न्यूटन के गति का पहला नियम:स्पष्टीकरण,उदाहरण(Newton's first law of motion)|hindi


न्यूटन के गति का पहला नियम (Newton's first law of motion)

हम न्यूटन के गति के नियम के बारे में पहले पढ़ चुके हैं लेकिन इसका विस्तारपूर्ण अध्ययन हम नीचे करेंगे।
नीचे हम न्यूटन के गति के पहले नियम के स्पष्टीकरण के बारे में पढ़ेंगे।


न्यूटन के पहले नियम का स्पष्टीकरण  (Explanation of Newton's first law) जड़त्व (Inertia)

कोई भी वस्तु अपनी वर्तमान अवस्था को स्वयं नहीं बदल सकती। यदि वह विराम अवस्था में है तो विराम अवस्था में ही रहेगी और यदि वह एकसमान वेग से किसी दिशा में चल रही है तो उसी वेग से उसी दिशा में चलती रहेगी।

न्यूटन के गति का पहला नियम:स्पष्टीकरण,उदाहरण(Newton's first law of motion)|hindi

 

जैसे, मेज पर रखी किताब मेज पर ही रखी रहती है (जब तक कि उसे हटाया न जाये)। इसी प्रकार, सड़क पर लुढ़कती गेंद लुढ़कती ही रहती है (जब तक कि गेंद व सड़क के बीच का घर्षण बल उसे रोक नहीं देता) । चिकने तलों के बीच में घर्षण कम होता है। 

अतः यदि काँच की गेंद को काँच के फर्श पर लुढ़कायें तो वह अधिक दूर जाकर रुकती है। बर्फ की गेंद बर्फ के तल पर और भी अधिक दूर तक जाती है। अतः हम यह मान सकते हैं कि यदि घर्षण तथा अन्य विरोधी बल बिल्कुल न रहें (यद्यपि ऐसा होना असम्भव है) तो चलती हुई वस्तु सदैव चलती ही रहेगी। वस्तुओं की इस प्रवृत्ति को कि वे स्वतः अपनी विराम अथवा गति की अवस्था को नहीं बदलतीं 'जड़त्व' (inertia) कहते हैं।

यदि हम क्षैतिज पर रखे 10 किग्रा तथा 100 किग्रा के दो पिण्डों का खिसकाने का प्रयत्न करें तो हम पाते हैं कि 100 किग्रा के पिण्ड को खिसकाने के लिये अधिक बल की आवश्यकता होगी अर्थात् 100 किग्रा का पिण्ड अपनी विराम अवस्था में परिवर्तन का अधिक विरोध करता है। इस प्रकार, पिण्ड का जड़त्व उसके द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है। 

जड़त्व दो प्रकार का होता है :

(i) विराम का जड़त्व
(ii) गति का जड़त्व


विराम का जड़त्व (Inertia of R
est) : यदि कोई वस्तु विराम अवस्था में है तो वह तब तक विराम अवस्था रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल लगाकर उसकी विराम की अवस्था को बदल नहीं दिया जाये।

गति का जड़त्व (Inertia of Motion) : यदि कोई वस्तु एकसमान चाल से सीधी रेखा में चल रही है तो वह वैसे ही चलती रहेगी जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल लगाकर उसकी गति की अवस्था को बदल नहीं दिया जाये।

इस प्रकार, बल वह बाह्य कारक है जिसके द्वारा किसी वस्तु की विराम अथवा गति की अवस्था में परिवर्तन किया जाता है।

उदाहरण: जड़त्व के अनेक ऐसे उदाहरण जो हमें दैनिक जीवन में मिलते हैं जिससे हम इसे सरलता से समझ सकते हैं। इन्हीं में से कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) ग्लास पर रखे गत्ते को अचानक हटा देने पर उस पर रखे सिक्के का ग्लास में गिर जाना : काँच के ग्लास पर एक गत्ता रखें और उस पर एक सिक्का रखें। जब गत्ते को अचानक अंगुली से टकराकर हटा देते हैं तो सिक्का ग्लास में गिर जाती है। इसका कारण यह है कि प्रारम्भ में गत्ता और सिक्का दोनों विरामावस्था में हैं। अंगुली से टकराने पर गत्ते में गति उत्पन्न हो जाती है। जबकि सिक्का जड़त्व के कारण उसी स्थान पर ठहरा रहता है। अतः गत्ता हटकर आगे बढ़ जाता है, तथा सिक्का ग्लास में गिर जाता है। 

