एक समुद्री ऐनीमॉन (A Sea Anemone-Metridium)
समुद्री ऐनीमॉन ऐसे जीव होते हैं जो मुख्यतः समुद्र तट के छिछले जल में, पत्थरों पर तथा चट्टानों इत्यादि से चिपके हुए पाए जाते हैं। यह जीव मुख्यतः एकाकी पॉलिप होते हैं क्योंकि इनके जीवन वृत्त में केवल जटिल पॉलिप (polyp) प्रावस्था होती हैं। इनसे जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में हम नीचे जानेंगे।
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु(Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - रेडिएटा (Radiata)
संघ (Phylum) - नाइडेरिया (Cnidaria)
वर्ग (Class) - ऐन्थोजोआ (Anthozoa)
उपवर्ग (Subclass) - हेक्जाकोरैलिया (Hexacorallia)
गण (Order) - ऐक्टिनिऐरिया (Actiniaria)
श्रेणी (Genus) - ऑरीलिया (Aurelia)
वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु(Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - रेडिएटा (Radiata)
संघ (Phylum) - नाइडेरिया (Cnidaria)
वर्ग (Class) - ऐन्थोजोआ (Anthozoa)
उपवर्ग (Subclass) - हेक्जाकोरैलिया (Hexacorallia)
गण (Order) - ऐक्टिनिऐरिया (Actiniaria)
श्रेणी (Genus) - ऑरीलिया (Aurelia)
लक्षण (Characteristic)
समुद्री ऐनीमॉन के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं -
- समुद्री ऐनीमॉन मुख्यतः समुद्र तट के छिछले जल में, पत्थरों पर तथा चट्टानों आदि से चिपके एकाकी पॉलिप होते हैं।
- इनका शरीर दो से कई सेमी तक लम्बा, नालवत् तथा रंगीन, मोटा एवं मांसल होता है।
- इनके शरीर का प्रमुख भाग स्तम्भ (column or scapus) होता है। इसका आधार भाग एक चपटा चिपचिपा अधोबिम्ब (basal disc) होता है तथा स्वतन्त्र सिरा एक मोटा एवं चपटा मुखीय बिम्ब (oral disc) होता है। अधोबिम्ब आधार वस्तु से चिपकाने एवं विसर्पण (gliding) द्वारा गमन में सहायक होता है।
- इनके शरीर के मुखीय बिम्ब के बीच में मुखद्वार और किनारे-किनारे अनेक छोटे, खोखले स्पर्शक (tentacles) उपस्थित रहते हैं।
- इनके मुखद्वार से देहभित्ति भीतर की ओर धँसकर जठरवाहिनी गुहा में लटकी एक लम्बी ग्रसनी (pharynx) बनाती है। गैस्ट्रोडर्मिस के अनेक अनुलम्ब उभार जोड़ीदार अरीय पट्टियों, अर्थात् आंत्रयोजनियों (mesenteries) के रूप में गुहा को कई अधूरे कक्षों में बाँटते हैं।
- इनके शरीर की जठरवाहिनी गुहा में समुद्री जलधारा बहती रहती है। यह भोजन के लिए उपयुक्त जीव-जन्तुओं को स्पर्शक द्वारा मूर्छित कर देते है या मार देते हैं। फिर जलधारा के साथ यह भोजन कण भीतर गुहा में पहुँचते हैं। यहाँ आंत्रयोजनियों के स्वतन्त्र किनारों से, बाह्यकोशिकीय पाचन हेतु, एन्जाइमों का स्रावण होता है।
- इन जंतुओं में जनन अलैंगिक एवं लैंगिक, दोनों प्रकार का होता है।
- इनमें जनद आंत्रयोजनियों पर विकसित होते हैं तथा निषेचन बाहर जल में होता है।
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