आनुवंशिक कूट (genetic code) क्या है?
आनुवंशिक कूट (genetic code) - डी०एन०ए० (DNA) आनुवंशिक सूचनाओं या सन्देशों के टेप की भाँति है जिसमें नाइट्रोजन क्षारकों के अनुक्रमांक के रूप में आनुवंशिक सन्देश होते हैं। प्रोटीन में प्रायः विभिन्न प्रकार के 20 अमीनो अम्ल होते हैं परन्तु न्यूक्लिक अम्ल में केवल चार ही क्षारक होते हैं। इसे इस प्रकार भी कह सकते हैं कि प्रोटीन भाषा की वर्णमाला में 20 अमीनो अम्ल रूपी अक्षर (alphabets) होते हैं।
➤ इसी प्रकार न्यूक्लिक अम्लों की भाषा की वर्णमाला में चार क्षारक रूपी अक्षर होते हैं क्योंकि आनुवंशिक सूचना m-RNA से होकर प्रोटीन तक पहुँचती है, अतः RNA की भाषा का प्रोटीन की भाषा में अनुवाद करने के लिए एक शब्दकोष को तैयार करना आनुवंशिक कूट (genetic code) की समस्या थी।
➤ एक चार अक्षरों की भाषा और दूसरी 20 अक्षरों की भाषा होने के कारण ऐसा होना संभव ही नहीं है कि RNA भाषा का एक अक्षर मतलब कि एक क्षारक प्रोटीन भाषा के एक अक्षर या एक अमीनो अम्ल के समतुल्य हो सके।
इस प्रकार आनुवंशिक संकेत पद्धति में कुल 4³ = 4x4 x4 = 64 कोडॉन होते हैं।
➤ इस सम्बन्ध में अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये परन्तु क्रिक (F.H.C. Crick) द्वारा प्रस्तुत सिद्धान्त ही सर्वाधिक मान्य है। इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए तीन नाइट्रोजन क्षारकों का एक अनुक्रम या त्रिक् कोड (triplet code) होता है; अतः आनुवंशिक कूट (genetic code) डी०एन०ए० अणुओं में स्थित नाइट्रोजन क्षारकों का वह अनुक्रम होता है जिसमें प्रोटीन के अणुओं के संश्लेषण के लिए सन्देश निहित रहते हैं।
इस प्रकार आनुवंशिक संकेत पद्धति में कुल 4³ = 4x4 x4 = 64 कोडॉन होते हैं।
➤ इस सम्बन्ध में अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये परन्तु क्रिक (F.H.C. Crick) द्वारा प्रस्तुत सिद्धान्त ही सर्वाधिक मान्य है। इस सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक अमीनो अम्ल के लिए तीन नाइट्रोजन क्षारकों का एक अनुक्रम या त्रिक् कोड (triplet code) होता है; अतः आनुवंशिक कूट (genetic code) डी०एन०ए० अणुओं में स्थित नाइट्रोजन क्षारकों का वह अनुक्रम होता है जिसमें प्रोटीन के अणुओं के संश्लेषण के लिए सन्देश निहित रहते हैं।
कोडॉन codon
न्यूक्लियोटाइड्स के उस समूह को जिसमें किसी एक अमीनो अम्ल के लिए सन्देश या कोड हो, कोडॉन (codon) कहते हैं। जैसे AUG समारम्भ कोडॉन है।
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एण्टीकोडॉन anticodon
एण्टीकोडॉन anticodon
t-RNA में उपस्थित उस तीन क्षारक समूह को जो m-RNA में उपस्थित कोडॉन का पूरकहोते हैं, उन्हें एण्टीकोडॉन (anticodon) कहते हैं।
त्रिक कोड triplet code
गैमो (Gamow, 1954) ने तीन अक्षरीय कोड की सम्भावना प्रकट की। DNA व RNA में कुल चार न्यूक्लियोटाइड्स होते हैं और लगभग 20 अमीनो अम्लों के विन्यास का कोड (code) इनके विन्यास पर आधारित होता है। अगर यह मान लिया जाये कि प्रत्येक कोड केवल एक न्यूक्लिओटाइड का बना होता है तो इससे कुल चार कोड बनेंगे जो केवल 4 अमीनो अम्लों के विन्यास को नियन्त्रित कर सकते हैं।
➤ अगर प्रत्येक कोड को दो न्यूक्लियोटाइड्स का बना हुआ माना जाये तो (4×4) केवल 16 कोड्स बनेगे। ये भी 20 अमीनो अम्लों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। तीन न्यूक्लियोटाइड्स के बने कोड से (4 x 4 x 4 = 64) 64 कोड शब्द बनते हैं। ये बीस अमीनो अम्लों के लिए आवश्यकता से अधिक हो जाते हैं; अतः गैमो की तीन अक्षरीय कोड की सम्भावना सही है।
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श्रृंखला का समारम्भ एवं समापन करने वाले कोडॉन (chain initiation and chain termination codons)
सिस्ट्रोन के प्रथम कोडॉन को समारम्भ कोडॉन (initiation codon) कहते हैं। यह पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला के कोडित होने के सन्देश को प्रारम्भ करता है। अधिकतर श्रृंखलाओं में AUG समारम्भ कोडॉन होता है। यह मेथिओनिन (methionine) नामक अमीनो अम्ल को कोडित करता है।
इसी प्रकार सिस्ट्रोन का अन्तिम कोडॉन पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला का समापन करता है। इसे समापन कोडॉन (termination codon) कहते हैं। समापन कोडॉन तीन होते हैं—UAA, UGA तथा UAG। प्रारम्भ में जब इनके कार्य का ज्ञान नहीं था तो ये निरर्थक कोडॉन (nonsense codon) कहलाते थे।
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