कैपलर ने ग्रहों की गति से सम्बन्धी तीन नियम दिए थे। यह नियम इस प्रकार हैं-
पहला नियम - सभी ग्रह सूर्य के चारों ओर दीर्घ-वृत्ताकार कक्षाओं (elliptical orbits) में चक्कर लगाते हैं तथा सूर्य, उन कक्षाओं के एक फोकस पर स्थित होता है।
दूसरा नियम - सूर्य तथा किसी ग्रह को मिलाने वाली रेखा बराबर समय-अन्तराल में बराबर क्षेत्रफल पार (sweep) करती है, अर्थात् प्रत्येक ग्रह की क्षेत्रीय चाल (areal speed) नियत रहती है। अत: जब ग्रह सूर्य के समीप होता है, तो उसकी चाल अधिकतम होती है तथा जब दूर होता है, तो उसकी चाल न्यूनतम होती है। नीचे चित्र में एक ग्रह की कक्षा को दर्शाया गया है। यदि यह ग्रह किसी दिये समय-अन्तराल में A से B तक जाता है तथा उतने ही समय-अन्तराल में C से D तक जाता है, तब क्षेत्रफल SAB तथा SCD आपस में बराबर होंगे।
तीसरा नियम - सूर्य के चारों ओर किसी भी ग्रह के परिक्रमण काल का वर्ग उसकी दीर्घवृत्तीय कक्षा के अर्द्ध-दीर्घ अक्ष (semi-major axis) के घन के अनुक्रमानुपाती होता है।
अतः यदि किसी ग्रह का सूर्य के चारों ओर परिक्रमणकाल T तथा उसकी दीर्घवृत्तीय कक्षा की अर्द्ध-दीर्घ अक्ष a हो तो तृतीय नियम के अनुसार T² ∝ a³ अथवा T² / a³ = नियतांक अर्थात् सभी ग्रहों के लिए T²/ a³ का मान नियत रहता है।
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