केंचुए की तरह ही कॉकरोच के तन्त्रिका तन्त्र में भी तीन प्रमुख भाग होते हैं—
1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nervous System)
इसमें केंचुए की तरह ही, एक तन्त्रिका मुद्रा (Nerve Ring) तथा दोहरी तन्त्रिका रज्जु (Nerve Cord) होती हैं।
2. केंचुए के विपरीत, कॉकरोच में Cord की दोनों तन्त्रिकाएँ सहआवरण में बन्द न होकर अलग-अगल होती हैं, और नौ खण्डीय गुच्छकों (segmental ganglia) द्वारा परस्पर जुड़ी होने के कारण, सीढ़ीनुमा दिखाई देती हैं।
3. प्रत्येक segmental ganglia भी एक जोड़ी (दोनों तन्त्रिकाओं पर एक-एक) ganglion के मिलने से बनता है।
4. पहले तीन ganglia काफी बड़े और वक्ष खण्डों में एक-एक होते हैं। शेष छः उदर खण्डों (abdominal segment) में होते हैं।
5. आखिरी ganglia कुछ बड़ा और 7वें उदरखण्ड में होता है। यह शेष उदर खण्डों (abdominal segment) के ganglion के समेकन से बनता है।
• Suprapharyngeal ganglion तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाओं द्वारा नेत्रों, ऐन्टिनी एवं लैब्रम (labrum) से जुड़ा होता है।
• Subpharyngeal ganglion भी तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाओं द्वारा शेष मुख उपांगों तथा सिर एवं ग्रीवा के भागों से जुड़ा होता है।
• इसी प्रकार, प्रोथोरैक्स के ganglion से छः तथा मीसोथोरैक्स एवं मेटाथोरैक्स के ganglion से पाँच-पाँच जोड़ी तन्त्रिकाएँ अपने अपने खण्डों के विभिन्न भागों (पंखों एवं पादों की पेशियों, श्वास रन्ध्रों आदि) को जाती हैं।
• Abdominal region के पहले पाँच ganglion से केवल एक-एक जोड़ी तन्त्रिकाएँ अपने-अपने खण्डों की पेशियों, श्वास रन्ध्रों, हृदय के कक्षों एवं अन्य भागों को जाती हैं।
• छठे abdomen ganglia से तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाएँ अन्तिम तीन उदरखण्डों की पेशियों, जननांगों, गुदलूमों (anal cerci), मैथुनांगों आदि में जाती हैं।
(क) मुखजठरीय या स्टोमैटोगैस्ट्रिक तन्त्र (Stomatogastric System) : इसमें निम्नलिखित चार प्रकार के ganglia और इनसे सम्बन्धित तन्त्रिकाएँ होती हैं जो आहारनाल के अग्र भागों से जुड़ी रहती हैं-
• अधःप्रमस्तिष्क गुच्छक (Hypocerebral Ganglion): फ्रॉन्टल गुच्छक से एक प्रत्यावर्ती तन्त्रिका (recurrent nerve) निकलकर मस्तिष्क के पीछे स्थित Hypocerebral Ganglion से जुड़ती है। यह गुच्छक पास ही स्थित कॉरपोरा ऐलेटा (corpora allata) एवं कॉरपोरा कार्डियेका (corpora cardiaca) नामक जोड़ीदार अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से जुड़ा रहता है।
• विसरल गुच्छक (Visceral Ganglion) : Hypocerebral Ganglion से एक मोटी एवं मध्यवर्ती ईसोफेजियल तन्त्रिका (oesophageal nerve) निकलकर अन्नपुट (crop) के मध्य भाग पर स्थित Visceral Ganglion से जुड़ती है। इस तन्त्रिका की महीन शाखाएँ लार ग्रन्थियों एवं इनकी नलिकाओं को जाती हैं।
