ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया (Oxidation and Reduction) परिभाषा,उदाहरण|hindi


ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया (Oxidation and Reduction) परिभाषा,उदाहरण
ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रिया (Oxidation and Reduction) परिभाषा,उदाहरण|hindi

ऑक्सीकरण (Oxidation)

वे क्रियाएं जिनमें-
  1. किसी पदार्थ का सीजन में संयोग होता है,
  2. किसी पदार्थ का किसी ऋण - विद्युतीय अवयव से संयोग होता है,
  3. किसी पदार्थ में से हाइड्रोजन पृथक होती है, या
  4. किसी पदार्थ में से कोई धन विद्युतीय अवयव युवक होता है, उस पदार्थ का ऑक्सीकरण कहलाती है।

उदाहरण के लिए -

1. C + O₂ ⟶CO2              (C का ऑक्सीकरण)
इस अभिक्रिया में कार्बन का ऑक्सीजन के साथ संयोग होता है। ऑक्सीजन, कार्बन की तुलना में अधिक ऋण विद्युतीय है। अत: उपरोक्त अभिक्रिया में कार्बन का ऑक्सीकरण होता है।


2. 2HgCl₂ + SnCl₂ 
⟶  Hg2Cl2 + SCl4            (SnCl2 का ऑक्सीकरण)
SnCI2 में टिन धन-विद्युतीय तथा क्लोरीन ऋण - विद्युतीय अवयव है। उपरोक्त अभिक्रिया में SnCl2 का क्लोरीन के साथ संयोग होता है। अतः उपरोक्त अभिक्रिया में SnCl2 का ऑक्सीकरण होता है।


3. 4HI+ O2 
 2I₂ + 2H₂O              (HI का ऑक्सीकरण)
इस अभिक्रिया में HI में से हाइड्रोजन पृथक होकर I2 बनती है। हाइड्रोजन आयोडीन की तुलना में अधिक धन-विद्युतीय है। अतः उपरोक्त अभिक्रिया में HI का ऑक्सीकरण होता है।


4. 2KBr + Cl2 ⟶ 2KCl + Br2            (KBr का ऑक्सीकरण)
KBr में पोटैशियम धन-विद्युतीय तथा ब्रोमीन ऋण-विद्युतीय अवयव है। KBr में से पोटैशियम पृथक होकर ब्रोमीन बनती है। अतः उपरोक्त अभिक्रिया में KBr का ऑक्सीकरण होता है।

'ऑक्सीकरण' को 'उपचयन' भी कहते हैं।


अपचयन (Reduction)


वे क्रियाएँ जिनमें-
  1. किसी पदार्थ का हाइड्रोजन से संयोग होता है,
  2. किसी पदार्थ का किसी धन-विद्युतीय अवयव से संयोग होता है,
  3. किसी पदार्थ में से ऑक्सीजन पृथक होती है, या
  4. किसी पदार्थ में से कोई ऋण-विद्युतीय अवयव पृथक होता है, उस पदार्थ का अपचयन कहलाती हैं।

उदाहरण के लिए-

1. H2 + Cl2 ⟶ 2HCl                (क्लोरीन का अपचयन)
क्लोरीन की तुलना में हाइड्रोजन धन-विद्युतीय तत्व है। अतः क्लोरीन का हाइड्रोजन से संयोग होने की क्रिया में क्लोरीन का अपचयन होता है।


2. CuCl2 + Cu ⟶ Cu2Cl2            (CuCl2 का अपचयन)
इस अभिक्रिया में CuCl2 में Cu का अनुपात बढ़कर Cu2Cl2 बनता है। Cu, Cl की तुलना में धन-विद्युतीय है। अतः इस अभिक्रिया में CuCl2 का अपचयन होता है।


3. ZnO + C ⟶ CO+ Zn               (ZnO का अपचयन)
इस अभिक्रिया में ZnO में से ऑक्सीजन पृथक हो जाती है तथा इस प्रकार Zn बनता है। O, Zn की तुलना में ऋण-विद्युतीय होता है। अतः इस अभिक्रिया में ZnO का अपचयन होता है।


4. 2HgCl2 + SnCl2 ⟶ Hg2Cl2 + SnCl4           (HgCl2 का अपचयन)
इस अभिक्रिया में HgCl2 में से क्लोरीन का अनुपात कम होकर Hg2Cl2 बनता है। क्लोरीन, Hg की तुलना में ऋण-विद्युतीय होता है। अतः इस अभिक्रिया में HgCl2 का अपचयन होता है। 'अपचयन' को 'अवकरण' भी कहते हैं।

No comments:

Post a Comment