कूटक मछली या चिंगट (Crayfish) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|Hindi


कूटक मछली या चिंगट (Crayfish) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन
कूटक मछली या चिंगट (Crayfish) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|Hindi

कूटक मछली या चिंगट (Crayfish)

इनकी भी कई श्रेणियाँ पाई जाती हैं, जैसे ऐस्टैकस (Astacus), कैम्बैरस (Cambarus), होमैरस (Homarus), नेफ्रोप्स (Nephrops), आदि। यह तालाबों, झीलों, छोटी नदियों एवं दलदल, आदि के वासी होते हैं। यह रात्रिचर (nocturnal) होती हैं जो दिन में जलाशयों के तल पर, पत्थरों, आदि के नीचे छिपे या कीचड़ में धँस जाते हैं तथा रात में बाहर निकलकर मछलियों, आदि का शिकार करते हैं।

वर्गीकरण (Classification) 

जगत (Kingdom)              -           जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch)                 -           यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division)               -           बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision)    -            प्रोटोस्टोमिया  (Protostomia)
खण्ड (Section)                 -           यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum)                   -           आर्थ्रोपोडा  (Arthropoda)
उपसंघ (Subphylum)        -           मैन्डीबुलैटा (Mandibulata)
वर्ग (Class)                       -            क्रस्टेशिया (Crustacea)
उपवर्ग (Subclass)             -           मैलैकोस्ट्रैका (Malacostraca)
गण (Order)                      -            डीकैपोडा (Decapoda)

कूटक मछली या चिंगट (Crayfish) : वर्गीकरण, लक्षण, चित्र का वर्णन|Hindi

लक्षण (Characteristic)
कूटक मछली या चिंगट के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. इनका शरीर 5-18 सेमी लम्बा होता है जो सिर एवं वक्ष भाग के समेकन से बने रहता है तथा शिरोवक्ष (cephalothorax) तथा सँकरे उदर भाग में विभेदित रहता है।
  2. इनका शिरोवक्ष बड़े पृष्ठवर्म (carapace) द्वारा ढका रहता है। एक ग्रैव खाँच (cervical groove) इसे शीर्षस्थ (cephalic) एवं वक्षीय (thoracic) भागों में बाँटती है। इसके शीर्षस्थ भाग की मध्यपृष्ठ रेखा में रोस्ट्रम (rostrum) नाम का कड़ा उभार होता है।
  3. इसका पूरा शरीर मूलतः 20 खण्डों का बना होता है जिसमें– 6 सिर, 8 वक्ष तथा 6 उदर में विभाजित रहते हैं। 
  4. इनके सिर-उपांग एक-एक जोड़ी ऐन्टीन्यूल्स, ऐन्टिनी व मैन्डीबल्स तथा दो जोड़ी मैक्सिली (maxillae) उपस्थित रहते हैं। सिर पर एक जोड़ी सवृन्त संयुक्त नेत्र भी उपस्थित रहते हैं तथा वक्ष उपांग 3 जोड़ी मैक्सिलीपेड्स (maxillipedes) तथा 5 जोड़ी चलनपाद में विभाजित रहता है। प्रथम जोड़ी के पाद बड़े व मजबूत होते हैं जबकि पहली 3 जोड़ियों के पाद सँडसीयुक्त (chelate) होते हैं। उदर-उपांग पर तैरने के लिए 6 जोड़ी तरणपाद (swimmerets) उपस्थित रहते हैं। इनके अन्तिम उदरखण्ड के पीछे पुच्छदण्ड (telson) होती है। अन्तिम जोड़ी के तरणपाद एवं पुच्छदण्ड मिलकर तैरने में चप्पुओं (paddles) का काम करते हैं।
  5. इनके सिर के अधरतल पर स्थित मुखद्वार से पुच्छदण्ड के अधरतल पर स्थित गुदा तक फैली सीधी आहारनाल होती है।
  6. इनमें श्वसन के लिए 17 जोड़ी जल-क्लोम (gills) उपस्थित रहते हैं। यह श्वसन में सहायता करते हैं।
  7. इनके शरीर में हीमोसाएनिन (haemocyanin) नामक श्वसन-रंगा के कारण इनका रुधिर हल्का नीला होता है। 
  8. इनमें उत्सर्जन सिर में स्थित दो ऐन्टीनल या हरी ग्रन्थियों (antennal or green glands) द्वारा होता है।
  9. यह जीव एकलिंगी होते हैं। मादा अण्डों एवं शिशुओं को अपने तरणपादों से चिपकाए रखती है तथा इनमें कोई कायान्तरण (metamorphosis) नहीं होता है।

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