• प्रोवेन्द्रीकुलर गुच्छक (Proventricular Ganglion): विसरल गुच्छक से दो मोटी तन्त्रिकाएँ पीछे की ओर निकली रहती हैं। इनमें से एक crop के पृष्ठ तथा दूसरी अधरतल से लगी Proventriculus के ऊपर-नीचे स्थित एक एक प्रोवेन्ट्रीकुलर गुच्छकों में समाप्त होती हैं।
हॉरमोन्स (Hormones)
(ख) श्वास-रन्ध्रीय या स्पाइरैकुलर तन्त्र (Spiracular System): इसमें Nerve Cord के गुच्छकों से निकलने वाली वे महीन, जोड़ीदार तन्त्रिकाएँ आती हैं जो श्वास रन्ध्रों (spiracles) का नियन्त्रण करती हैं।
(ग) पुच्छीय या कॉडल तन्त्र (Caudal System) : इसमें वे महीन तन्त्रिकाएँ आती हैं जो अन्तिम उदर गुच्छक से Hindgut के विभिन्न भागों, जननांगों एवं गुद-उपांगों में जाती हैं।
- केन्द्रीय
- परिधीय
- सिम्पैथेटिक तन्त्र
1. केन्द्रीय तन्त्रिका तन्त्र (Central Nervous System)
इसमें केंचुए की तरह ही, एक तन्त्रिका मुद्रा (Nerve Ring) तथा दोहरी तन्त्रिका रज्जु (Nerve Cord) होती हैं।तन्त्रिका मुद्रा (Nerve Ring)
1. यह कॉकरोच के सिर में, टेन्टोरियम (tentorium) के ठीक आगे, ग्रसनी के चारों ओर होती है।
2. इसका ऊपरी भाग मोटा एवं bilobed उपग्रासन गुच्छक या मस्तिष्क ( ganglion or brain) होता है। यह पहले तीन जोड़ी गुच्छकों के मिलने से बनता है।
3. इस Ring का अधर भाग एक छोटा अधोग्रासन गुच्छक (subpharyngeal ganglion) होता है।
4. यह सिर के शेष तीन जोड़ी गुच्छकों के मिलने से बनता है।
5. Ring के दोनों किनारे के भाग छोटे व मोटे परिग्रासन संयोजक (circum pharyngeal connectives) होते हैं।
2. इसका ऊपरी भाग मोटा एवं bilobed उपग्रासन गुच्छक या मस्तिष्क ( ganglion or brain) होता है। यह पहले तीन जोड़ी गुच्छकों के मिलने से बनता है।
3. इस Ring का अधर भाग एक छोटा अधोग्रासन गुच्छक (subpharyngeal ganglion) होता है।
4. यह सिर के शेष तीन जोड़ी गुच्छकों के मिलने से बनता है।
5. Ring के दोनों किनारे के भाग छोटे व मोटे परिग्रासन संयोजक (circum pharyngeal connectives) होते हैं।
तन्त्रिका रज्जु (Nerve Cord)
2. केंचुए के विपरीत, कॉकरोच में Cord की दोनों तन्त्रिकाएँ सहआवरण में बन्द न होकर अलग-अगल होती हैं, और नौ खण्डीय गुच्छकों (segmental ganglia) द्वारा परस्पर जुड़ी होने के कारण, सीढ़ीनुमा दिखाई देती हैं।
3. प्रत्येक segmental ganglia भी एक जोड़ी (दोनों तन्त्रिकाओं पर एक-एक) ganglion के मिलने से बनता है।
4. पहले तीन ganglia काफी बड़े और वक्ष खण्डों में एक-एक होते हैं। शेष छः उदर खण्डों (abdominal segment) में होते हैं।
5. आखिरी ganglia कुछ बड़ा और 7वें उदरखण्ड में होता है। यह शेष उदर खण्डों (abdominal segment) के ganglion के समेकन से बनता है।
2. परिधीय तन्त्रिका तन्त्र (Peripheral Nervous System)
• इसमें Nerve Ring तथा Cord के विविध ganglion को शरीर के भागों से जोड़ने वाली तन्त्रिकाएँ आती हैं।• Suprapharyngeal ganglion तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाओं द्वारा नेत्रों, ऐन्टिनी एवं लैब्रम (labrum) से जुड़ा होता है।
