ऐसीटिक अम्ल (Acetic Acid) : परिचय, निर्माण की विधि, गुण|hindi


ऐसीटिक अम्ल या एथेनाइक अम्ल (Acetic Acid or Ethanoic Acid) : परिचय, निर्माण की विधि, गुण

ऐसीटिक अम्ल (Acetic Acid) : परिचय, निर्माण की विधि, गुण|hindi

ऐसीटिक अम्ल सिरके (vinegar) के रूप में प्राचीन समय से ज्ञात है। सिरके में लगभग 10% ऐसीटिक अम्ल होता है। इसे अशुद्ध रूप में सर्वप्रथम स्टाह्ल (Stahl) ने सन् 1720 में बनाया। इसे शुद्ध रूप में सर्वप्रथम लेवोसियर (Lavosier) ने सन् 1786 में एथिल ऐल्कोहॉल के ऑक्सीकरण से प्राप्त किया। सन् 1845 में कोल्बे (Kolbe) ने इसे इसके तत्वों से संश्लेषित किया। इसका अणु सूत्र C2H4O2 तथा संरचना सूत्र निम्नलिखित है-

       H    O
        |      ||
H—C—C—O—H      या      CH3COOH
        |    
       H


निर्माण की विधियाँ

ऐसीटिक अम्ल बनाने की प्रमुख विधियाँ निम्नलिखित हैं-

1. एथिल ऐल्कोहॉल से - एथिल ऐल्कोहॉल के अम्लीय पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन से ऑक्सीकरण से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।

           (K2Cr207 + H2SO4)           (K2Cr207+ H2SO4)
C2H5OH             →         CH3CHO          →          CH3COOH
                             O                                      O

2. मेथिल सायनाइड से - मेथिल सायनाइड के तनु अम्ल अथवा तनु क्षार द्वारा जल अपघटन से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।

CH3CN + 2H2O + HCl CH3COOH + NH4Cl

3. एथिल ऐसीटेट से - एथिल ऐसीटेट के तनु अम्ल अथवा तनु क्षार द्वारा जल अपघटन से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।

                                        H+
CH3COOC2H5 + H2O → CH3COOH + C2H5OH


4. ऐसीटेमाइड से - ऐसीटेमाइड पर नाइट्रस अम्ल की क्रिया से ऐसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।

CH3CONH2 + HNO2 → CH3COOH + N2 + H2O

ऐसीटेमाइड के जल-अपघटन से भी ऐसीटिक अम्ल ही प्राप्त होता है।


5. औद्योगिक विधियाँ - ऐसीटिक अम्ल के औद्योगिक निर्माण की तीन विधियाँ प्रमुख हैं—
(i) ऐसेटिलीन से
(ii) लकड़ी के भंजक आसवन से
(iii) गन्ने के रस या एथिल ऐल्कोहॉल के किण्वन से।

एथिल ऐल्कोहॉल का किण्वन वायु में उपस्थित माइकोडर्मा ऐसीटी (mycoderma aceti) नामक जीवाणु की उपस्थिति के कारण होता है। एथिल ऐल्कोहॉल के किण्वन की अभिक्रिया इस प्रकार होती है-

C2H5OH + O2        →          CH3COOH + H2O
                      माइकोडर्मा ऐसीटी



भौतिक गुणधर्म

यह एक रंगहीन, तीव्र गंध वाला तथा संक्षारक (corrosive) द्रव है। सिरके की तीव्र गन्ध उसमें ऐसीटिक अम्ल की उपस्थिति के कारण ही होती है। इसका क्वथनांक 118°C है। यह 16.5°C पर बर्फ की तरह जम जाता है। यह जल, ऐल्कोहॉल तथा ईथर में विलेय है। यह जल से भारी है तथा 16°C पर इसका आपेक्षिक घनत्व 1.045 है।

रासायनिक गुणधर्म

ऐसीटिक अम्ल (CH,COOH) के एक अणु में एक मेथिल (—CH3) समूह तथा एक कार्बोक्सिल (—COOH) समूह उपस्थित है। अतः यह मेथिल तथा कार्बोक्सिल समूहों की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करता है। मेथिल समूह की उपस्थिति के कारण यह केवल हैलोजेनीकरण अभिक्रिया प्रदर्शित करता है। इसकी शेष सभी अभिक्रियाओं में कार्बोक्सिल समूह भाग लेता है। इसकी ये अभिक्रियाएँ कार्बोक्सिल समूह की सामान्य अभिक्रियाओं को प्रदर्शित करती हैं।

इसकी प्रमुख रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-

1. क्षारकों के साथ अभिक्रिया - ऐसीटिक अम्ल एक दुर्बल मोनोबेसिक अम्ल है तथा जलीय विलयन में आयनित होकर ऐसीटेट आयन (CH3COO- ) तथा हाइड्रोजन के धनायन बनाता है। इसके अम्लीय गुण के कारण यह क्षारकों (bases) के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाता है। उदाहरण के लिए -

CH3COOH + NaHCO3 → CH3COONa + H2O + CO2⬆

CH3COOH + NH3 → CH3COONH4


अमोनियम ऐसीटेट (CH3COONH4) को गर्म करने पर ऐसीटेमाइड (CH3CONH2) प्राप्त होता है।

                            गर्म करने पर
CH3COONH4           →           CH3CONH2 + H2O

2. एस्टरीकरण - जिस प्रकार अम्ल तथा क्षार की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं उसी प्रकार अम्ल तथा ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से एस्टर तथा जल बनते हैं। इस अभिक्रिया को एस्टरीकरण (esterification) कहते हैं। कार्बोक्सिलिक अम्लों की एस्टरीकरण क्रिया प्रायः सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में करायी जाती है। यह निर्जलीकारक तथा उत्प्रेरक दोनों का कार्य करता है। उदाहरण के लिए

