सूत्र - C2H5OH
एथिल ऐल्कोहॉल का संरचना सूत्र निम्नलिखित है-
H H
| |
H-C-C-O-H या CH3–CH2–OH या C2H5OH
| |
H H
इसमें —OH समूह संतृप्त कार्बन परमाणु से जुड़ा है। अतः इसमें ऐल्कोहॉली समूह उपस्थित है। अतः यह एक ऐल्कोहॉल है। यह ऐल्कोहॉल समूह का महत्वपूर्ण सदस्य है तथा केवल ऐल्कोहॉल के नाम से भी जाना जाता है। आई०यू०पी०ए०सी० पद्धति में इसका नाम एथेनॉल है। प्रकृति में यह सुगन्धित तेलों तथा फलों में एस्टरों के रुप में पाया जाता है। एथिल ऐल्कोहॉल को प्रायः स्टार्च-युक्त अन्न पदार्थों से बनाया जाता है, अतः व्यापार में इसे अन्न ऐल्कोहॉल (grain alcohol) भी कहते हैं।
निर्माण की विधियाँ
1. एथिल ब्रोमाइड से - एथिल क्लोराइड, एथिल ब्रोमाइड या एथिल आयोडाइड की जलीय KOH या NaOH से अभिक्रिया के फलस्वरुप एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
उदाहरण के लिए
C2H5Br + KOH (जलीय) → C2H5OH + KBr
2. एथिल ऐसीटेट से - अम्ल या क्षार की उपस्थिति में एथिल ऐसीटेट की जल से अभिक्रिया के फलस्वरुप एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
CH3COOC2H5 + HOH → CH3COOH + C2H5OH
इस अभिक्रिया में अम्ल या क्षार उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
3. एथिलीन से - सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल में एथिलीन प्रवाहित करने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट प्राप्त होता है जिसे भाप द्वारा जल अपघटित कराने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
CH2 CH3 CH3
|| + H2SO4 | |
CH2 CH2HSO4 CH2OH
4. किण्वन द्वारा (By Fermentation) – अणु-जीवों (micro-organisms) द्वारा कार्बनिक यौगिकों के धीरे-धीरे सरल कार्बनिक पदार्थों मे अपघटित होने की क्रिया को किण्वन कहते हैं। जिन अणु-जीवों के कारण यह क्रिया सम्पन्न होती है, उन्हें किण्व (ferments) कहते हैं। दूध का फटना, दही का जमना, गोश्त और पनीर में कुछ समय बाद दुर्गन्ध आना तथा गन्ने के रस से शराब और सिरके का बनना किण्वन के उदाहरण हैं। किण्वन की क्रिया में किण्वों से प्राप्त कुछ जटिल नाइट्रोजन युक्त कार्बनिक यौगिक उत्प्रेरक के रुप में कार्य करते हैं। इन यौगिकों को एन्जाइम (enzymes) कहते हैं।
एथिल ऐल्कोहॉल को शर्करा-युक्त तथा स्टार्च-युक्त पदार्थों के किण्वन द्वारा भी प्राप्त किया जाता है। शर्करायुक्त पदार्थों के किण्वन में निम्नलिखित अभिक्रियाएँ होती हैं—
C12H22O11 + H2O → इन्वर्टेस (यीस्ट से) → C6H1206 + C6H12O6
भौतिक गुणधर्म
यह एक रंगहीन तथा मीठी गंध वाला द्रव है। इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है। इसका क्वथनांक 78.2°C होता है। यह वायु में हल्की नीली ज्वाला के साथ जलता है। यह जल तथा कार्बनिक विलायकों में मिश्रणीय (miscible) है।
रासायनिक गुणधर्म
1. क्षार धातुओं से क्रिया - सोडियम या पोटैशियम धातु से अभिक्रिया करके यह हाइड्रोजन मुक्त करता है
2C2H5OH + 2Na → 2C2H5ONa + H2
सोडियम एथॉक्साइड
