कैपलर के ग्रहों की गति सम्बन्धी नियमों से न्यूटन के निष्कर्ष
कैपलर के नियमों से न्यूटन के निष्कर्ष - न्यूटन ने पाया कि अधिकांश ग्रहों (बुध व प्लूटो को छोड़कर) सूर्य के चारों ओर की कक्षाएँ लगभग वृत्ताकार हैं। कैपलर के द्वितीय नियम के अनुसार, किसी ग्रह की क्षेत्रीय चाल नियत रहती है। अतः वृत्ताकार कक्षा में ग्रह की रेखीय चाल (v) नियत होगी। चूँकि यह वृत्ताकार पथ पर चल रहा है ; अतः ग्रह पर केन्द्र (सूर्य) की ओर अभिकेन्द्र बल F लगता है तथा
F = mv²
जहाँ m ग्रह का द्रव्यमान, v ग्रह की रेखीय चाल तथा r वृत्ताकार कक्षा की त्रिज्या है।
यदि ग्रह का परिक्रमणकाल T है, तो v = एक चक्कर में तय की गई रेखीय दूरी / परिक्रमण काल
परन्तु कैपलर के तीसरे नियम के अनुसार, T² = Kr³
इस प्रकार कैप्लर के नियमों के आधार पर न्यूटन ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले
इन निष्कर्षों के साथ-साथ न्यूटन ने यह बताया कि कैपलर के नियम केवल सूर्य एवं ग्रह के बीच ही सत्य नहीं हैं, अपितु ब्रह्माण्ड में स्थित किन्हीं भी दो पिण्डों के लिए भी सत्य हैं।
यदि ग्रह का परिक्रमणकाल T है, तो v = एक चक्कर में तय की गई रेखीय दूरी / परिक्रमण काल
= 2πr / T
F= m/r (2r/T)² = m/r (4π²r²/T²) = 4π²mr/T²
F = 4π²mr / Kr³ = 4π²/K (m/r²)
अथवा F ∝ m/r² [ ∵ 4π²/K अचर है। ]
इस प्रकार कैप्लर के नियमों के आधार पर न्यूटन ने निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले
- ग्रह पर एक अभिकेन्द्र बल (F) कार्य करता है जिसकी दिशा सूर्य की ओर होती है।
- यह बल ग्रह की सूर्य से औसत दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है (F ∝ 1/r²)।
- यह बल ग्रह के द्रव्यमान के अनुक्रमानुपाती होता है (F ∝ m)।
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