बिन्दु स्रावण (Guttation) - कुछ शाकीय पौधों, जैसे गार्डन नेस्टरशियम (Garden nasturtium = Tropaeolum majus), जई (Oat = Avena sativa), जौ (Barley = Hordeum vulgare) एवं घुइयाँ = अरवी (Colocasia esculenta) की पत्तियों के किनारे पर शिरिकाओं (veinlets) के छोर पर कुछ परिस्थितियों में द्रव की बुँदे निकलती रहती है। ऐसा उस परिस्थिति में होता है जब पौधों की जड़ों द्वारा जल का सक्रिय अवशोषण हो रहा हो, परन्तु वायुमण्डल की उच्च आर्द्रता (humidity) के कारण वाष्पोत्सर्जन बहुत कम या बिल्कुल न हो रहा हो। ऐसी स्थिति गर्म दिन तथा ठण्डी रातों के दिनों में उत्पन्न होती है।
जब मृदा में अवशोषण योग्य जल की पर्याप्त मात्रा हो, परन्तु वाष्पोत्सर्जन न हो सकता हो, धनात्मक मूल दाब (positive root pressure) के कारण जल (वास्तव में घोल) का बिन्दुओं के रूप में पत्तियों के किनारों पर जलरन्ध्र (hydathode = water stomata) के मार्ग से जल (घोल) का स्रावण बिन्दु त्रावण (Guttation) कहलाता है। यह क्रिया साधारणतया रात्रि में होती है यदि पौधे नम व गर्म वातावरण, अर्थात् आर्द्र दशाओं (humid conditions) में उगे हों तो यह क्रिया दिन के समय भी होती है।
बिन्दु स्रावण में निकला द्रव वास्तव में जलीय विलयन होता है (शुद्ध जल नहीं) जिसमें शर्करा, विकर, ऐमीनो अम्ल, कार्बनिक अम्ल, आदि जल में घुले रहते हैं।
रस स्रावण (Bleeding) – यदि एक पौधे के तने के किसी भाग को तेज धार वाले चाकू, इत्यादि से काट दिया जाये तो वहाँ से रस (sap) निकलता है। जल की हानि द्रव के रूप में होती है लेकिन यह शुद्ध जल नहीं होता है। इसमें जल के साथ साथ लवण व कार्बनिक विलेय भी निकलते हैं। ताड़ के वृक्ष से इस प्रकार एक दिन में 50 लीटर तक रस निकल सकता है।
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