शत्पाद अर्थात् सेन्टीपीड (Centipede)
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - प्रोटोस्टोमिया (Protostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
उपसंघ (Subphylum) - मैन्डीबुलैटा (Mandibulata)
वर्ग (Class) - काइलोपोडा (Chilopoda)
गण (Order) - स्कूटीजीरोमॉर्फा (Scutigeromorpha)
लक्षण (Characteristics)
कनखजूरा के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
1. यह प्रायः घरों में निकलने वाला कनखजूरा होता है। यह स्थलीय एवं रात्रिचर होता है। दिन के समय में यह नम स्थानों में, पत्तियों, कूड़े, आदि के नीचे या दीवारों की दरारों में छुपा हुआ रहता है जिससे गरमी एवं बरसात के दिनों में कभी-कभी देखा जा सकता है।
2. इनका शरीर गहरा भूरा-सा 5-12.5 सेमी तक लम्बा और चपटा-सा होता है।
3. इसके शरीर के आगे वाले छोर पर, छः खण्डों के समेकन से बना स्पष्ट शीर्ष (head) होता है। इस पर एक जोड़ी लम्बे, संयुक्त ऐन्टिनी (antennae), एक जोड़ी अवृन्त (sessile) नेत्र तथा मुख-उपांग उपस्थित रहते हैं।
4. इसका शेष शरीर, अर्थात् धड़ (trunk) 21 समखण्डों में बँटा रहता है।
5. प्रत्येक खण्ड पर एक जोड़ी मजबूत व पंजेदार संयुक्त पाद। प्रथम जोड़ी के पाद मैक्सीलीपेड्स (maxillipedes )। इनमें एक-एक विष ग्रन्थियाँ होती हैं जो इनके पंजों पर खुलती हैं तथा इनके अन्तिम जोड़ी के पाद कुछ लम्बे होते हैं।
6. प्रत्येक खण्ड के बाह्य कंकाल में एक टरगम (tergum), एक स्टर्नम (sternum) तथा दो प्ल्यूराइट्स (pleurites) उपस्थित रहते हैं।
7. इनके शीर्ष पर स्थित मुख से लेकर अन्तिम खण्ड पर स्थित गुदा तक फैली सीधी आहारनाल होती है।
8. इनमें श्वसन श्वासनालों (tracheae) द्वारा होता है। श्वासरन्ध (spiracles) प्ल्यूराइट्स पर उपस्थित होते हैं।
9. यह जीव एकलिंगी होते हैं। जिसमें जनद केवल एक होता है तथा जनन छिद्र गुदा से आगे 20 वें खण्ड पर उपस्थित रहता है।
2. इनका शरीर गहरा भूरा-सा 5-12.5 सेमी तक लम्बा और चपटा-सा होता है।
3. इसके शरीर के आगे वाले छोर पर, छः खण्डों के समेकन से बना स्पष्ट शीर्ष (head) होता है। इस पर एक जोड़ी लम्बे, संयुक्त ऐन्टिनी (antennae), एक जोड़ी अवृन्त (sessile) नेत्र तथा मुख-उपांग उपस्थित रहते हैं।
4. इसका शेष शरीर, अर्थात् धड़ (trunk) 21 समखण्डों में बँटा रहता है।
5. प्रत्येक खण्ड पर एक जोड़ी मजबूत व पंजेदार संयुक्त पाद। प्रथम जोड़ी के पाद मैक्सीलीपेड्स (maxillipedes )। इनमें एक-एक विष ग्रन्थियाँ होती हैं जो इनके पंजों पर खुलती हैं तथा इनके अन्तिम जोड़ी के पाद कुछ लम्बे होते हैं।
6. प्रत्येक खण्ड के बाह्य कंकाल में एक टरगम (tergum), एक स्टर्नम (sternum) तथा दो प्ल्यूराइट्स (pleurites) उपस्थित रहते हैं।
7. इनके शीर्ष पर स्थित मुख से लेकर अन्तिम खण्ड पर स्थित गुदा तक फैली सीधी आहारनाल होती है।
8. इनमें श्वसन श्वासनालों (tracheae) द्वारा होता है। श्वासरन्ध (spiracles) प्ल्यूराइट्स पर उपस्थित होते हैं।
9. यह जीव एकलिंगी होते हैं। जिसमें जनद केवल एक होता है तथा जनन छिद्र गुदा से आगे 20 वें खण्ड पर उपस्थित रहता है।
No comments:
Post a Comment