चाल,वेग तथा त्वरण क्या है(Speed,Velocity,Acceleration in hindi); परिभाषा तथा सूत्र


चाल,वेग तथा त्वरण(Speed, Velocity, Acceleration in hindi); परिभाषा तथा सूत्र


गति की सापेक्षता
हम अपने आसपास प्रतिदिन अनेक गतियाँ देखते हैं; जैसे सड़क पर दौड़ती मोटर, समुद्र में चलता जहाज, वायु में उड़ता पक्षी, इत्यादि । इन सभी वस्तुओं की स्थिति किसी स्थिर बिन्दु के सापेक्ष समय के साथ-साथ बदलती है। ऐसी वस्तुयें 'गति की अवस्था' में कही जाती हैं। इसके विपरीत, यदि वस्तु की स्थिति समय के साथ-साथ नहीं बदलती तो वह विरामावस्था में कहलाती है। गति और विराम शब्द आपेक्षिक (relative) हैं। यदि कोई मनुष्य नाव बैठकर नदी पार कर रहा है तो वह मनुष्य नाव को देखते हुए विरामावस्था में है क्योंकि नाव के सापेक्ष उसकी स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता; परन्तु नदी को देखते हुए वह गति की अवस्था में है। पटरियों पर दौड़ती रेलगाड़ी में बैठी सवारियाँ, पटरियों के किनारे खड़े पेड़ों व खम्भों के सापेक्ष तो गृति की अवस्था में हैं (क्योंकि इनके सापेक्ष सवारियों की स्थिति बदल रही हैं) परन्तु सवारियाँ रेलगाड़ी के सापेक्ष विरामावस्था में हैं (क्योंकि रेलगाड़ी के सापेक्ष सवारियों की स्थिति में परिवर्तन नहीं होता) । इसी प्रकार, यदि दो कारें समान चाल से एकसाथ जा रही हैं तो वे एक दूसरे के सापेक्ष तो विरामावस्था में हैं, परन्तु सड़क पर स्थित पेड़ों तथा सड़क पर जाने वाले मनुष्यों को देखते हुए गति की अवस्था में हैं। इस प्रकार, एक ही वस्तु साथ-साथ गति एवं विराम की अवस्था में हो सकती है। वास्तव में, कोई भी वस्तु निरपेक्ष विरामावस्था (absolute rest position) में नहीं हो सकती।



गति से सम्बन्धित कुछ परिभाषायें
इसके अंतर्गत दूरी ,विस्थापन ,चाल, वेग ,तथा त्वरण आते हैं। जिनकी परिभाषाएं तथा सूत्र इस प्रकार हैं -

(2) चाल (Speed) : कोई वस्तु एकांक समयान्तराल (time-interval) में जितनी दूरी चलती है उसे उस वस्तु की 'चाल' कहते हैं :

चाल = दूरी / समयान्तराल

चाल को प्रायः v से प्रदर्शित करते हैं।
माना कि कोई वस्तु एक सीधी रेखा में गतिमान है। इसकी t1 समय पर किसी निश्चित बिन्दु से दूरी s1 है तथा t2 समय पर s2 हो जाती है। इसका अर्थ है कि वस्तु ने (t2 -t1) समयान्तराल में (s2 -s1) दूरी तय की है। अतः वस्तु की चाल

V = S2 - S1/t2-t1

यदि किसी राशि में कोई अन्तर होता है तो उस होने वाले अन्तर को प्रकट करने के लिए 🔺️(डेल्टा) प्रतीक का उपयोग करते हैं। दूरियों के अन्तर (s2 -s1) को 🔺️s तथा समयों के अन्तर (t2 -t1) को 🔺️t लिख सकते हैं (इस प्रकार लिखने की बचत होती है) । अतः 🔺️ प्रतीक का उपयोग करने पर, वस्तु की चाल

v = 🔺️s/🔺️t

एस० आई० पद्धति में चाल का मात्रक 'मीटर प्रति सेकण्ड' (मी/से) होता है।

समान तथा असमान गति (Uniform and Non-uniform Motion) : यदि वस्तु बराबर समयान्तरालों में बराबर दूरियाँ तय कर रही है तो उसकी गति (चाल) 'समान' (uniform) गति कहलाती है। परन्तु यदि वह बराबर समयान्तरालों में भिन्न-भिन्न दूरियाँ तय कर रही है तब उसकी गति 'असमान' गति कहलाती है। इस दशा में वस्तु द्वारा चली गयी कुल दूरी को यात्रा में लगे कुल समय से भाग करके वस्तु की 'औसत चाल' (average speed) ज्ञात कर लेते है। यदि वस्तु की चाल एकसमान हो तो चाल तथा औसत चाल में कोई अन्तर नहीं होता।



(3) वेग (Velocity) : कोई वस्तु एकांक समयान्तराल में जितनी विस्थापित होती है उसे वस्तु का 'वेग' कहते हैं :

वेग का सूत्र = वेग = विस्थापन/समयान्तराल

वेग को भी v से ही प्रदर्शित करते हैं तथा इसका मात्रक भी वही है जो कि चाल का है।
चाल तथा वेग दो अलग-अलग राशियाँ हैं। चाल एक अदिश राशि है जिसमें केवल परिमाण होता है, दिशा नहीं। माना कि एक गाड़ी की चाल 20 किलोमीटर/घण्टा है। इसका केवल यह अर्थ है कि गाड़ी 1 घण्टे में 20 किलोमीटर चल रही है। इस कथन से यह पता नहीं चलता है कि गाड़ी किस दिशा में जा रही है। गाड़ी का स्पीडोमीटर (चाल मापक यंत्र) गाड़ी की तात्कालिक चाल ही बताता है (तात्कालिक वेग नहीं) ।

