Ancylostoma duodenale का जीवन चक्र (Life cycle of Ancylostoma duodenale)|in hindi


Ancylostoma duodenale का जीवन चक्र 

Ancylostoma duodenale का जीवन चक्र (Life cycle of Ancylostoma duodenale)


ऐस्कैरिस लम्ब्रीक्वॉएडिस (Ascaris Lumbricoides) एक गोल कृमि है जो Nematoda संघ में पाया जाता है। यह मनुष्य की छोटी आंत में एक सामान्य परजीवी के रूप में रहता है। इस लेख में हम इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

वर्गीकरण (Classification)


प्रभाग (Section): स्यूडोसीलोमैटा (Pseudocoelomata)
संघ (Phylum): निमैटोडा (Nematoda)
गण (Order): ऐस्कैरॉइडिया (Ascaroidea)
श्रेणी (Genus): ऐस्कैरिस (Ascaris)




Ancylostoma duodenale का जीवन चक्र

हुकवर्म host की intestine में copulation करते हैं। Copulation के दौरान, नर हुकवर्म का bursa मादा हुकवर्म की योनि पर जाता है जिससे शुक्राणु मादा में स्थानांतरित हो जाते हैं। इसके बाद निषेचन होता है जो वीर्य ग्राही (seminal receptacles) में होता है। 

निषेचित अंडे host के मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। प्रत्येक मादा Ancylostoma प्रतिदिन लगभग 9,000 fertile अंडे देती है। अंडे oral आकार के होते हैं और hyaline chitinous shells द्वारा सुरक्षित होते हैं। इसके अंदर का zygote पहले ही चार या आठ कोशिकाओं वाले भ्रूण में विभाजित हो चुका होता है।


Ancylostoma duodenale के जीवन चक्र का लेबलयुक्त चित्र

नमी, पर्याप्त ऑक्सीजन और तापमान (68-85°F) की अनुकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों में, भ्रूण पहले चरण के किशोर (juvenile) या रैबडिटीफॉर्म लार्वा (rhabditiform larva) में विकसित हो जाता है, जो 24 से 48 घंटों के अंदर ही बाहर भी आ जाता है।

नवजात लार्वा में मुँह, buccal capsule, एक लम्बी ग्रसनी (elongated pharynx) जिसमें एक ग्रासनली बल्ब (oesophageal bulb) और एक आंत होती है। यह 4 से 5 दिनों तक मल या मिट्टी के कार्बनिक अवशेषों में मौजूद बैक्टीरिया को खाता है और दो बार moults करके तीसरे चरण का किशोर (third-stage juvenile) या फाइलेरिफॉर्म लार्वा (filariform larva) बन जाता है।

तीसरे चरण में बना हुआ juvenile लगभग 0.5 मिमी लंबा होता है और मनुष्यों के लिए संक्रामक होता है। इसका मुँह खुला नहीं होता है इसलिए यह भोजन नहीं कर पाता है। लेकिन, अनुकूल परिस्थितियों में यह कई हफ़्तों तक जीवित और संक्रामक बना रहता है।

filariform larva जब नए host अर्थात मनुष्य की त्वचा के संपर्क में आता है तो उसे संक्रमित कर देता है। इसके अग्र सिरे पर मुखीय भाले (oral spears) लगे होते हैं जो नुकीले होते हैं जिससे लार्वा संभावित host की त्वचा में छेद करके प्रवेश करता है। 

लार्वा शरीर के किसी भी भाग की त्वचा में छेद कर सकता है लेकिन यह आमतौर पर पैरों और हाथों के किनारों की कोमल त्वचा में या बालों के रोमों के माध्यम से प्रवेश करते हैं। जिस जगह से यह शरीर में प्रवेश करते हैं वहां आमतौर पर "ground itch" नामक एक गंभीर dermatitis हो जाता है, इसमें उस जगह पर घाव हो जाते हैं और घावों के आसपास की त्वचा पर छाले पड़ जाते हैं। त्वचा से प्रवेश के अलावा, दूषित भोजन और पानी के सेवन से भी संक्रमण संभव है।

संक्रमण होने के 24 घंटे के भीतर, लार्वा रक्त वाहिकाओं तक पहुंच जाता है और heart, lungs, throat, stomach से होता हुआ small intestine में पहुँच जाता है। 

इसका विस्तारित वर्णन इस प्रकार है - Blood stream में पहुंचकर ये पहले हृदय के right ventricle में और फिर pulmonary arteries के माध्यम से फेफड़ों तक पहुँचते हैं। फेफड़ों में ये फुफ्फुसीय केशिकाओं (pulmonary capillaries) से निकलकर वायुकोशीय स्थानों (alveolar spaces) में पहुँच जाते हैं।

फेफड़ों से यह लार्वा श्वासनली (trachea) के माध्यम से ग्रसनी (pharynx) तक पहुंचते हैं और ग्रासनली (oesophagus) के माध्यम से निगल लिए जाते हैं और अंततः छोटी आंत (ileum) में पहुंच जाते हैं, जहां वे mucous lining से चिपक जाते हैं और host के रक्त पर feed करते हैं।

5 से 6 हफ़्तों में, यह लार्वा दो बार moult करके वयस्क Ancylostoma बन जाते हैं। इसके बाद नर और मादा Ancylostoma copulate करते हैं और मादा अंडे देना शुरू कर देती है जो human host के मल के साथ बाहर निकल जाते हैं। इसके बाद यह क्रिया पुनः शुरू हो जाती है। 

हुकवर्म का सामान्य जीवनकाल 5 से 7 वर्ष होता है जो अधिकतम 16 वर्ष तक बढ़ सकता है (टेलर, 1933)।






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