। धातु ऑक्सी कारकों को पानी में घोला जाता है तब यह क्षारीय विलयन बनाते हैं जो लाल लिटमस को नीला रंग में बदल देता है। जैसे मैग्नीशियम हवा में जलकर मैग्निशियम ऑक्साइड देता है जिसका स्वभाव क्षारीय होता है।


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