वेग एक सदिश राशि है। इसमें परिमाण के साथ-साथ दिशा भी होती है। अतः वेग को हम वेक्टर द्वारा निरूपित कर सकते हैं। यदि कोई गाड़ी 1 घण्टे में 20 किलोमीटर पूर्व की ओर जा रही है तो हम कहेंगे कि गाड़ी का वेग 20 किलोमीटर/घण्टा पूर्व दिशा में है। यहाँ वेग का परिमाण 20 किलोमीटर/घण्टा है तथा वेग की दिशा पूर्व है। ( वेग का परिमाण वास्तव में चाल ही है।) यदि परिमाण (चाल) अथवा दिशा में से एक भी बदल जायें तो वेग बदल जायेगा। यदि दो वस्तुयें समान चाल से विभिन्न दिशाओं में चले तब उनके वेग समान नहीं होंगे। यदि कोई वस्तु बराबर समयान्तराल में बराबर दूरियाँ तय करती हैं परन्तु उसकी दिशा बदलती रहती है तब उसकी चाल एकसमान है परन्तु वेग परिवतीं है। उदाहरण के लिये, यदि कोई वस्तु एक वृत्तीय पथ एक एकसमान चाल से चल रही है तब उसका वेग लगातार बदलता जा रहा है क्योंकि उसकी दिशा लगातार बदल रही है।

औसत चाल तथा औसत वेग: औसत चाल तथा औसत वेग का अर्थ एक ही नहीं है; दोनों में स्पष्ट अन्तर है। माना कि हमारा स्कूल हमारे घर से 2 किलोमीटर दूर है तथा हमें अपने घर से स्कूल तक जाने तथा स्कूल से घर तक लौटने में 1 घण्टा लगता है। इसका अर्थ है कि हमने 1 घण्टे में 4 किलोमीटर दूरी तय की। अतः हमारी औसत चाल 4 किलोमीटर / घण्टा हुई। परन्तु चूँकि हमारा विस्थापन शून्य ही रहा अतः हमारा औसत वेग भी शून्य ही है। इसी प्रकार, यदि कोई वस्तु वृत्ताकार मार्ग में चक्कर काट रही है तो एक चक्कर के पश्चात् उसका विस्थापन शून्य होगा। अतः उसका औसत वेग भी शून्य होगा, परन्तु औसत चाल शून्य नहीं है।

सापेक्ष वेग तथा निरपेक्ष वेग (Relative velocity and Absolute Velocity) : यदि दो वस्तुयें एक ही समय भिन्न-भिन्न वेग से गतिमान हैं तो एक के वेग के सापेक्ष दूसरी वस्तु के वेग को 'सापेक्ष वेग' कहते हैं।
माना दो वस्तुयें परस्पर समान्तर चल रही हैं।ऐसे में दो स्थितियाँ सम्भव हैं:
(i) जब वे दोनों एक ही दिशा में चल रही हैं,
(ii) जब दोनों विपरीत दिशा में चल रही हैं।

माना पहली वस्तु का वेग u है तथा दूसरी वस्तु का वेग v है। एक ही दिशा में चलने पर, पहली वस्तु के सापेक्ष दूसरी का वेग (v-u) तथा दूसरी वस्तु के सापेक्ष पहली का वेग (u-v) होगा। यदि दोनों विपरीत दिशा में चल रही हैं तो एक का वेग दूसरी के सापेक्ष (u+v) होगा।
यदि एक वस्तु स्थिर है तथा दूसरी चल रही है तो दूसरी का वेग निरपेक्ष वेग कहलाता है।



(4) त्वरण (Acceleration) : यदि किसी गतिमान वस्तु के वेग में परिवर्तन हो रहा हो तब उसकी गति 'त्वरित गति' (accelerated motion) कहलाती है। वेग में यह परिवर्तन वेग के परिमाण (चाल) में, अथवा दिशा में, अथवा दोनों में हो सकता है। यदि वस्तु एक सरल रेखा में चल रही है तब उसके वेग के परिमाण (चाल) में ही परिवर्तन होता है।

किसी वस्तु के वेग-परिवर्तन की दर को उस वस्तु का 'त्वरण' कहते हैं। दूसरे शब्दों में, एकांक समयान्तराल वस्तु में के वेग में जितना परिवर्तन होता है, उसे त्वरण कहते हैं

सूत्र,  त्वरण = वेग में परिवर्तन/समयान्तराल

त्वरण को प्राय: a से प्रदर्शित करते हैं। चूँकि वेग सदिश राशि है, अतः त्वरण भी एक सदिश राशि है तथा इसे वेक्टर द्वारा निरूपित कर सकते हैं।

माना किसी गतिमान वस्तु का t1 समय पर वेग v2 है तथा t2 समय पर v2 हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि (t2 -t1) समयान्तराल में वस्तु के वेग में (v2 -v1) का परिवर्तन हुआ । अतः वस्तु का त्वरण

a = v2 - v1 / t2 - pt1 =Δv/Δt

एस० आई० पद्धति में त्वरण का मात्रक 'मीटर प्रति सेकण्ड प्रति सेकण्ड' अर्थात् मीटर/सेकण्ड² (मी/से²) होता है।

यदि वस्तु के वेग में बराबर समयान्तरालों में बराबर परिवर्तन हो रहा है तो उसका त्वरण 'एकसमान' कहलाता है। यदि वस्तु के वेग का परिमाण (अर्थात् वस्तु की चाल) समय के साथ-साथ बढ़ रहा है तो वस्तु का त्वरण धनात्मक होता है। यदि वेग का परिमाण घट रहा है तो त्वरण ऋणात्मक होता है तथा तब इसे 'मंदन' (retardation) कहते हैं।

 


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