संयोजकता का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त (Electronic Theory of Valency)|hindi


संयोजकता का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त (Electronic Theory of Valency)


संयोजकता का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त (Electronic Theory of Valency)|hindi


संयोजकता के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त का परिचय 

परमाणु संरचना के ज्ञान के आधार पर सन् 1919 में कोसेल (Kossel) तथा लीविस (Lewis) ने संयोजकता को इलेक्ट्रॉनों के सन्दर्भ में समझाने के लिये संयोजकता का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त प्रतिपादित किया। इस सिद्धान्त के अनुसार -

1. किसी तत्व की संयोजन क्षमता (combining capacity) उसके परमाणुओं के बाह्यतम कोशों में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है।

2. उत्कृष्ट गैसें (noble gases) लगभग निष्क्रिय (inactive) होती हैं। इनके बहुत कम तत्वों के साथ रासायनिक संयोग होते हैं। अतः इनकी संयोजन क्षमता अन्य सब तत्वों से कम होती है। इनकी अक्रियता से यह सिद्ध होता है कि इन तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (electronic configurations) बहुत स्थायी हैं।

सभी तत्वों के परमाणुओं की प्रवृत्ति स्थायित्व (stability) प्राप्त करने की होती है। सभी तत्वों के परमाणुओं की प्रवृत्ति यह होती है कि वे निकटतम उत्कृष्ट गैस की स्थायी इलेक्ट्रॉनिक संरचना प्राप्त कर लें।

उत्कृष्ट गैसों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित हैं—

2 He   : 2

10 Ne : 2,8

18 Ar  : 2, 8, 8

36 Kr  : 2, 8, 18, 8

54 Xe : 2, 8, 18, 18, 8

86 Rn : 2, 8, 18, 32, 18, 8

हीलियम के अतिरिक्त अन्य सभी उत्कृष्ट गैसों के बाह्यतम कोशों में 8 इलेक्ट्रॉन हैं। अतः अधिकांश तत्वों के परमाणुओं में अपने बाह्यतम कोश में 8 इलेक्ट्रॉन कर लेने की प्रवृत्ति होती है। इस नियम को अष्टक नियम (Octet rule) कहते हैं।

3. परमाणु स्थायी संरचना निम्न प्रकार से प्राप्त करते हैं-
  • दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण द्वारा (वैद्युत-संयोजकता)। 
  • दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉनों की बराबर की साझेदारी द्वारा (सह-संयोजकता)। 
  • दो परमाणुओं के मध्य दो इलेक्ट्रॉनों की ऐसी साझेदारी द्वारा जिसमें साझे के दोनों इलेक्ट्रॉन किसी एक ही परमाणु द्वारा दिये जायें (उपसह-संयोजकता)।

4. किसी तत्व के एक परमाणु द्वारा रासायनिक संयोग में स्थानान्तरण या साझे में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या को उसकी संयोजकता कहते हैं। किसी तत्व के परमाणुओं द्वारा रासायनिक संयोग में स्थानान्तरण या साझे में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनों को उस तत्व के संयोजी इलेक्ट्रॉन (valency electrons) कहते हैं। संयोजी इलेक्ट्रॉन जिस कोश में होते हैं, उसे संयोजी कोश (valency shell) कहते हैं।

संयोजकता के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर फ्रैंकलैंड द्वारा दी गई संयोजकता की परिभाषा की व्याख्या की जा सकती है। संयोजकता के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त के आधार पर किसी तत्व के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से उसकी संयोजकता भी ज्ञात की जा सकती है।

उदाहरण के लिए-
  • हाइड्रोजन (H) परमाणु में केवल एक कक्षा होती है जिसमें एक इलेक्ट्रॉन होता है। इसके निकटतम उत्कृष्ट गैस हीलियम (He) है जिसमें केवल एक कक्षा होती है तथा उसमें दो इलेक्ट्रॉन होते हैं। हीलियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्थायी होता है। H+ भी H से अधिक स्थायी होता है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिये हाइड्रोजन के एक परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन कम हो जाता है या उसमें एक इलेक्ट्रॉन अधिक हो जाता है। अतः हाइड्रोजन की संयोजकता 1 होती है।
  • सोडियम (Na, परमाणु क्रमांक = 11) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 1 है। इसके निकटतम उत्कृष्ट गैस नियॉन (Ne) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8 है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिये सोडियम के एक परमाणु में से एक इलेक्ट्रॉन कम हो जाता है। अतः इसकी संयोजकता 1 होती है।
  • क्लोरीन (CI, परमाणु क्रमांक = 17) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है। इसके निकटतम उत्कृष्ट गैस आर्गन (Ar) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 होता है। अतः स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिये क्लोरीन का एक परमाणु किसी अन्य परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है। अतः इसकी संयोजकता 1 है।
  • नाइट्रोजन (N, परमाणु क्रमांक = 7) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 5 है। इसके निकटतम दो उत्कृष्ट गैसें हीलियम (He) तथा नियॉन (Ne) हैं। हीलियम जैसी स्थायी संरचना प्राप्त करने के लिये नाइट्रोजन का एक परमाणु पाँच इलेक्ट्रॉन त्याग सकता है तथा नियॉन जैसी स्थायी सरंचना प्राप्त करने के लिये इसका एक परमाणु तीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकता है। अतः नाइट्रोजन की संयोजकताएँ 3 तथा 5 हैं।



संयोजकता के इलेक्ट्रॉनिक सिद्धान्त को हम इन कुछ संख्यात्मक उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं  (Numerical Examples)

प्रश्न 1. एक तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8, 2 है, इसकी संयोजकता क्या है?

हल : इस तत्व के परमाणु के अन्तिम कोश में 2 इलेक्ट्रॉन हैं तथा अन्तिम से पहले वाले कोश में 8 इलेक्ट्रॉन हैं। अष्टक नियम के अनुसार अधिकांश तत्वों के परमाणुओं में अपने बाह्यतम कोश में आठ इलेक्ट्रॉन कर लेने की प्रवृत्ति होती है। यदि इस तत्व का एक परमाणु 2 इलेक्ट्रॉन त्याग दे तो इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 8 हो जायेगा तथा बाह्यतम कोश में आठ इलेक्ट्रॉन रह जायेंगे। अतः इसकी संयोजकता 2 है।




प्रश्न 2. एक परमाणु (क) दूसरे परमाणु (ख) को दो इलेक्ट्रॉन स्थानान्तरित करके यौगिक (क ख) बनाता है। ख की संयोजकता बताइये तथा ख की अन्तिम कक्षा में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बताइये।

हल : चूँकि ख दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है, अतः ख की संयोजकता 2 है। अधिकांश तत्वों के परमाणुओं में अपने बाह्यतम कोश में आठ इलेक्ट्रॉन कर लेने की प्रवृत्ति होती है। ख ऐसा दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके करता है। अतः ख के बाह्यतम कोश में 8-2= 6 इलेक्ट्रॉन हैं।




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