जल का असामान्य प्रसार (Abnormal Expansion of Water) तथा दैनिक जीवन पर इसका प्रभाव|hindi


जल का असामान्य प्रसार (Abnormal Expansion of Water) तथा दैनिक जीवन पर इसका प्रभाव
जल का असामान्य प्रसार (Abnormal Expansion of Water) तथा दैनिक जीवन पर इसका प्रभाव|hindi

यह तो हम पहले ही पढ़ चुके हैं कि सभी द्रव गर्म किये जाने पर आयतन में बढ़ते हैं, परन्तु जब जल 0°C से 4°C तक गर्म किया जाता है तो गर्म होने पर यह आयतन में घटता है तथा 4°C के पश्चात् बढ़ना प्रारम्भ कर देता है। इसका अर्थ है कि जल के एक निश्चित द्रव्यमान का आयतन 4°C पर सबसे कम होता है, अर्थात् 4°C पर जल का घनत्व सबसे अधिक (1.0000 ग्राम/सेमी³ ) होता है।


जल के असामान्य प्रसार का दैनिक जीवन पर प्रभाव (Effect of Abnormal Expansion of Water on Daily Life)
जब जल को 4°C से नीचे ठण्डा करते हैं तो उसका आयतन बढ़ता जाता है। जब वह 0°C पर जम कर बर्फ बन जाता है तो बर्फ का आयतन, जल के आयतन से अधिक होता है। यही कारण है कि बर्फ का घनत्व, जल के घनत्व से कम होता है तथा बर्फ जल पर तैरता है। इस गुण के दैनिक जीवन में अनेक प्रभाव पाये जाते हैं जिनका वर्णन इस प्रकार है-
  1. ठण्डे देशों में तालाबों के जम जाने पर भी उनमें मछलियाँ जीवित रहती हैं : ठण्डे देशों में जाड़े के दिनों में वायु का ताप 0°C से भी कम हो जाता है। अतः वहाँ के तालाबों में जल जमने लगता है। वायु का ताप गिरने पर पहले तालाबों की सतह का जल ठण्डा होता है। अतः यह भारी होकर नीचे बैठता रहता है तथा नीचे का हल्का जल ऊपर आता रहता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि पूरे तालाब का जल 4°C तक नहीं गिर जाता। जब सतह के जल का ताप 4°C से नीचे गिरने लगता है तो इसका घनत्व कम होने लगता है। अतः अब यह नीचे नहीं जाता तथा 0°C तक ठण्डा होकर बर्फ के रूप में सतह पर ही जमने लगता है। अतः जल के जमने की क्रिया ऊपर से नीचे की ओर होती है (नीचे से ऊपर की ओर नहीं) । बर्फ की इस पर्त के नीचे अब भी 4°C का जल रहता है (चित्र) । चूँकि बर्फ ऊष्मा का कुचालक होता है अतः नीचे के 4°C वाले जल की ऊष्मा को बाहर नहीं जाने देता। अतः नीचे वाला जल 4°C पर ही बना रहता है और इस प्रकार वह जमने से बच जाता है। इस जल में मछलियाँ तथा अन्य जीव जीवित रहते हैं। 
  2. जाड़ों में पहाड़ी चट्टानें स्वयं फट जाती हैं: पहाड़ों की चट्टानों तथा पत्थरों में दरारें पाई जाती हैं। जब जल इन चट्टानों के छिद्रों और दरारों में से होकर भीतर चला जाता है और जमने लगता है तो आयतन प्रसार के कारण चट्टान पर इतना दाब डालता है कि वे फट जाती हैं।
  3. अत्यधिक ठण्ड में जल ले जाने वाले नल फट जाते हैं : ठण्डे स्थानों पर जाड़े के दिनों में नलों में बहने वाले जल का ताप 4°C से नीचे गिर जाने पर जल के आयतन में वृद्धि होती है परन्तु नल (पाइप) सिकुड़ता है। इन विपरीत दशाओं के कारण नलों की दीवारों पर इतना अधिक दाब पड़ता है कि वे फट जाते हैं।
  4. पौधों के अन्दर जल जम जाने पर उनकी नसें फट जाती हैं: जब पौधों की नसों में बहने वाला जल जमकर बर्फ बनता है तो उसका आयतन बढ़ता है। इससे नसों पर इतना दाब पड़ता है कि वे फट जाती हैं। यही कारण हैं कि ज्यादा बर्फ पड़ने वाले वाले स्थानों पर सामान्य जगहों के जैसे पौधे नहीं उगते हैं क्योंकि यह जीवित नहीं रह पाते हैं। 
यह कुछ सामान्य उदाहरण हैं जिसके द्वारा हमें यह पता चलता है जल के असामान्य प्रसार के द्वारा जलीय जीवन तथा पौधों पर क्या प्रभाव पड़ता हैं।


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