• Subpharyngeal ganglion भी तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाओं द्वारा शेष मुख उपांगों तथा सिर एवं ग्रीवा के भागों से जुड़ा होता है।
• इसी प्रकार, प्रोथोरैक्स के ganglion से छः तथा मीसोथोरैक्स एवं मेटाथोरैक्स के ganglion से पाँच-पाँच जोड़ी तन्त्रिकाएँ अपने अपने खण्डों के विभिन्न भागों (पंखों एवं पादों की पेशियों, श्वास रन्ध्रों आदि) को जाती हैं।
• Abdominal region के पहले पाँच ganglion से केवल एक-एक जोड़ी तन्त्रिकाएँ अपने-अपने खण्डों की पेशियों, श्वास रन्ध्रों, हृदय के कक्षों एवं अन्य भागों को जाती हैं।
• छठे abdomen ganglia से तीन जोड़ी प्रमुख तन्त्रिकाएँ अन्तिम तीन उदरखण्डों की पेशियों, जननांगों, गुदलूमों (anal cerci), मैथुनांगों आदि में जाती हैं।
3. अनुकम्पी या सिम्पैथेटिक तन्त्रिका तन्त्र (Visceral or Sympathetic Nervous System)
कॉकरोच में यह तन्त्र तन्त्रिकीय (nervous) ही नहीं, बल्कि अन्त:स्रावी (endocrine or hormonal) भी होता है। इसे तीन भागों में बाँटते हैं -- स्टोमैटोगैस्ट्रिक
- स्पाइरैकुलर
- कॉडल तन्त्र
• फ्रॉन्टल गुच्छक (Frontal Ganglion) : मस्तिष्क के ठीक आगे, ग्रसनी के पृष्ठतल पर, एक छोटा अग्र या फ्रॉन्टल गुच्छक होता है। यह एक जोड़ी मोटे फ्रॉन्टल संयोजकों (frontal connectives) द्वारा मस्तिष्क से जुड़ा रहता है। इससे कुछ महीन तन्त्रिकाएँ ग्रसनी की दीवार में जाती हैं।
• अधःप्रमस्तिष्क गुच्छक (Hypocerebral Ganglion): फ्रॉन्टल गुच्छक से एक प्रत्यावर्ती तन्त्रिका (recurrent nerve) निकलकर मस्तिष्क के पीछे स्थित Hypocerebral Ganglion से जुड़ती है। यह गुच्छक पास ही स्थित कॉरपोरा ऐलेटा (corpora allata) एवं कॉरपोरा कार्डियेका (corpora cardiaca) नामक जोड़ीदार अन्तःस्रावी ग्रन्थियों से जुड़ा रहता है।
• विसरल गुच्छक (Visceral Ganglion) : Hypocerebral Ganglion से एक मोटी एवं मध्यवर्ती ईसोफेजियल तन्त्रिका (oesophageal nerve) निकलकर अन्नपुट (crop) के मध्य भाग पर स्थित Visceral Ganglion से जुड़ती है। इस तन्त्रिका की महीन शाखाएँ लार ग्रन्थियों एवं इनकी नलिकाओं को जाती हैं।
• प्रोवेन्द्रीकुलर गुच्छक (Proventricular Ganglion): विसरल गुच्छक से दो मोटी तन्त्रिकाएँ पीछे की ओर निकली रहती हैं। इनमें से एक crop के पृष्ठ तथा दूसरी अधरतल से लगी Proventriculus के ऊपर-नीचे स्थित एक एक प्रोवेन्ट्रीकुलर गुच्छकों में समाप्त होती हैं।
- कॉकरोच के उपांग (Appendages of Cockroach)
- कॉकरोच (Cockroach)
- कॉकरोच का कंकाल (Skeleton of Cockroach)
- कॉकरोच के पाचन तंत्र का सचित्र वर्णन (Digestive System of Cockroach)
- कॉकरोच की लार ग्रंथि पुंज का सचित्र वर्णन (Salivary Gland complex of Cockroach)
हॉरमोन्स (Hormones)
1. कॉरपोरा कार्डियेका, कॉरपोरा ऐलेटा तथा प्रोथोरैक्स में स्थित एक प्रोथोरैक्सी ग्रन्थि (prothoracic gland) से कुछ हॉरमोन्स हीमोलिम्फ में मुक्त होते हैं।
