मच्छर द्वारा फैलाए जाने वाले रोग(diseases spread by mosquitoes)|hindi


मच्छर द्वारा फैलाए जाने वाले रोग(diseases spread by mosquitoes)

मच्छर द्वारा फैलाए जाने वाले रोग(diseases spread by mosquitoes)|hindi

मच्छर द्वारा भोजन ग्रहण (Feeding)


मादा की रुधिर चूसने की विधि 

1. मादा मच्छर मनुष्य (पोषद-host) के शरीर पर जहाँ भी बैठती है, पहले proboscis के संवेदी लैबेला द्वारा त्वचा की जाँच करती है। 

2. वह स्थान उपयुक्त होने पर यह proboscis को त्वचा पर थोड़ा दबाती है। इससे proboscis तो, कोमल होने के कारण, कमान की तरह मुड़कर ऊपर की ओर खिसक जाती है और शेष शलाकाओं जैसे कठोर मुख उपांग, मैन्डीबल्स तथा मैक्सिली के आरीनुमा छोरों की सहायता से, त्वचा को बींधते हुए किसी subcutaneous venous capillary में घुस जाते हैं। अब पेशीय pharynx की sucking action द्वारा शिरा केशिका का रुधिर आहार कुल्या में होकर चूसा जाता है। 

3. Proboscis के आधार छोर पर आहार कुल्या मुखद्वार में खुलती है। रुधिर इसी में होकर ग्रसनी में पहुँचता है। ग्रसनी इसे पीछे oesophagus में पम्प कर देती है। रुधिरपान शुरू करने से पहले मादा मच्छर, अधोजिह्वा के छोर पर खुलने वाली लार नलिका से, लार (saliva) की एक नन्हीं बूँद घाव में डाल देती है। 

4. लार में एक anticoagulant होता है जो रुधिरपान के समय के रुधिर को जमने से रोकता है। सम्भवतः anticoagulant के कारण ही पोषद की त्वचा पर यह स्थान लाल-सा होकर सूज जाता है और इसमें खुजली एवं जलन होने लगती है।

मच्छर द्वारा फैलाए जाने वाले रोग(diseases spread by mosquitoes)|hindi

नर में भोजन ग्रहण : नर मच्छर में मैन्डीबल्स नहीं होते हैं। अतः यह मुख उपांगों को त्वचा में चुभोकर रुधिरपान नहीं कर सकता। यह अपना निर्वाह फूलों के रस से ही करता है।


मच्छर द्वारा फैलाए जाने वाले रोग

मच्छरों के काटने से हमें जलन एवं खुजली होती है। इसके अतिरिक्त, ये मनुष्य के चार निम्नलिखित घातक रोगों के प्रमाणित वाहक होते हैं-

1. मलेरिया (Malaria) : यह रुधिर में प्लाज्मोडियम (Plasmodium) नामक प्रोटोजोअन परजीवी के संक्रमण (infection) से होता है। मादा ऐनोफेलीज (female Anopheles) इसे फैलाती है।

2. फीलपाँव (Elephantiasis or Filariasis) : यह मनुष्य के रुधिर एवं लसिका में एक Nematode परजीवी–Wuchereria-microfilaria–के संक्रमण से होता है। इसे फैलाने का काम मादा क्यूलेक्स (female Culex) करती है। इसमें पोषद की मृत्यु तो नहीं होती है लेकिन हाथ-पैर, जननांग तथा अन्य अंग फूलकर विकृत (deformed) हो जाते हैं।

3. दण्डकज्वर (Dengue Fever) : इसे “हड्डीतोड़ ज्वर" भी कहते हैं। इसमें हड्डियों और जोड़ों में भयंकर पीड़ा तथा तेज बुखार होता है। यह एक प्रकार के वाइरस (virus) के संक्रमण से होता है जिसे क्यूलेक्स फैटिगेंस (Culex fatigans) तथा ऐडीज ऐजिप्टाइ (Aedes aegypti) मच्छर फैलाते हैं।

4. पीतज्वर (Yellow Fever) : यह भी एक वाइरस के संक्रमण से होने वाला रोग है जिसे ऐडीज (Aedes) मच्छर फैलाते हैं। इसमें भी तेज बुखार चढ़ता है और यकृत को बहुत हानि होती है। इससे प्रायः anaemia तथा internal bleeding या haemorrhage हो जाता है। 


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