कार्य किसे कहते हैं?(Work in hindi): कार्य की माप तथा मात्रक


कार्य किसे कहते हैं?(Work in hindi): कार्य की माप तथा मात्रक
कार्य किसे कहते हैं?(Work in hindi): कार्य की माप तथा मात्रक

कार्य (Work)
हम अपने दैनिक जीवन में अनेक धन्धे करते हैं जैसे बोझ उठाना, हल चलाना, साइकिल चलाना, नाव खेना, बगीचे की घास काटना, कुएँ से जल खींचना, चक्की पीसना इत्यादि। इन सभी धन्धों को बाहर से देखने पर ऐसा लगता है कि ये सभी अलग-अलग । परन्तु यदि ध्यान से देखा जाये तो ये सभी धन्धे आपस में मिलते-जुलते हैं। इन सभी धन्धों में किसी वस्तु पर एक बल लगाया जाता है जोकि वस्तु को उसके स्थान से हटा देता है। हम उन सभी धन्धों को जिनमें बल लगाने से वस्तु की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है वैज्ञानिक दृष्टि से 'कार्य' कहते हैं। यदि बल लगाने से कोई वस्तु अपने स्थान से नहीं हटे (जैसे किसी दीवार को धकेलने में) तो चाहे हम बल लगाते-लगाते थक जायें परन्तु कार्य किया हुआ नहीं माना जायेगा। यदि मजदूर सिर पर बोझा लिए एक स्थान पर खड़ा है तो चाहे वह खड़ा खड़ा थक जाये परन्तु वह कोई 'कार्य' नहीं कर रहा है।

कार्य करने के लिए जब वस्तु पर बल लगाकर वस्तु को उसके स्थान से हटाया जाता है तो एक विरोधी बल भी उपस्थित होता है। यदि कोई विरोधी बल नहीं हो तो वस्तु के हटाने में कोई भी बल नहीं लगाना पड़े। 

उपरोक्त उदाहरणों में भार उठाते समय गुरुत्व बल के विरुद्ध हल चलाने में मिट्टी के कणों के बीच उपस्थित ससंजक बलों (cohesive forces) के विरुद्ध, तथा चक्की पीसने में घर्षण बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है।

माना कि कोई इंजन 500 किलोग्राम भार का एक नियत बल लगाकर किसी गाड़ी को 80 मीटर खींचता है तथा उतना ही बल लगाकर दोबारा वह इसे 10 मीटर खींचता है। तब हम कहेंगे कि इंजन द्वारा पहली बार किया गया कार्य दूसरी बार से अधिक है। इसके अतिरिक्त यदि कोई दूसरा इंजन 2000 किलोग्राम भार का एक नियत बल लगाकर एक दूसरी गाड़ी को 80 मीटर खींचता है तो वह इंजन पहले इंजन की तुलना में अपनी गाड़ी को उतनी ही दूरी चलाने में अधिक कार्य करता है। इससे हम यह कह सकते हैं कि किसी कर्त्ता द्वारा किया गया कार्य कर्त्ता द्वारा वस्तु पर लगाये गये बल तथा वस्तु द्वारा चली गई दूरी दोनों पर निर्भर करता है।


कार्य की माप (Measurement of Work) 
किसी वस्तु पर जितना अधिक बल लगाया जाता है तथा वह वस्तु जितनी अधिक विस्थापित होती है, कार्य उतना ही अधिक होता है। किये गये कार्य का मान बल तथा बल की दिशा में उत्पन्न विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है :

कार्य = बल x बल की दिशा में विस्थापन

यदि किसी कर्त्ता द्वारा किसी वस्तु पर एक नियत बल F लगाने से वस्तु बल की दिशा में विस्थापन s हो (चित्र a🡻), तो कर्त्ता द्वारा किये गये कार्य W का मान

W=F x s             समीकरण...(i)

यदि बल F के लगाने पर वस्तु बल की दिशा में न चलकर उससे θ कोण बनाती हुई s दूरी चले (चित्र b🡻), तब किया गया कार्य

W = F cos θ × s    समीकरण ...(ii)

कार्य किसे कहते हैं?(Work in hindi): कार्य की माप तथा मात्रक


क्योंकि F cos θ, बल F का s की दिशा में घटक (component) है ।
इस समीकरण से दो बातें स्पष्ट होती हैं :

(1) यदि θ = 90° हो, तब cos 90° = 0, तथा

W = 0,

अर्थात् यदि विस्थापन बल की दिशा के लम्बवत् हो तो कार्य नहीं होता । यदि कोई कुली अपने सिर पर ट्रंक रखे प्लेटफार्म पर एक सिरे से दूसरे सिरे तक जाता है तब वह कोई कार्य नहीं कर रहा है (क्योंकि उसका विस्थापन गुरुत्व बल के लम्बवत् है)। जब कोई वस्तु किसी बल के अन्तर्गत वृत्ताकार मार्ग पर चलती है तो बल की दिशा सदैव वृत्त के केन्द्र की ओर दिष्ट रहती है, अर्थात् वस्तु की गति के लम्बवत् रहती है। अतः इसमें भी कोई कार्य नहीं होता।
(2) समीकरण (i) अथवा (ii) में यदि s = 0 हो, तब

W = 0,

अर्थात् यदि वस्तु का विस्थापन शून्य हो, तब भी वस्तु पर लगा बल कोई कार्य नहीं करता । निम्न चित्र में एक बेलन धागे द्वारा लटकाया गया है। इस पर दो बल लगे हैं: बेलन का भार W तथा धागे का तनाव T | परन्तु इनमें से कोई भी बल कार्य नहीं कर रहा है क्योंकि बेलन में कोई विस्थापन नहीं हो रहा ।
कार्य किसे कहते हैं?(Work in hindi): कार्य की माप तथा मात्रक


कार्य का मात्रक 
कार्य का मात्रक 'जूल' (joule) कहलाता है। यदि कोई कर्त्ता किसी वस्तु पर 1 न्यूटन का बल लगाकर उस वस्तु को बल की दिशा में 1 मीटर विस्थापित कर दे तो कर्त्ता द्वारा किया गया कार्य 1 जूल होगा, अर्थात्

1 जूल = 1 न्यूटन × 1 मीटर

बल तथा विस्थापन दोनों ही सदिश राशियाँ हैं, परन्तु कार्य एक अदिश (Scalar) राशि है।





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