वायु द्वारा प्रकीर्णन (Dispersal By Wind=Anemochory)|in hindi


वायु द्वारा प्रकीर्णन (Dispersal By Wind = Anemochory) 

वायु द्वारा प्रकीर्णन (Dispersal By Wind=Anemochory)|in hindi



वायु द्वारा प्रकीर्णन के लिए फल और बीजों का हल्का होना आवश्यक है जिससे कि उनकी प्लवनशीलता (buoyancy) उन्हें वायु में बहुत दूर तक उड़ाने में सहायक हो सके। वायु द्वारा प्रकीर्णित होने वाले फलों और बीजों में निम्नलिखित अनुकूलन (adaptations) होते हैं जो उन्हें वायु द्वारा मातृ पौधों से काफी दूरी तक बिखर जाने में सहायता करते हैं- 

1. सूक्ष्म और हल्के बीज (Minute and Light Seeds) 

पादप-जगत् में ऑर्किड्स (orchids) के बीज सबसे छोटे होते हैं। ये बीज सूक्ष्म, शुष्क और धूल के कणों से हल्के होते हैं (कुछ ऑर्किड्स के एक बीज का भार 0.004 मिग्रा० होता है) और वायु के हल्के झोंके से दूर तक उड़ जाते हैं। सिनकोना Cinchona), व टरमीनेलिया (Terminalia) के बीज भी हल्के होते हैं।

वायु द्वारा प्रकीर्णन दिखाते हुए बीजों का चित्र



2. सपक्ष फल एवं बीज (Winged Fruit and Seed) 

(अ) कुछ पौधों के बीजों में पंख जैसी रचनाएँ बन जाती हैं, जैसे अर्लु (Oroxylon), सिनकोना ( Cinchona), चीड़ या पाइनस (Pinus), मोरिंगा (Moringa)। 

(ब) कुछ फलों में बाह्यदलपुंज (sepals) स्थायी होते हैं, जैसे साल (Shorea robusta)। 

(स) कुछ फलों की फलभित्ति (pericarp) में पंखे जैसी रचनाओं का निर्माण होता है, जैसे एसर (Acer)। 



3. पैराशूट प्रक्रिया (Parachute Mechanism) 

कुछ फलों और बीजों में कुछ उपांग (appendages) पैराशूट की तरह कार्य करते हैं जिनके कारण फल एवं बीज अधिक समय तक वायु में रहकर वायु द्वारा दूर तक वितरित हो जाते हैं। ये उपांग निम्न प्रकार के होते हैं-

(i) पेपस (Pappus)- कम्पोजिटी कुल के पौधों में फल के साथ स्थायी (persistent) रोमिल बाह्यदल-चक्र होता है जिसे पेपस कहते हैं, जैसे डेन्डिलयॉन (Taraxacum)।

(ii) कोमा (Coma)- यह रोमों के एक या अधिक गुच्छे होते हैं जो बीजों पर लगे रहते हैं। मदार (Calotropis) के बीज पर एक गुच्छा होता है और एल्सटोनिया (Alstonia) के बीज पर दो गुच्छे होते हैं।

(iii) बीजावरण पर स्थित रोमिल रचनाएँ (Hairy outgrowths on seeds)- इस प्रकार का उपांग कपास (cotton) के बीज में पाया जाता है। 

(iv) स्थायी रोमिल वर्तिका (Persistent hairy style)- कुछ पौधों के फलों में स्थायी रोमिल वर्तिका होती है, जैसे नारवेलिया (Narvelia), क्लीमेटिस (Clematis)।

(v) गुब्बारे सदृश उपांग (Balloon-shaped appendages)- फाइसेलिस (Physalis) के फल में स्थायी बाह्यदलपुंज फूला हुआ रहता है। कोलुटिया (Colutea) के अण्डाशय और कार्डियोस्पर्मम (Cardiospermum) के कैप्सूल फूलकर गुब्बारे जैसी रचनाएँ बनाते हैं जिससे यह फल और बीज अधिक समय तक वायु में रह सकते हैं।


4. संवेदन (दोलक्षेप) प्रक्रिया (Censer Mechanism) 

कुछ फलों के बीज बहुत सूक्ष्म छिद्रों द्वारा बाहर निकलते हैं। ये छिद्र इतने छोटे होते हैं कि एक बार में केवल कुछ बीज बाहर निकल सकते हैं। जैसे, पोस्त (Papaver) में सूक्ष्म छिद्रों द्वारा बीजों का वितरण होता है। हंसलता (Aristolochia) और एन्टीराइनम (Antirrhinum) में भी इसी प्रकार का वितरण होता है।


5. बेलनी प्रक्रिया (Rolling Mechanism) 

कुछ पौधे जीवन चक्र की समाप्ति पर सूख जाते हैं और जड़ से उखड़कर वायु के साथ इधर-उधर लुढ़कते रहते हैं। इस प्रक्रिया में बीज बिखर कर दूर-दूर तक चले जाते हैं। इस प्रकार के पौधों को टम्बल खरपतवार (tumble weed) कहते हैं, जैसे, पीली कटेली (Argemone), सालसोला (Salsola), चौलाई (Amaranthus), आदि। 







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