ऊष्मा का उत्सर्जन (Emission) : प्रत्येक वस्तु से प्रत्येक ताप पर ऊष्मीय विकिरण चारों ओर के माध्यम में जाता रहता है। इसे वस्तु द्वारा ऊष्मीय- विकिरण का 'उत्सर्जन' कहते हैं। किसी दिये हुए ताप पर उत्सर्जन की दर वस्तु की सतह की प्रकृति पर निर्भर करती है। उदाहरणार्थ, काली सतह सबसे अच्छी उत्सर्जक तथा चमकीली सबसे कम उत्सर्जक होती हैं।
ऊष्मा का अवशोषण (Absorption): जब ऊष्मीय विकिरण किसी सतह पर गिरता है तो उसका कुछ भाग सतह से परावर्तित हो जाता है तथा शेष भाग सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। परावर्तित तथा अवशोषित विकिरण की मात्रायें सतह की प्रकृति पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए पालिश की गई चमकदार सतह अपने ऊपर गिरने वाले विकिरण का बहुत बड़ा भाग परावर्तित कर देती है तथा बहुत थोड़ा भाग अवशोषित करती है। इसके विपरीत काली सतह विकिरण के अधिकांश भाग का अवशोषण कर लेती है तथा बहुत कम भाग को परावर्तित करती है।
ऊष्मा का अवशोषण (Absorption): जब ऊष्मीय विकिरण किसी सतह पर गिरता है तो उसका कुछ भाग सतह से परावर्तित हो जाता है तथा शेष भाग सतह द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। परावर्तित तथा अवशोषित विकिरण की मात्रायें सतह की प्रकृति पर निर्भर करती हैं। उदाहरण के लिए पालिश की गई चमकदार सतह अपने ऊपर गिरने वाले विकिरण का बहुत बड़ा भाग परावर्तित कर देती है तथा बहुत थोड़ा भाग अवशोषित करती है। इसके विपरीत काली सतह विकिरण के अधिकांश भाग का अवशोषण कर लेती है तथा बहुत कम भाग को परावर्तित करती है।
यह बात एक साधारण प्रयोग द्वारा देखी जा सकती है-
इसके लिये हम दो तापमापी लेते हैं। एक की घुण्डी को कालिख पोतकर काला कर लेते हैं। अब दोनों तापमापियों को धूप में रख देते हैं। हम देखते हैं कि काली घुण्डी वाले तापमापी में पारा अधिक तेजी से ऊपर चढ़ता है। इससे यह पता चलता है कि काली घुण्डी सूर्य के ऊष्मीय-विकिरण को अधिक अवशोषित करती है तथा कम परावर्तित करती है, जबकि चमकदार घुण्डी ऊष्मीय-विकिरण को अधिकतर परावर्तित कर देती है और बहुत कम अवशोषित करती है।
ऊष्मा के उत्सर्जकता तथा अवशोषकता में सम्बन्ध: एक निश्चित ताप पर किसी पृष्ठ की उत्सर्जकता एवं अवशोषकता परस्पर अनुक्रमानुपाती होती हैं। दूसरे शब्दों में अच्छे उत्सर्जक अच्छे अवशोषक तथा बुरे उत्सर्जक बुरे अवशोषक होते हैं।
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