स्पंजों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance Of Sponges)|hindi


स्पंजों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance Of Sponges)

स्पंजों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance Of Sponges)|hindi

पोरिफेरा संघ के अंतर्गत कई ऐसे स्पंज आते हैं जिनका प्रयोग हम आर्थिक रूप से करते हैं। स्पंजों के आर्थिक महत्व के कई महत्व आते हैं जिनका अध्ययन हम नीचे करेंगे।

स्पंजों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance Of Sponges)

स्पंजों का आर्थिक महत्त्व इस प्रकार हैं-

1. बाथ स्पंज (Bath Sponge)देखा जाए तो स्पंजों का कोई विशेष आर्थिक महत्त्व नहीं होता है। फिर भी “बाथ स्पंजों" के कंकाल का उपयोग पहले से होता रहा है। यह स्पंज वर्ग डिमोस्पंजी (Class Demospongiae) की सदस्य होती हैं। इनका कंकाल कोलैजन सदृश स्पंजिन (spongin) नामक गन्धकयुक्त स्क्लीरोप्रोटीन से बने, लचीले धागों का एक घना जाल होता है जिन्हें स्पंजिन तन्तु (spongin fibres) कहते हैं। इस जाल में महीन रिक्त स्थान होते हैं जिनके कारण, केशिकीय आवेग (capillary force) होता है जिससे यह तरल की काफी मात्रा सोख लेता है। अतः इस सूखे कंकाल को साफ एवं पॉलिश करके स्नान में मैल साफ करने, फर्श, दीवारें, फर्नीचर, कार आदि को धोने एवं पॉलिश करने, जूतों पर पॉलिश करने, मुँह पर क्रीम, आदि लगाने, चित्रकारी में पेंटिंग करने, गद्दों, तकियों आदि में भरने के काम में लाया जाता रहा है। 

पहले लोग इनका उपयोग मदिरासेवन में भी करते थे- स्पंज को मदिरा में भिगोकर मुख में निचोड़ लेते थे। इसी प्रकार, शल्यचिकित्सा (surgery) में, स्पंज को रुधिर आदि सोखने के काम में लाया जाता था। जो स्पंज घटिया होते थे उन घटिया बाथ स्पंजों के कंकाल से योद्धाओं के बख्तरों एवं ढ़ालों की गद्दियाँ (pads) बनाई जाती थीं। आजकल भी वस्त्रों, छातों, जूतों एवं चप्पलों, टोपों, तकियों, गद्दों आदि में भरने या गद्दियाँ बनाने में स्पंजिन कंकाल का उपयोग होता है।


स्पंजों का आर्थिक महत्त्व (Economic Importance Of Sponges)|hindi

आजकल रबर, सेलुलोस, नाइलॉन आदि से नकली 'स्पंज' बनाई जाती है। यह प्राकृतिक 'स्पंज' से कम टिकाऊ और कड़ी होती है। प्राकृतिक स्पंजों में टर्किश बाथ स्पंज (Turkish bath sponge Spongia officinalis) सबसे कीमती होती है। घटिया बाथ स्पंजें हिप्पोस्पंजिया (Hippospongia) श्रेणी की स्पंजों के कंकाल से बनती हैं।

2. सजावट (Ornamentation) : कुछ स्पंजों के सूखे एवं पॉलिश किए हुए कंकाल सजावट के काम में लाए जाते हैं। इनमें यूप्लैक्टेला (Euplectella) स्पंज को ख्याति प्राप्त है। इसका कंकाल सिलिका की कण्टिकाओं का बना हुआ एक सुन्दर-सी लम्बी डलिया के रूप में होता है जिसे सुन्दरता की देवी "वीनस की फूलों की डलिया (Venus' Flowers Basket)" कहते हैं। जापान, फिलिपीन आदि देशों में सजावट के लिए इसका बहुत चलन है। 

युवा स्पंज की गुहा में एक प्रकार के झींगे- स्पंजीकोला (Spongicola) के नर एवं मादा सदस्य ऑस्कुलम में होकर जनन के लिए घुस जाते हैं। लेकिन बाद में स्पंज के ऑस्कुलम पर छिद्रल प्लेट (sieve plate) बन जाने से, ये स्पंज की गुहा में ही बन्दी बने रह जाते हैं। यूप्लैक्टेला के झींगेयुक्त सूखे कंकाल जापान में विवाह पर “अटूट विवाह बन्धन (Together Unto Death)” के प्रतीक रूप में भेंट किए जाते हैं।


3. अन्य महत्त्व (Other Properties) : काँटेदार, बदस्वाद एवं बदबूदार होने के कारण अन्य जन्तु स्पंजों को खाते नहीं, परन्तु कुछ परजीवी आर्थ्रोपोडा स्पंजकायों में रहते और इनकी कोशिकाओं का भक्षण करते हैं। कुछ मोलस्का भी स्पंज का नियमित भक्षण करते हैं। कुछ छोटे कृमि, मछलियाँ, आर्थ्रोपोडा एवं मोलस्का आदि स्पंजों की गुहाओं का उपयोग सुरक्षित छिपने के स्थानों के रूप में करते हैं। ये जन्तु स्पंज की जलधारा के साथ आए भोजन का उपयोग करने के अतिरिक्त स्पंज को कोई हानि नहीं पहुँचाते। अतः ये स्पंजों के सहभोजी (commensal) होते हैं।


4. हानिकारक स्पंजें (Harmful Sponges) : कुछ स्पंज हानिकारक भी होते हैं जो अन्य जन्तुओं पर वृद्धि करके उन्हें नष्ट कर देते हैं। इनमें बेधन स्पंज (boring sponge) क्लायोना (Cliona) उल्लेखनीय है, क्योंकि यह लाभदायक शुक्तियों (oysters) एवं सीपियों (clams) के कैल्सियमयुक्त खोलों में सुरंगें बनाकर इन्हें नष्ट कर देती है। कुछ स्पंजें जहरीली भी होती हैं, इन्हें छूने पर खुजली एवं जलन हो जाती है।


उपर्युक्त तथ्यों से हमें स्पंजों के आर्थिक महत्व का पता चलता है तथा यह भी पता चलता है कि यह अन्य जंतुओं के लिए किस प्रकार से उपयोगी होते हैं। इसके अलावा वे स्पंज जो अन्य जंतुओं को हानि पहुंचाते हैं उनके बारे में भी बताया गया है।



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