न्यूटन के गति का पहला नियम:स्पष्टीकरण,उदाहरण(Newton's first law of motion)|hindi



(2) चलती हुई मोटरकार के अचानक रुकने पर उसमें बैठे यात्री आगे को झुक जाना : मोटरकार के रुकने पर उसका फर्श तथा उस पर टिके यात्रियों के पैर तुरन्त ठहर जाते हैं परन्तु शरीर का शेष भाग जड़त्व के कारण अभी भी गतिशील रहता है । इसलिये यात्री आगे की ओर झुक जाते हैं। यही कारण है कि तेज दौड़ता हुआ घोड़ा जब यकायक रुक जाता है तो उस पर ढीला-ढाला बैठा हुआ सवार आगे की ओर गिर जाता है। इसी प्रकार जब कोई यात्री जल्दी में चलती हुई गाड़ी से उतरता है तो वह आगे की ओर गिर जाता है। उसके पैर पृथ्वी को छूते ही विरामावस्था में आ जाते हैं परन्तु शरीर का ऊपरी भाग उसी वेग से चलते रहने का प्रयत्न करता है। अतः वह गाड़ी के चलने की दिशा में ही गिर पड़ता है। इसलिये चलती गाड़ी से उतरने पर थोड़ी दूर गाड़ी के साथ-साथ दौड़ना चाहिये। ऐसा करके यात्री अपनी मांसपेशियों द्वारा उपयुक्त बल लगाकर पूरे शरीर को एकसाथ रोक लेता है।

यदि हम किसी गाड़ी में बैठे हैं और गाड़ी अचानक दायीं ओर को मुड़ जाती है तो हमारे पैर तो गाड़ी के साथ-साथ दायीं दिशा में वेग ले लेते हैं परन्तु शरीर का ऊपरी भाग अभी पहली दिशा में ही गतिमान रहता । अतः हमारा शरीर विपरीत दिशा में (बायीं ओर को) झुक जाता है।

(3) ठहरी हुई मोटर या रेलगाड़ी के अचानक चल पड़ने पर उसमें बैठे यात्रियों का पीछे की ओर गिरना : इसका कारण यह है कि यात्री के शरीर का निचला भाग गाड़ी के सम्पर्क में होने के कारण गाड़ी के चलने पर तुरन्त ही चल पड़ता है, परन्तु ऊपरी भाग जड़त्व के कारण अभी वहीं ठहरा रहना चाहता है, इसलिये पीछे रह जाता है। इसी प्रकार चलती हुई गाड़ी पर चढ़ने वाले यात्री के पैर गाड़ी पर चढ़ते ही गतिशील हो जाते हैं परन्तु शरीर अपनी विराम अवस्था में ही रहता है जिसके कारण यात्री पीछे की ओर गिर पड़ता है। अतः चलती गाड़ी पर चढ़ने से पहले कुछ दूर गाड़ी की दिशा में दौड़ना चाहिये।

(4) खिड़की के शीशे में बन्दूक की गोली मारने पर शीशे में एक गोल छेद हो जाता है, परन्तु पत्थर का एक छोटा-सा टुकड़ा मारने पर शीशा चटख जाता है: जिस स्थान पर गोली लगती है उस स्थान के शीशे में तेज गति पैदा हो जाती है, परन्तु शीशे का शेष भाग जड़त्व के कारण विरामावस्था में ही रहता है। जब तक वह भाग गतिशील हो, तब तक गोली आर-पार निकल चुकी होती है। अत: गोली लगने के स्थान पर छेद हो जाता है। परन्तु पत्थर का वेग कम होता है, अतः उसके शीशे के पार निकलने से पहले ही शेष शीशा भी वेग ले लेता है, इसलिये चटख जाता है।

(5) कम्बल को हाथ में पकड़कर डन्डे से पीटने पर धूल के कण झड़कर गिर पड़ते हैं : डन्डे से पीटने पर कम्बल तो गतिमान हो जाता है, परन्तु धूल के कण जड़त्व के कारण वहीं ठहरे रहते हैं। अतः कण कम्बल से अलग हो जाते हैं तथा नीचे गिर पड़ते हैं। यही कारण है कि पेड़ को हिलाने से उसके फल टूटकर नीचे गिरने लगते हैं।

(6) हथौड़े को हत्थे में कसने के लिए हत्थे को पृथ्वी पर ऊर्ध्वाधर पटकते हैं: जब हथौड़े के हत्थे को नीचे की ओर करके पृथ्वी पर पटकने के लिए तीव्र वेग से लाते हैं तो हथौड़ा तथा हत्था दोनों गति की अवस्था में होते हैं। हत्थे का सिरा पृथ्वी पर लगते ही विरामावस्था में आ जाता है, परन्तु हथौड़ा अब भी जड़त्व के कारण गति की अवस्था में रहता है जिससे वह नीचे आकर हत्थे में और कस जाता है |

