अपनी संरचना तथा कार्यों को करने में जीवधारी जिन तत्वों (elements) एवं यौगिकों (compounds) को उपयोग में लाते हैं उन्हें जीवों के पोषक पदार्थ (nutrient materials) कहते हैं। जिन पोषक पदार्थों का उपयोग बड़ी मात्रा में होता है, उन्हें वृहत् पोषक (macronutrients) तथा जिनका उपयोग अल्प मात्रा में होता है उन्हें सूक्ष्म पोषक (micronutrients) कहते हैं। प्रोटीन्स, कार्बोहाइड्रेट्स, लिपिड्स तथा न्यूक्लीक अम्ल वृहत् पोषक तथा विटामिन्स (vitamins) एवं खनिज (minerals) सूक्ष्म पोषक होते हैं। हरे पौधे मिट्टी से H2O, नाइट्रेट्स तथा खनिज और वायुमण्डल से CO2 ग्रहण करके प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की क्रिया द्वारा अपने तथा अन्य सभी जीवों के लिए पोषक पदार्थों का संश्लेषण करते हैं।
अनिवार्य तथा अननिवार्य खनिज (Essential and Nonessential Minerals)
यदि हम सूखी लकड़ी जलाएँ तो इसके कार्बनिक पदार्थ CO2, CO, अमोनिया आदि में विघटित होकर गैसों के रूप में वायुमण्डल में चले जाते हैं और अकार्बनिक पदार्थ राख (ash) के रूप में बचे रहते हैं। इस राख में केवल खनिज लवण (mineral salts) होते हैं जो कि सूखी लकड़ी का लगभग 2 से 10% भाग बनाते हैं। इन खनिज लवणों के संयोजन में लगभग 26 खनिज तत्व भाग लेते हैं जिनमें से 18 तत्व अनिवार्य खनिज (essential minerals) कहलाते हैं, क्योंकि ये पौधों की सामान्य वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। इसके अनुसार, शेष 8 खनिज तत्वों को अननिवार्य खनिज (nonessential minerals) कहते हैं। खनिज कोशिकाद्रव्य और बाह्यकोशिकीय matter में स्वतन्त्र आयनों (ions) या कुछ जैव अणुओं के घटकों के रूप में होते हैं।
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दीर्घ खनिज तथा लघु खनिज (Macrominerals and Microminerals)
अनिवार्य खनिजों में से कुछ का उपयोग जीवों में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा (in grams) में होता है। इन्हें हरे पौधों के दीर्घ खनिज कहते हैं। कैल्सियम (Ca), फॉस्फोरस (P), सल्फर (S), पोटैशियम (K), सोडियम (Na), क्लोरीन (CI), मैग्नीशियम (Mg) तथा लौह (Fe) ऐसे ही खनिज हैं। शेष अनिवार्य खनिजों - ताँबा (Cu), जिन्क (Zn), मैंगनीज़ (Mn), आयोडीन (I), फ्लोरीन (F), कोबाल्ट (Co), बोरॉन (B), सेलीनियम (Se), क्रोमियम (Cr), तथा मॉलिब्डेनम (Mo) - का जीवों में उपयोग बहुत सूक्ष्म मात्रा (मिलिग्राम्स) में होता है। इन्हें हरे पादपों के लघु खनिज कहते हैं।
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