बुद्धिलब्धि क्या है?:परिभाषा, सूत्र तथा Euthenics में इसका प्रयोग
सौपरिवेशिकी (Euthenics) की परिभाषा
परिभाषा : व्यावहारिक आनुवंशिकी की वह शाखा जिसमें उत्तम प्रशिक्षण एवं पालन-पोषण (nurture) के द्वारा मानव के उच्च आनुवंशिक लक्षणों के समुचित विकास की विधियों का अध्ययन करते हैं। उसे सौपरिवेशिकी कहते हैं।
मेधावी छात्रों की सर्वोत्तम् सहायता (Subsidization of Superior Students)
जैसे कि सकारात्मक सुजननिकी में उत्कृष्ट लक्षणों वाले व्यक्तियों द्वारा अधिक से अधिक जनन की बात की जाती है, वैसे ही सौपरिवेशिकी में विद्यार्थियों में से श्रेष्ठतम छात्रों को चुनकर उन्हें बहुमुखी विकास की सभी सुविधाएँ देने की बात कही जाती है।
बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient—IQ) क्या है? तथा मेधावी छात्रों का चयन
उदाहरण के लिए, एक 6 वर्ष की आयु वाले बच्चे में यदि 10 वर्ष की आयु जितनी बुद्धि है तो उसका बुद्धि भागफल 10/6x100 = 166.6 होगा। एक 15 वर्षीय बच्चे में यदि 10 वर्ष के बराबर बुद्धि है तो उसका बुद्धि भागफल 10/15 x 100 = 66.7 होगा।
बुद्धिलब्धि के विभिन्न स्तर (Levels of IQ)
सर्वोच्च सहायता या अवतलन (Subsidization) की विधियाँ
मेधावी छात्रों का चयन करके इन्हें शुरू से ही श्रेष्ठतम शैक्षिक एवं अन्य सुविधाएँ देना समाज की उन्नति की एक उत्कृष्ट विधि होती है। समाज एवं राज्य की ओर से ऐसी सुविधाएँ देने की प्रथा पुरानी है। अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर कुछ संस्थाएँ इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य करती रहती हैं। भारत में भी इसके लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जा रही हैं-
परिभाषा : व्यावहारिक आनुवंशिकी की वह शाखा जिसमें उत्तम प्रशिक्षण एवं पालन-पोषण (nurture) के द्वारा मानव के उच्च आनुवंशिक लक्षणों के समुचित विकास की विधियों का अध्ययन करते हैं। उसे सौपरिवेशिकी कहते हैं।
मेधावी छात्रों की सर्वोत्तम् सहायता (Subsidization of Superior Students)
जैसे कि सकारात्मक सुजननिकी में उत्कृष्ट लक्षणों वाले व्यक्तियों द्वारा अधिक से अधिक जनन की बात की जाती है, वैसे ही सौपरिवेशिकी में विद्यार्थियों में से श्रेष्ठतम छात्रों को चुनकर उन्हें बहुमुखी विकास की सभी सुविधाएँ देने की बात कही जाती है।
बुद्धिलब्धि (Intelligence Quotient—IQ) क्या है? तथा मेधावी छात्रों का चयन
विद्यार्थियों के किसी भी समूह में श्रेष्ठतम छात्र का चुनाव करना कठिन नहीं है। विचारशीलता, स्मरणशक्ति, तर्कशक्ति, उत्साह, आत्मसंयम आदि की क्षमताओं पर आधारित प्रश्नों तथा अन्य साधनों द्वारा हम एक विद्यार्थी समूह में 10 वर्ष की आयु में औसत बुद्धि के स्तर का पता लगा सकते हैं। कुछ विद्यार्थी 10 वर्ष से अधिक की आयु के होकर भी बुद्धि में 10 वर्ष के जैसे ही होंगे, अर्थात् इनकी मानसिक आयु (mental age—MA) 10 वर्ष ही होगी। इसके विपरीत, कुछ विद्यार्थी, वास्तविक आयु (actual chronological age-CA) में 10 वर्ष से कम, लेकिन अधिक बुद्धिमान, अर्थात् मानसिक आयु में 10 वर्ष के बराबर होंगे।
सूत्र - वास्तविक आयु तथा मानसिक आयु का यह अनुपात 10 वर्ष की आयु के बाद जीवनभर स्थाई रहता है। अतः इसे 100 से गुणा करने पर जो संख्या आती है उसे बुद्धिलब्धि या बुद्धि भागफल (Intelligence Quotient-1Q) कहते हैं।
उदाहरण के लिए, एक 6 वर्ष की आयु वाले बच्चे में यदि 10 वर्ष की आयु जितनी बुद्धि है तो उसका बुद्धि भागफल 10/6x100 = 166.6 होगा। एक 15 वर्षीय बच्चे में यदि 10 वर्ष के बराबर बुद्धि है तो उसका बुद्धि भागफल 10/15 x 100 = 66.7 होगा।
बुद्धिलब्धि के विभिन्न स्तर (Levels of IQ)
बुद्धिलब्धि के आधार पर किसी भी विद्यार्थी-समूह का निम्नांकित चार्ट के अनुसार वर्गीकरण किया जा सकता है-
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सर्वोच्च सहायता या अवतलन (Subsidization) की विधियाँ
मेधावी छात्रों का चयन करके इन्हें शुरू से ही श्रेष्ठतम शैक्षिक एवं अन्य सुविधाएँ देना समाज की उन्नति की एक उत्कृष्ट विधि होती है। समाज एवं राज्य की ओर से ऐसी सुविधाएँ देने की प्रथा पुरानी है। अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरों पर कुछ संस्थाएँ इस दिशा में महत्त्वपूर्ण कार्य करती रहती हैं। भारत में भी इसके लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनाई जा रही हैं-
- विशिष्ट शिक्षा संस्थाओं की स्थापना : मेधावी छात्रों के प्रशिक्षण के लिए विशेष संस्थाएँ बनाई की जाती हैं जिसमें मानसिक विकास के लिए अधिक और अच्छे साधन होते हैं।
- विशिष्ट पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि : ऐसे छात्रों के लिए उच्च कोटि के पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियाँ और श्रेष्ठतम् शिक्षकों का उपयोग किया जाता है।
- पाठ्येत्तर क्रियाकलाप (Extracurricular Activities) : निर्धारित पाठ्यक्रम के अतिरिक्त ऐसे Extracurricular Activities की सुविधाएँ भी इन छात्रों को दी जाती हैं जो कि इनकी प्रतिभा के बहुमुखी विकास में सहायक होते हैं, जैसे खेल-कूद, सैनिक प्रशिक्षण, वाद-विवाद, स्काउटिंग, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि।
- देशाटन की सुविधाएँ : इन छात्रों को देशाटन की भी विशेष सुविधाएँ दी जाती हैं। देशाटन से बुद्धि और विवेक के विकास में महत्त्वपूर्ण सहायता मिलती है।
- आवास एवं पोषण : इन छात्रों को उत्कृष्ट आवास एवं पोषण की सुविधाएँ दी जाती हैं। इनके रहन-सहन को सुनियत और नियन्त्रित रखा जाता है।
- प्रतिभा का उपयुक्त उपयोग : उत्तम प्रशिक्षण के बाद इन प्रतिभा सम्पन्न छात्रों की प्रतिभा का सही उपयोग किया जाना चाहिए। यह समाज एवं राज्य का कर्त्तव्य है। साथ ही इन्हें जनन की अधिकतम सुविधाएँ देना सुजननिकी का एक आवश्यक पहलू होगा।
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