2. ऐसीटिक अम्ल से क्रिया - ऐसीटिक अम्ल से अभिक्रिया करके यह एथिल ऐसीटेट बनाता है। यह अभिक्रिया सान्द्र H2SO4 की कुछ बूदों की उपस्थिति में सम्पन्न होती है जो उत्प्रेरक व निर्जलीकारक दोनों का कार्य करता है।
सान्द्र H2SO4
CH3COOH + C2H5OH → CH3COOC2H5 + H2O
ऐसीटिक अम्ल की भाँति अन्य कार्बोक्सिलिक अम्लों की एथिल ऐल्कोहॉल से अभिक्रिया इसी प्रकार होती है। एस्टर सामान्य नाम वाले यौगिक प्राप्त होते हैं तथा इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण (esterification) कहते हैं।
3. अमोनिया से क्रिया - कॉपर क्रोमाइट, ऐलुमिना या अन्य उपयुक्त उत्प्रेरक की उपस्थिति में उच्च दाब पर अमोनिया के साथ गर्म करने पर यह एथिल ऐमीन बनाता है।
C2H5OH + NH3 → C2H5NH2 + H2O
4. हैलोजन अम्लों से क्रिया - हैलोजेन अम्लों से अभिक्रिया करके यह एथिल हैलाइड बनाता है। HCl के साथ अभिक्रिया निर्जल ZnCl2 की उपस्थिति में तथा HBr के साथ अभिक्रिया सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में सम्पन्न करायी जाती है। HI के साथ अभिक्रिया उत्क्रमणीय होती है।
C2H5OH + HCl → C2H5Cl + H2O
निर्जल ZnCl2
5. फॉस्फोरस पेण्टा क्लोराइड से क्रिया - फॉस्फोरस पेण्टाक्लोराइड (PCls) से अभिक्रिया करके यह एथिल क्लोराइड बनाता है।
C2H5OH+ PCl5 → C2H5Cl + POCl3 + HCl
6. क्लोरीन से क्रिया - एथिल ऐल्कोहॉल की क्लोरीन से अभिक्रिया इस प्रकार होती है-
CH3CH2OH + Cl2 → CH3CHO + 2HCl
एथिल ऐल्कोहॉल ऐसेटेल्डिहाइड
CH3CHO + 3Cl2 → CCl3CHO + 3HCl
7. ऑक्सीकरण (Oxidation) - अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7) विलयन एक प्रमुख ऑक्सीकारक है। यह ऑक्सीकरण के लिए नवजात ऑक्सीजन निम्नवत् प्रदान करता है-
K2Cr2O7 + 4H2SO4 → K2SO4 + Cr2(SO4)3 + 4H2O + 3O
एथिल ऐल्कोहॉल के अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन द्वारा ऑक्सीकरण के प्रथम पद में ऐसेटेल्डिहाइड तथा द्वितीय पद में ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।
CH3CH2OH + O → CH3CHO + H2O
CH3CHO + O → CH3COOH
ऐसीटिक अम्ल
इस अभिक्रिया के फलस्वरूप ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है लेकिन अभिक्रिया की परिस्थितियों को नियंत्रित करके अभिक्रिया को प्रथम पद के बाद रोका भी जा सकता है। इन परिस्थितियों में अभिक्रिया का प्रमुख उत्पाद ऐसेटेल्डिहाइड होगा।
8. तप्त ताँबे की क्रिया - एथिल ऐल्कोहॉल की वाष्पों को तप्त ताँबे पर 300°C पर प्रवाहित करने पर ऐसेटेल्डिहाइड प्राप्त होता है।
Cu
CH3 —CH2OH → CH3 —CHO + H2
300°C
इस अभिक्रिया में एथिल ऐल्कोहॉल के 1 अणु में से 1 अणु हाइड्रोजन का पृथक् हो जाता है। अतः यह अभिक्रिया विहाइड्रोजनीकरण (dehydrogenation) अभिक्रिया का उदाहरण है।
9. हैलोफॉर्म अभिक्रिया - क्लोरीन व सोडियम हाइड्रॉक्साइड (या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड) के साथ गर्म करने पर यह क्लोरोफॉर्म बनाता है। आयोडीन व सोडियम हाइड्रॉक्साइड (या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड) के साथ गर्म करने पर यह आयोडोफॉर्म बनाता है।
