मादा कॉकरोच के जननांग में एक जोड़ी अण्डाशय, एक जोड़ी अण्डवाहिनियाँ, योनि, जनन वेश्म, एक जोड़ी कोलैटीरियल ग्रन्थियाँ, एक जोड़ी शुक्रधान तथा बाह्य जननांग होते हैं।
1. अण्डाशय (Ovaries) : ये मादा कॉकरोच के प्रमुख जननांग होते हैं। ये दूसरे या तीसरे उदरखण्ड से सातवें तक पार्श्वों में उसी प्रकार फैले होते हैं जैसे नर में वृषण। प्रत्येक अण्डाशय आठ महीन एवं लचीली दीवार की बनी, लम्बी, हल्की पीली-सी नलिकाओं का गुच्छा होता है जिन्हें अण्डिकाएँ (ovarioles) कहते हैं। प्रत्येक ovariole पाँच प्रमुख भागों में विभेदित होती है—
- आगे की ओर महीन, धागेनुमा अग्रस्थ अवलम्बन तन्तु (terminal sus pensory filament) जो बहुकेन्द्रक (multinucleated = syncytial) होता है और देहभित्ति से लगा, अपनी ovariole को देहगुहा में साधता है
- इसके पीछे छोटा बहुकोशिकीय जनन भाग या जरमेरियम (germarium) जिसमें अण्डजन या पूर्वाण्डक (oogonia) बनते हैं। oogonia वृद्धि द्वारा अण्डक (oocytes) बन-बनकर पीछे की ओर खिसकते जाते हैं।
- इसके पीछे लम्बा पीतकीय भाग या वाइटेलैरियम (vitellarium) जिसमें बड़े-बड़े वृद्धिशील अण्डकों की कतार होती है। अतः यह मनिकाबद्ध (beaded) दिखाई देता है।
- इसके पीछे चौड़ा एवं अण्डाकार-सा अण्डाणु कक्ष (egg chamber) जिसमें केवल एक, अत्यधिक बड़ा परिपक्व एवं पीतयुक्त अण्डाणु ठसा रहता है।
- सबसे पीछे का चौड़ा एवं छोटा-सा भाग जिसे डंठल (pedicel) कहते हैं।
2. अण्डवाहिनियाँ (Oviducts) : प्रत्येक Ovaries के पिछले सिरे पर इसकी आठों Oviducts के डंठल परस्पर मिलकर एक छोटी एवं मोटी-सी पेशीयुक्त Oviducts बनाते हैं।
3. योनि या वैजाइना (Vagina) : सातवें खण्ड की मध्यरेखा में दोनों ओर की अण्डवाहिनियाँ मिलकर एक छोटी एवं मोटी योनि या सहअण्डवाहिनी (vagina or common oviduct) बनाती हैं जो आठवीं स्टरनाइट पर दरारनुमा मादा जनन छिद्र (gonopore) से बड़े से जनन वेश्म में खुलती है।
4. जनन वेश्म या गाइनैट्रियम (Genital Pouch or Gynatrium) : इसका अधर भाग सातवीं स्टरनाइट से बनता है जो चौड़ी एवं नौकाकार होकर पीछे की ओर दो बड़ी, अण्डाकार सी गाइनोवैल्वुलर प्लेटों या एपिकल (gynovalvular plates or apical lobes) में बँट जाती है। आठवीं तथा नवीं स्टरनाइट्स भीतर धँसकर Genital Pouch के पृष्ठ एवं पश्च भाग बनाती हैं। पूरा Pouch दो भागों में बँटा होता है—आगे जनन कक्ष (genital chamber) तथा पीछे बड़ा अण्डप्रावर वेश्म (oothecal chamber)।
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6. शुक्रधान (Spermathecae) : ये Colleterial ग्रन्थियों के पास, एक जोड़ी छोटी रचनाएँ होती हैं। बायाँ Spermathecae बड़ा एवं मुग्दराकार कक्षनुमा तथा दाहिना पतला, नलिकास्वरूप होता है। दोनों से एक-एक छोटी वाहिनियाँ निकलती हैं। ये मिलकर जनन कक्ष में स्थित शुक्रधान अंकुर (spermathecal papilla) पर खुलती हैं। योनि भी जनन कक्ष में खुलती है। oothecal chamber में अण्डों का खोल या प्रावर (cotheca) बनता है।
7. मादा के बाह्य जननांग या गोनैपोफाइसीज (Gonapophyses) : Genital Pouch से सम्बन्धित काइटिन के बने तीन जोड़ी प्रवर्ध मादा Gonapophyses होते हैं। ये oothecal chamber की छत से इसकी गुहा में लटके रहते हैं। इन्हें अण्डनिक्षेपक प्रवर्ध (ovipositor processes) कहते हैं, क्योंकि ये निषेचित अण्डों को नए बनते हुए अण्डप्रावर में सजाते हैं। सम्भवतः ये oothecal को निश्चित आकृति देने में भी सहायता करते हैं।
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