CH3COOH + C2H5OH CH3COOC2H5 + H2O
                            सान्द्र H2SO4


3. हैलोजेनीकरण - लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में ऐसीटिक अम्ल में क्लोरीन या ब्रोमीन प्रवाहित करने पर मेथिल मूलक के हाइड्रोजन परमाणु एक-एक करके क्लोरीन अथवा ब्रोमीन परमाणुओं से विस्थापित हो जाते हैं।

CH3COOH + Cl2 → CH2ClCOOH + HCl

CH2ClCOOH + Cl2 CHCl2COOH + HCl

CHCl2COOH + Cl2 CCl3COOH + HCl


अन्य कार्बोक्सिलिक अम्लों की लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में क्लोरीन व ब्रोमीन से अभिक्रिया इसी प्रकार होती है। इस अभिक्रिया में कार्बोक्सिलिक अम्ल समूह के निकटवर्ती कार्बन परमाणु पर उपस्थित हाइड्रोजन परमाणु अर्थात् ca-हाइड्रोजन परमाणु हैलोजेन परमाणुओं द्वारा विस्थापित हो जाते हैं। इस अभिक्रिया को हैल-वोलहार्ड-जेलिन्सकी अभिक्रिया (Hell-Volhard- Zelinsky reaction या HVZ reaction) कहते हैं।


4. PCI5 अभिक्रिया - PCI5 से अभिक्रिया करके यह ऐसीटिल क्लोराइड (CH3COCI) बनाता है। इस अभिक्रिया में —COOH समूह का —OH समूह क्लोरीन परमाणु से विस्थापित हो जाता है।

CH3COOH + PCI5 → CH3COCI + POCI3 + HCI

PCI3 तथा SOCI2 से इसकी अभिक्रिया भी इसी प्रकार होती है।

5. निर्जलीकरण - ऐसीटिक अम्ल को अकेले अथवा निर्जलीकारकों जैसे फॉस्फोरस पेण्टा-ऑक्साइड की उपस्थिति में गरम करने पर इसके दो अणुओं में से जल का एक अणु पृथक् हो जाता है तथा ऐसीटिक एनहाइड्राइड प्राप्त होता है।

CH3COOH     P2O5    CH3CO
        +                →                        O   + H2O
CH3COOH        Δ        CH3CO


6. अपचयन - लीथियम ऐलुमिनियम हाइड्राइड द्वारा अपचयित होकर यह एथेनॉल बनाता है।

                   LiAlH4
CH3COOH    →    CH3CH2OH
                      -H2O
 
उपरोक्त अपचयन H2 / Ni, Na/ऐल्कोहॉल या NaBH4 द्वारा भी कराया जा सकता है।

7. लवणों की अभिक्रियाएँ - (i) सोडियम ऐसीटेट को सोडा लाइम के साथ गर्म करने पर मेथेन प्राप्त होती है।

                                       CaO
CH3COONa + NaOH   →   CH4  + Na2CO3


(ii) सोडियम या पोटैशियम ऐसीटेट का वैद्युत अपघटन करने पर एथेन प्राप्त होती है।

2CH3COONa + 2H2O  →  C2H6  +  2CO2  +  2NaOH + H2 
                                                    (ऐनोड पर)            (कैथोड पर) 

(iii) कैल्सियम ऐसीटेट को अकेले गरम करने पर ऐसीटोन प्राप्त होता है।

                        गर्म करने पर
(CH3COO)2Ca      →     CH3COCH3 + CaCO3

(iv) कैल्सियम ऐसीटेट में कैल्सियम फॉर्मेट मिला कर गरम करने पर ऐसेटेल्डिहाइड प्राप्त होता है।

                                              गर्म करने पर
(CH3COO)2Ca + (HCOO)2Ca 2CH3CHO + 2CaCO3

(v) ऐसीटिक अम्ल के रजत लवण की शुष्क CCI4 विलयन में ब्रोमीन के साथ अभिक्रिया कराने पर मेथिल ब्रोमाइड (CH3Br) प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को हुन्सडेकर अभिक्रिया कहते हैं।

                                 CCI4
CH3COOAg + Br2   →   CH3Br + CO2 + AgBr

8. श्मिट अभिक्रिया - कार्बोक्सिलिक अम्ल हाइड्रेजोइक अम्ल (N3H) से सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐमीन बनाते हैं। इस अभिक्रिया को श्मिट अभिक्रिया कहते हैं। ऐसीटिक अम्ल हाइड्रेजोइक अम्ल से सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल की उपस्थिति में अभिक्रिया करके मेथिल ऐमीन (CH3NH2) बनाता है।

                               सान्द्र H2SO4
CH3COOH + N3H      →      CH3NH2 + CO + N2


उपयोग (Uses)

ऐसीटिक अम्ल के उपयोग निम्नलिखित है-
  1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
  2. ऐसीटोन तथा एस्टर बनाने में जिनका उपयोग इत्र, रंजक (dyes), प्लास्टिक तथा औषधियाँ बनाने में होता है।
  3. सेलुलोस ऐसीटेट तथा पॉली-वाइनिल ऐसीटेट नामक कृत्रिम रेशों के निर्माण में।
  4. सफेद अर्थात् कृत्रिम सिरका बनाने में।
  5. लेड टेट्रा-ऐसीटेट बनाने में जो एक ऑक्सीकारक है।
  6. रबर के स्कन्दन में।


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