ऊर्जा रूपान्तरण के व्यावहारिक उपयोग
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा के योग को उस वस्तु की यान्त्रिक ऊर्जा कहते हैं। यान्त्रिक ऊर्जा के अतिरिक्त ऊर्जा के और भी अनेक स्वरूप हैं; जैसे ऊष्मा-ऊर्जा, प्रकाश-ऊर्जा, ध्वनि-ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, द्रव्यमान ऊर्जा, इत्यादि ।
जब भी हम कोई कार्य करते हैं तभी ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में बदलती है। जब हम पत्थर फेंकते हैं तो हमारे शरीर की ऊष्मा-ऊर्जा पत्थर की गतिज ऊर्जा में बदलती है। यदि हम बहुत देर तक पत्थर फेंकते रहें तो हमारे शरीर की ऊर्जा कम हो जाती है तथा हम थक जाते हैं। कुछ देर आराम करने तथा भोजन करने पर हमें वायु की ऑक्सीजन तथा भोजन से पुनः ऊर्जा मिल जाती है। कार के दौड़ने में पैट्रोल की रासायनिक ऊर्जा कार के पहियों की गतिज ऊर्जा के रूप में बदलती है। लिफ्ट द्वारा ऊपर चढ़ने में विद्युत ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में बदलती है। बन्दूक से छूटी गोली जब एक लक्ष्य से टकराकर रुक जाती है तो गोली की गतिज ऊर्जा का अधिकाँश भाग ऊष्मा में, तथा शेष भाग प्रकाश व ध्वनि में बदल जाता है। इस प्रकार हमारे जीवन में प्रत्येक क्षण ऊर्जा का रूपान्तरण होता रहता है ।
ऊर्जा रूपान्तरण के कुछ अन्य उदाहरण निम्न हैं:
(i) स्थितिज ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण (बाँध के जल को नीचे गिराकर टरबाइन का घुमाना)।
(ii) वैद्युत ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपान्तरण (बिजली के पंखे, मिक्सी इत्यादि का चलना)।
(iii) गतिज ऊर्जा का वैद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण (डायनामो से वैद्युत उत्पन्न करना)।
(iv) वैद्युत ऊर्जा का प्रकाश व ऊष्मा में रूपान्तरण (बल्ब, ट्यूब लाइट व हीटर का जलना)।
(v) रासायनिक ऊर्जा का प्रकाश व ऊष्मा में रूपान्तरण (मोमबत्ती का जलना)।
(vi) ध्वनि ऊर्जा का वैद्युत ऊर्जा में रूपान्तरण (माइक्रोफोन)।
(vii) वैद्युत ऊर्जा का ध्वनि ऊर्जा में रूपान्तरण (लाउडस्पीकर)।
यह ऊर्जा रूपान्तरण के कुछ उदाहरण व उनकी परिभाषा हैं जिनके द्वारा ऊर्जा रूपान्तरण के व्यावहारिक उपयोग को समझ सकते हैं।
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