पृथ्वी का गुरुत्व-बल(Earth's Gravitational Force)
पृथ्वी का गुरुत्व-बल (Gravitational Force of Earth)
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण नियम में गुरुत्वाकर्षण बल वह आकर्षण-बल है जो किन्हीं दो वस्तुओं के बीच कार्य करता है। यदि इन वस्तुओं में एक वस्तु पृथ्वी हो तो गुरुत्वाकर्षण बल को 'गुरुत्व-बल' कहते हैं। अतः गुरुत्व-बल वह आकर्षण बल है जिससे पृथ्वी किसी वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। स्पष्ट कि गुरुत्व-बल, गुरुत्वाकर्षण बल का एक विशिष्ट उदाहरण है। इसी बल के कारण मुक्त रुप से फेंकी गई वस्तुयें अन्त में लौटकर पृथ्वी के तल पर गिरती हैं।गुरुत्वीय त्वरण (Acceleration due to Gravity)
जब कोई वस्तु ऊपर से मुक्त रूप से छोड़ी जाती है तो वह गुरुत्व-बल के कारण पृथ्वी की ओर गिरने लगती है तथा उसके गिरने का वेग बराबर बढ़ता जाता है। अतः उसकी गति में त्वरण उत्पन्न हो जाता है। इसी त्वरण को 'गुरुत्वीय त्वरण' कहते हैं। इस प्रकार गुरुत्वीय त्वरण, मुक्त रूप से पृथ्वी की ओर गिरती किसी वस्तु के वेग में 1 सेकण्ड में होने वाली वृद्धि है। इसे 'g' से प्रदर्शित करते हैं। यह वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान, इत्यादि पर निर्भर नहीं करता। सी० जी० एस० पद्धति में इसके मात्रक 'सेमी/सेकण्ड² तथा एम० के० एस० पद्धति में 'मीटर/सेकण्ड² है।
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो तो इस पर कार्य करने वाला गुरुत्वीय बल mg (वस्तु के भार) के बराबर होगा। अतः “गुरुत्वीय त्वरण परिमाण में उस बल के बराबर होता है जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है।"
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m हो तो इस पर कार्य करने वाला गुरुत्वीय बल mg (वस्तु के भार) के बराबर होगा। अतः “गुरुत्वीय त्वरण परिमाण में उस बल के बराबर होता है जिस बल से पृथ्वी एकांक द्रव्यमान वाली वस्तु को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है।"
g तथा G में सम्बन्ध : मान लो पृथ्वी का द्रव्यमान M तथा त्रिज्या R है तथा पृथ्वी का कुल द्रव्यमान उसके केन्द्र पर संकेन्द्रित है। माना कोई वस्तु, जिसका द्रव्यमान m है, पृथ्वी तल पर अथवा उससे कुछ ऊँचाई पर स्थित है । पृथ्वी की त्रिज्या के सापेक्ष पृथ्वी तल से वस्तु की दूरी उपेक्षणीय है। अतः वस्तु की पृथ्वी के केन्द्र से दूरी R के ही बराबर मानी जा सकती है। गुरुत्वाकर्षण के नियमानुसार, पृथ्वी द्वारा वस्तु पर लगाया गया गुरुत्व बल
पहला समीकरण (i).... F = GM m / R²
बल F के कारण ही वस्तु में गुरुत्वीय त्वरण g उत्पन्न होता है। न्यूटन के गति के दूसरे नियम के अनुसार,
बल = द्रव्यमान × त्वरण
दूसरा समीकरण (ii).... F=mg
समीकरण (i) व (ii) से
mg = G M m / R²
अथवा
इस सूत्र में m नहीं है। इससे स्पष्ट है कि g का मान वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता। अतः यदि भिन्न-भिन्न द्रव्यमानों की दो वस्तुयें स्वतन्त्रतापूर्वक (वायु की अनुपस्थिति में) ऊपर से गिराई जायें तो उनमें समान त्वरण उत्पन्न) होगा। अतः यदि वे एक ही ऊँचाई से गिराई गई हैं तो एकसाथ ही पृथ्वी पर पहुंचेंगी।
न्यूटन के काँच की नली (जिसकी वायु पम्प द्वारा निकाल दी गई थी) के एक सिरे से एक सिक्का व एक चिड़िया का पंख एक साथ गिराये। वे दोनों एक साथ ही नली के दूसरे सिरे पर पहुँचे। न्यूटन का यह प्रयोग 'गिन्ती तथा पंख' के नाम से प्रसिद्ध है।
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