ऑक्सीकरण तथा अपचयन की इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना (Electronic Concept)|hindi


ऑक्सीकरण तथा अपचयन की इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना (Electronic Concept of Oxidation and Reduction)
ऑक्सीकरण तथा अपचयन की इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना (Electronic Concept)|hindi

ऑक्सीकरण-अपचयन अभिक्रिया में ऑक्सीकृत तथा अपचयित होने वाले पदार्थों की इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं के अध्ययन से यह ज्ञात होता है कि -
  1. जिन पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या मे कमी आती है, उनका ऑक्सीकरण होता है
  2. जिन पदार्थों में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है, उनका अपचयन होता है। 

अतः इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण के आधार पर ऑक्सीकरण तथा अपचयन की एक अन्य परिभाषा भी दी गई है। इसके अनुसार

किसी पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन त्यागने की क्रिया उस पदार्थ का ऑक्सीकरण कहलाती है।
उदाहरण के लिए

1.      2Na + 2H2O → 2NaOH + H2
उपरोक्त अभिक्रिया में सोडियम परमाणु सोडियम आयन में परिवर्तित हो जाता है। अत: उपरोक्त अभिक्रिया में सोडियम का एक परमाणु एक इलेक्ट्रॉन त्याग देता है।

       Na - e Na+

अतः उपरोक्त अभिक्रिया में Na का ऑक्सीकरण होता है तथा यह अपचायक है।

2.       2FeCl2 + Cl2 → 2FeCl 3
उपरोक्त अभिक्रिया में FeCl2, FeCl3 में परिवर्तित हो रहा है। इस क्रिया में Fe²+ आयन, Fe³+ आयन में परिवर्तित हो रहा है। इस क्रिया में Fe²+ आयन एक इलेक्ट्रॉन का त्याग करता है।

       Fe²+ -e → fe³+

अतः उपरोक्त अभिक्रिया में Fe²+ का Fe³+ में अर्थात FeCl2 का FeCl3 में ऑक्सीकरण हो रहा है तथा FeCl2 अपचायक है।

किसी पदार्थ द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की क्रिया उस पदार्थ का अपचयन कहलाती है।
उदाहरण के लिए-
1. 2Na + Cl2 → 2NaCl

उपरोक्त अभिक्रिया में क्लोरीन का एक अणु दो क्लोराइड आयन (CI-) बनाता है अर्थात् एक क्लोरीन परमाणु एक क्लोराइड आयन बनाता है। इस क्रिया में प्रत्येक क्लोरीन एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है।

        Cl + e CI-

अतः उपरोक्त अभिक्रिया में क्लोरीन का अपचयन होता है तथा यह ऑक्सीकारक है।

2. 2HgCl2 + SnCl2 → Hg2Cl2 + SnCl4

उपरोक्त अभिक्रिया में मरक्यूरिक क्लोराइड (HgCI2), मरक्यूरस क्लोराइड (Hg2Cl2 ) में परिवर्तित होता है। इस क्रिया में मरक्यूरिक आयन (Hg²+ ), मरक्यूरस आयन (Hg2²+ ) में परिवर्तित होते हैं। दो मरक्यूरिक आयन दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके एक मरक्यूरस आयन बनाते हैं।

         2Hg²+ +2e → Hg2²+

अतः उपरोक्त अभिक्रिया में Hg²+ का Hg2²+ में अर्थात् HgCI2 का Hg2Cl2 में अपचयन हो रहा है तथा HgCl2 ऑक्सीकारक है।

इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना की सहायता से ऑक्सीकरण तथा अपचयन की पहचान

ऑक्सीकरण तथा अपचयन की प्रारम्भिक परिभाषाओं की सहायता से किसी रासायनिक अभिक्रिया में ऑक्सीकृत तथा अपचयित होने वाले पदार्थों की पहचान की जा सकती है। इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना के आधार पर किसी रासायनिक अभिक्रिया में ऑक्सीकृत तथा अपचयित होने वाले पदार्थों की पहचान प्रायः अधिक सुविधाजनक होती है।

इलेक्ट्रॉनिक संकल्पना की सहायता से ऑक्सीकरण तथा अपचयन की पहचान करने के लिए-
  1. सर्वप्रथम दी हुई आणविक समीकरण को आयनिक समीकरण में बदल लेते हैं। आणविक समीकरण को आयनिक समीकरण में बदलने के लिए सर्वप्रथम जलीय विलयन में आयनित हो जाने वाले यौगिकों के आयनों को अलग-अलग लिख लेते हैं। इसके बाद समीकरण में दोनों ओर उपस्थित समान प्रकार के आयनों (common ions) को काट देते हैं। इस प्रकार दी हुई आणविक समीकरण की आयनिक समीकरण प्राप्त हो जाती है।
  2. इस प्रकार प्राप्त आयनिक समीकरण को दो भागों में विभाजित कर लेते हैं। इस प्रकार ऑक्सीकरण तथा अपचयन की अर्द्ध-अभिक्रयाओं की आंशिक समीकरणें प्राप्त हो जाती हैं।
  3. अर्द्ध-अभिक्रियाओं की आंशिक समीकरणों में इलेक्ट्रॉनों की उचित संख्याएँ लिख कर संतुलित समीकरणें प्राप्त कर लेते हैं। अर्द्ध-अभिक्रिया की आंशिक समीकरण को संतुलित करने के लिए समीकरण में बायीं या दायीं ओर H+, OH- या H2O की उचित संख्याएँ जोड़नी पड़ सकती हैं।
  4. अर्द्ध-अभिक्रियाओं की संतुलित समीकरणों में इलेक्ट्रॉनों के निरीक्षण से ऑक्सीकरण तथा अपचयन की। अर्द्ध-अभिक्रियाओं की पहचान हो जाती है।

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