संवेग: परिभाषा, सूत्र, मात्रक, उदाहरण (Momentum in hindi)


संवेग (Momentum)


परिभाषा (Definition)
संवेग को समझने के लिए हम एक उदाहरण लेते हैं -

मान लीजिये हमारे पास कैरम बोर्ड पर दो गोटें हैं, एक बड़ी और एक उससे छोटी । यदि हम दोनों को बारी-बारी से अंगुली के द्वारा समान बल से चोट दें तो हम देखते हैं कि बड़ी गोट इतने तीव्र वेग से नहीं भागती जितने वेग से छोटी गोट भागती है। इसी प्रकार यदि दो भिन्न-भिन्न द्रव्यमान वाली वस्तुयें समान वेग से चल रही हैं तो उन्हें रोकने के लिए कम द्रव्यमान वाली वस्तु की अपेक्षा अधिक द्रव्यमान वाली वस्तु पर अधिक बल लगाना पड़ेगा। इस प्रकार, चलाने वाला अथवा रोकने वाला बल वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है ।

अब मान लो हम क्रिकेट की समान द्रव्यमान वाली दो गेंद को लेकर एक को अधिक वेग से तथा दूसरी को कम वेग से फेंक देते हैं। हम देखेंगे कि तीव्र वेग से आने वाली गेंद को रोकने के लिए उस पर अधिक बल लगाना होगा तथा कम वेग से आने वाली पर कम बल लगाना पड़ेगा। अतः स्पष्ट है कि किसी वस्तु की विराम अथवा गति की अवस्था में परिवर्तन करने के लिए आवश्यक बल, वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग दोनों पर निर्भर करता है।

अतःकिसी वस्तु के द्रव्यमान तथा वेग के गुणनफल को वस्तु का संवेग कहते हैं। इसे p से प्रदर्शित करते हैं। अतः यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो तथा वेग v हो, तो

P = m × v
संवेग = द्रव्यमान x वेग

संवेग का मात्रक : संवेग के मात्रक को कोई अलग नाम नहीं दिया गया है। इसके मात्रक को (द्रव्यमान x वेग) के मात्रकों में ही लिखा जाता है। अतः सी० जी० एस० प्रणाली में संवेग का मात्रक 'ग्राम-सेमी/सेकण्ड' होता है। इसे 'डाइन-सेकण्ड' भी लिख सकते हैं। एम० के० एस० प्रणाली में संवेग का मात्रक 'किग्रा-मीटर/सेकण्ड' है। इसे 'न्यूटन-सेकण्ड' भी लिख सकते हैं। संवेग एक सदिश राशि है तथा इसकी दिशा वही होती है जो कि वेग की दिशा है।




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