C2H5OH + 4Cl2 + 6NaOH → CHCl3 + HCOONa + 5NaCl + 5H2O
C2H5OH + 4I2 + 6NaOH → CHI3 + HCOONa + 5NaCl + 5H2O
उपयोग (Uses)
100% शुद्ध एथिल ऐल्कोहॉल को परिशुद्ध ऐल्कोहॉल (absolute alcohol) कहते हैं। एथिल ऐल्कोहॉल के जलीय घोल को (जो आसवन से प्राप्त होता है) परिशोधित स्प्रिंट (rectified spirit) कहते हैं। परिशोधित स्प्रिंट में लगभग 95% एथिल ऐल्कोहॉल तथा 5% जल होता है। उद्योगों तथा प्रयोगशालाओं में एथिल ऐल्कोहॉल का प्रयोग मुख्यतः परिशोधित स्प्रिट (spirit) के रूप में किया जाता है। परिशोधित स्प्रिट में मेथेनॉल, पिरिडीन या कोई अन्य विषैला पदार्थ मिला देने से जो द्रव प्राप्त होता है वह विकृत स्प्रिट (denatured spirit) कहलाता है। चूँकि परिशोधित स्प्रिंट का प्रयोग नशीले पदार्थ के रूप में पीने के लिये किया जा सकता है, अतः इसका दुरुपयोग रोकने के लिये प्रयोगशालाओं में तथा उद्योगों में परिशोधित स्प्रिट के स्थान पर यथासम्भव विकृत स्प्रिट का प्रयोग किया जाता है। विकृत स्पिरिट तथा परिशोधित स्प्रिट में विभेद करने के लिए विकृत स्पिरिट में मेथिल वॉयलेट या कोई अन्य उपयुक्त ऐनिलीन रंजक मिला देते हैं जिससे इसका रंग नीला हो जाता है।
एथिल ऐल्कोहॉल के प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं-
- एथिल ऐल्कोहॉल को अनेक कार्बनिक पदार्थों के विलायक के रूप में प्रयुक्त किया जाता है।
- एथिल ऐल्कोहॉल का प्रयोग ईथर, क्लोरोफॉर्म, रंजक (dyes), सुगन्धित पदार्थों एवम् अन्य कई पदार्थों के निर्माण में किया जाता है।
- एथिल ऐल्कोहॉल का प्रयोग प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में भी किया जाता है।
- अनार्द्र एथिल ऐल्कोहॉल तथा गैसोलिन (पेट्रोल) के मिश्रण को शक्ति ऐल्कोहॉल (power alcohol) कहते हैं। इसका प्रयोग स्वचालित वाहनों में पेट्रोल के स्थान पर ईंधन के रूप में किया जा सकता है। शक्ति ऐल्कोहॉल को जिसमें लगभग 10% एथिल ऐल्कोहॉल होता है, गैसोहोल (gasohol) कहते हैं। इसे स्वचालित वाहनों में ईंधन के रूप में प्रयुक्त करने पर इंजन में कोई संशोधन नहीं करना पड़ता है। यदि शक्ति ऐल्कोहॉल में एथिल ऐल्कोहॉल का अनुपात 10-15% से अधिक होता है तो इंजन में संशोधन करना पड़ता है।
- एथिल ऐल्कोहॉल का प्रयोग नशीले पदार्थ के रूप में पीने के लिये भी किया जाता है। जिन नशीले पदार्थों में एथिल ऐल्कोहॉल उपस्थित होता है, वे दो प्रकार के होते हैं— (i) स्प्रिट (spirit), तथा (ii) शराब (wine)। यदि ऐल्कोहॉली पेय पदार्थ आसुत (distilled) है तो इसे स्प्रिट कहते हैं। यदि ऐल्कोहॉली पेय पदार्थ अनासुत (undistilled) है तो इसे शराब कहते हैं। ऐल्कोहॉली पेय पदार्थों में मुख्यतः 3 से 40% तक एथिल ऐल्कोहॉल तथा शेष जल होता है। प्रूफ स्प्रिट (proof spirit) में भार के अनुसार 49.3% एथिल ऐल्कोहॉल होता है। x° प्रूफ स्प्रिंट में x% प्रूफ स्प्रिंट होती है।
- इसका प्रयोग जीव अनुरूपों (biological specimens) के परिरक्षण (preservation) में भी किया जाता है।
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