(7) रेल के डिब्बे में बैठकर गेंद उछाल सकते हैं: यदि चलती रेल के डिब्बे में बैठा व्यक्ति एक गेंद ऊपर की ओर फेंककर उसके ठीक नीचे हाथ कर दे तो गेंद फिर उसके हाथ में लौट आती है। यह भी जड़त्व के कारण ही सम्भव है। जड़त्व के कारण गेंद बराबर गाड़ी के साथ उसी वेग से क्षैतिज दिशा में चलती रहती है यद्यपि उसकी यह गति ज्ञात नहीं पड़ती क्योंकि व्यक्ति भी गाड़ी के साथ-साथ उसी वेग से क्षैतिज दिशा में चलता रहता है।

(8) लम्बी कूद कूदने वाला खिलाड़ी का कूदने से पहले तेज दौड़ना : खूब तेज दौड़कर खिलाड़ी अपने शरीर में गति उत्पन्न करता है। यह गतिशील अवस्था में बने रहने की प्रवृत्ति उसे कूदने में सहायक होती है जिस कारण वह अधिक लम्बा कूद सकता है।

यह न्यूटन के गति का पहला नियम है जिसका प्रयोग हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में देखते हैं। इस नियम में जड़त्व मुख्य भूमिका निभाता हैं। 



FAQs


1. न्यूटन का कौन सा नियम बल को परिभाषित करता है?

न्यूटन के गति का तीसरा नियम बल को परिभाषित करता है। इस नियम के अनुसार, "प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है।" यह नियम यह बताता है कि बल एक युगल है, जिसमें दो घटक होते हैं: क्रिया और प्रतिक्रिया। क्रिया वह बल है जो एक वस्तु पर दूसरे वस्तु द्वारा लगाया जाता है, और प्रतिक्रिया वह बल है जो दूसरे वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाया जाता है।


2. न्यूटन के तीनों नियम क्या है ?

न्यूटन के तीन नियम गति के नियम हैं, जो गति के सिद्धांत का आधार हैं। ये नियम निम्नलिखित हैं:

  • गति का प्रथम नियम: प्रत्येक वस्तु अपनी स्थिर अवस्था या सरल रेखा में एकसमान गति की अवस्था में बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई बाहरी बल कार्यरत न हो।
  • गति का द्वितीय नियम: किसी वस्तु पर लगने वाला बल उस वस्तु के द्रव्यमान और उसमें उत्पन्न त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।
  • गति का तृतीय नियम: प्रत्येक क्रिया के विपरीत होने वाली प्रतिक्रिया बराबर होती है।


3. पानी में कौन सा बल कार्य करता है ?

पानी में कई प्रकार के बल कार्य करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • भार: पानी का भार, जो पानी के घनत्व और आयतन के गुणनफल के बराबर होता है।
  • उछाल: पानी का उछाल, जो पानी के घनत्व और वस्तु के आयतन के गुणनफल के बराबर होता है।
  • घर्षण: पानी के बीच और वस्तु के बीच का घर्षण बल।
  • जड़त्व: पानी की गति के कारण उत्पन्न जड़त्व बल।


4. चार प्रमुख प्रकार के बल कौन से हैं ?

चार प्रमुख प्रकार के बल निम्नलिखित हैं:

  • गुरुत्वाकर्षण बल: यह वह बल है जो किसी वस्तु को पृथ्वी की ओर आकर्षित करता है।
  • प्रतिक्रिया बल: यह वह बल है जो किसी वस्तु पर दूसरे वस्तु द्वारा लगाया जाता है, और वह बल जो दूसरे वस्तु द्वारा पहली वस्तु पर लगाया जाता है।
  • घर्षण बल: यह वह बल है जो दो सतहों के बीच घर्षण के कारण उत्पन्न होता है।
  • विद्युत चुम्बकीय बल: यह वह बल है जो दो विद्युत आवेशों के बीच कार्य करता है।


5. धक्का देने और खीचनें में क्या अंतर हैं ?

धक्का देना और खींचना दोनों ही बल हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं। धक्का देना एक ऐसा बल है जो किसी वस्तु को एक दिशा में आगे बढ़ाता है और खींचना एक ऐसा बल है जो किसी वस्तु को एक दिशा में पीछे खींचता है।


6. पेशीय बल का उदाहरण क्या हैं ?

पेशीय बल एक प्रकार का संपर्क बल है जो मांसपेशियों की क्रिया से उत्पन्न होता है। यह वह बल है जो हमें चलने, उठने, बैठने, लिखने, खाना खाने और अन्य गतिविधियों को करने में मदद करता है। पेशीय बल के कुछ उदाहरण हैं किसी वस्तु को उठाना, किसी वस्तु को धक्का देना, किसी वस्तु को खींचना, किसी वस्तु को मोड़ना, किसी वस्तु को तोड़ना, खेल खेलना, काम करना, तथा स्वयं की देखभाल करना आदि।




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