संवेग-संरक्षण का सिद्धांत(Conservation of Momentum):परिभाषा, सूत्र, उदाहरण|hindi


संवेग-संरक्षण का सिद्धांत(Conservation of Momentum):परिभाषा, सूत्र, उदाहरण


संवेग-संरक्षण का सिद्धान्त (Principle of Conservation of Momentum)


यदि दो अथवा दो से अधिक वस्तुओं के समुदाय पर कोई बाह्य बल कार्य न करे तो समुदाय का संयुक्त संवेग नियत रहता है। इसे 'संवेग-संरक्षण का सिद्धान्त' कहते हैं।

माना कि m1 व  m2 द्रव्यमानों के दो पिण्ड एक चिकने क्षैतिज तल पर क्रमश: u1 व u2 वेगों से चल रहे हैं। इनके संवेग क्रमश:

P1 = m1 u1 तथा p2 = m2 u2 हैं

माना कि पिण्ड परस्पर टकराकर एक-दूसरे से अलग-अलग हो जाते हैं। यदि टकराने के पश्चात् पिण्डों के वेग क्रमश: v1 व v2 हों तो उनके संवेग क्रमश: m1 v1 व m2 v2 होंगे । तब,

m1 u1 + m2 u2 = m1 v1 + m2 v2
अथवा
- m1 (v1 - u2) = m2 (v2 - u2)

इससे स्पष्ट है कि एक पिण्ड में जितना संवेग-परिवर्तन होगा, दूसरे में भी उतना ही विपरीत संवेग-परिवर्तन हो जायेगा। इस प्रकार दोनों पिण्डों के संयुक्त संवेग का मान नियत रहेगा।

जब बन्दूक से गोली छोड़ी जाती है तो बन्दूक गोली को बड़े वेग से आगे की ओर फैकती है। इससे गोली में की दिशा में संवेग उत्पन्न हो जाता है। गोली भी बन्दूक पर प्रतिक्रिया-बल लगाती है जिससे कि बन्दूक में पीछे की दिशा में उतना ही संवेग उत्पन्न हो जाता है तथा वह पीछे की ओर को हटती है। (यही कारण है कि बन्दूक छोड़ने वाले को पीछे की ओर को धक्का लगता है।) चूँकि बन्दूक का दव्यमान गोली के द्रव्यमान से कहीं अधिक है, अतः बन्दूक के पीछे हटने का वेग गोली बढ़ने के वेग की अपेक्षा बहुत कम होता है। बन्दूक छोड़ने वाला बन्दूक को कन्धे से दबाकर रखता है ताकि बन्दूक व शरीर एक हो जायें। इस प्रकार द्रव्यमान बढ़ जाने से शरीर को भारी धक्का नहीं लगता है।





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