2. कॉरपोरा कार्डियेका के हॉरमोन्स मस्तिष्क की कुछ तन्त्रिका स्रावी कोशिकाओं से स्रावित होकर इनमें एकत्रित होते और आवश्यकतानुसार मुक्त होते रहते हैं।
3. ये हृदय- स्पंदन को तथा Hindgut में तरंग-गति की दर को बढ़ाते हैं, परन्तु Foregut में तरंग-गति को घटाते हैं।
4. ये वसा काय में प्रोटीन उपापचय (metabolism) का और सम्भवतः उदर की श्वास गति का भी नियन्त्रण करते हैं।
5. वृद्धि प्रावस्था में ये प्रोथोरैक्सी ग्रन्थि को moulting hormone या ecdysone के स्रावण की प्रेरणा देते हैं। यह हॉरमोन वृद्धि एवं moulting को प्रेरित करता है।
6. कॉरपोरा ऐलेटा के हॉरमोन्स वयस्क कॉकरोच में अण्डकों (oocytes) की वृद्धि एवं इनके परिपक्वन तथा सहायक जनन ग्रन्थियों की स्रावण क्रिया को उत्तेजित करते हैं।
7. वृद्धि प्रावस्था में कॉरपोरा ऐलेटा किशोरावस्था हॉरमोन (juvenile hormone or neotinin) का स्रावण करते हैं जो ऊतकों की वृद्धि और विभेदीकरण का नियन्त्रण करके रूपान्तरण एवं moulting को समय से पूर्व हो जाने से रोकता है और इस प्रकार किशोरावस्था को बनाए रखने का कार्य करता है।
8. कॉरपोरा ऐलेटा के कुछ हॉरमोन्स विभिन्न सदस्यों के बीच, विशेषतौर से नर एवं मादा के बीच, पारस्परिक आचरण को भी प्रभावित करते हैं।
2. कॉरपोरा कार्डियेका के हॉरमोन्स मस्तिष्क की कुछ तन्त्रिका स्रावी कोशिकाओं से स्रावित होकर इनमें एकत्रित होते और आवश्यकतानुसार मुक्त होते रहते हैं।
3. ये हृदय- स्पंदन को तथा Hindgut में तरंग-गति की दर को बढ़ाते हैं, परन्तु Foregut में तरंग-गति को घटाते हैं।
4. ये वसा काय में प्रोटीन उपापचय (metabolism) का और सम्भवतः उदर की श्वास गति का भी नियन्त्रण करते हैं।
5. वृद्धि प्रावस्था में ये प्रोथोरैक्सी ग्रन्थि को moulting hormone या ecdysone के स्रावण की प्रेरणा देते हैं। यह हॉरमोन वृद्धि एवं moulting को प्रेरित करता है।
6. कॉरपोरा ऐलेटा के हॉरमोन्स वयस्क कॉकरोच में अण्डकों (oocytes) की वृद्धि एवं इनके परिपक्वन तथा सहायक जनन ग्रन्थियों की स्रावण क्रिया को उत्तेजित करते हैं।
7. वृद्धि प्रावस्था में कॉरपोरा ऐलेटा किशोरावस्था हॉरमोन (juvenile hormone or neotinin) का स्रावण करते हैं जो ऊतकों की वृद्धि और विभेदीकरण का नियन्त्रण करके रूपान्तरण एवं moulting को समय से पूर्व हो जाने से रोकता है और इस प्रकार किशोरावस्था को बनाए रखने का कार्य करता है।
8. कॉरपोरा ऐलेटा के कुछ हॉरमोन्स विभिन्न सदस्यों के बीच, विशेषतौर से नर एवं मादा के बीच, पारस्परिक आचरण को भी प्रभावित करते हैं।
(ख) श्वास-रन्ध्रीय या स्पाइरैकुलर तन्त्र (Spiracular System): इसमें Nerve Cord के गुच्छकों से निकलने वाली वे महीन, जोड़ीदार तन्त्रिकाएँ आती हैं जो श्वास रन्ध्रों (spiracles) का नियन्त्रण करती हैं।
(ग) पुच्छीय या कॉडल तन्त्र (Caudal System) : इसमें वे महीन तन्त्रिकाएँ आती हैं जो अन्तिम उदर गुच्छक से Hindgut के विभिन्न भागों, जननांगों एवं गुद-उपांगों में जाती हैं।
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