घरेलू मक्खी (housefly) : वर्गीकरण, परिचय, प्राकृतिक वास, बाह्य लक्षण|hindi


घरेलू मक्खी (housefly) : वर्गीकरण, परिचय, प्राकृतिक वास, बाह्य लक्षण
घरेलू मक्खी (housefly) : वर्गीकरण, परिचय, प्राकृतिक वास, बाह्य लक्षण|hindi

वर्गीकरण (Classification)

संघ (Phylum)            -      आर्थ्रोपोडा (Arthropoda)
वर्ग (Class)                -       इनसेक्टा (Insecta)
उपवर्ग (Subclass)      -      पेटीगोटा (Pterygota)
विभाजन (Division)   -       एंडोप्टेरीगोटा  (Endopterygota)
गण (Order)               -       डिप्टेरा (Diptera)
श्रेणी (Genus)             -       
घरेलू मक्खी (housefly)


परिचय, प्राकृतिक वास एवं स्वभाव (Introduction, Habitat and Habits)
घरेलू मक्खी का मानव-जीवन से घनिष्ठ एवं महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध होता है। मक्खियाँ न तो हमें काटती हैं और न ही डंक मारती हैं, फिर भी हमें इनसे घृणा होती है। कॉकरोच के विपरीत, मक्खी दिन में निकलती है, रात में यह रस्सियों, तारों, खूँटियों, कपड़ों, दीवारों आदि पर बैठी विश्राम करती हैं। दिन में यह कभी तो मानव मल, कूड़े-करकट, थूक, कफ, गोबर, सड़ी-गली सब्जियों आदि गन्दी वस्तुओं पर बैठ-बैठकर इन्हें स्पंज की तरह सोखती है, और कभी हमारी भोजन पर, फर्नीचर, पुस्तकों, कपड़ों आदि उपयोगी वस्तुओं या फिर हमारे शरीर के घावों आदि पर कुछ क्षण विश्राम करती हैं और अपने मुख-उपांगों, पादों, पंखों आदि को साफ करती, या मल त्याग करती रहती है। गन्दगी फैलाने की इसकी आदत से हमें इससे घृणा होती है। 

गन्दी वस्तुओं से अनेक न दिखने वाले रोगोत्पादक जीवाणु (pathogenic bacteria) मक्खियों के शरीर पर चिपक जाते हैं। इन्हीं से फिर हमारी उपयोगी वस्तुएँ संक्रमित हो जाती हैं। मनुष्यों में हैजा (cholera), मियादी बुखार (typhoid), क्षय रोग (tuberculosis), आमातिसार (dysentery), प्रमेह (gonorrhea), संग्रहणी (diarrhoea), कोढ़ (leprosy) आदि घातक संक्रामक रोगों को इस प्रकार, मक्खी ही फैलाती है। हमारा इनका साथ दुखद, लेकिन अटूट है। फिर भी इनके जीवन एवं रहन-सहन का ज्ञान प्राप्त करके उपयुक्त स्वास्थ्य नियमों (hygiene) द्वारा, हम इनसे फैलने वाले रोगों से बच सकते हैं।

मक्खी काफी दूर तक, तेज उड़ सकती है। मादा मक्खी गीले गोबर, मल, लीद, सड़ी-गली सब्जियों आदि में अण्डे देती है और इन्हीं में इसके डिम्भक या लार्वी (larvae) बनते हैं।

मस्का श्रेणी की मक्खियों की अनेक जातियाँ ज्ञात हैं। मस्का डोमेस्टिका (Musca domestica) यूरोप और अमेरिका में, म० विसिनिया (M. vicinia) एशिया और अफ्रीका में, तथा म० सॉरवेन्स (M. sorvens) दक्षिणी यूरोप में आम पाई जाती है। हमारे देश में भी इनकी कई जातियाँ पाई जाती हैं, परन्तु म० नेबुलो (M. nebulo) सर्वव्यापी होती है।


बाह्य लक्षण (EXTERNAL FEATURES)

आकृति, माप एवं रंग (Shape, Size and Colour)

मक्खी का शरीर लगभग 5 से 8 मिमी लम्बा आयताकार- सा, पीछे की ओर शंक्वाकार-सा, पृष्ठतल पर गहरा भूरा तथा अधरतल पर पीला-सा होता है। पृष्ठतल पर, वक्ष भाग में चार तथा उदर भाग में केवल बीच में एक काली-सी अनुलम्ब धारियाँ होती हैं।

क्षेत्रीयकरण एवं विखण्डन (Regionation and Segmentation)

अन्य कीटों की तरह, मक्खी का शरीर भी Head, Thorax एवं Abdomen भागों में बँटा होता है -

1. सिर (Head) : कॉकरोच की तरह ही, hypognathous position में नीचे झुका हुआ सिर चौड़ा, अर्धगोल-सा (hemispherical) होता है। इसके सिर के अधिकांश भाग में दो बड़े संयुक्त नेत्र (compound eyes) होते हैं। प्रत्येक नेत्र में लगभग 4000 ommatidia होते हैं। सिर के शिखर (vertex) के पृष्ठतल पर, एक त्रिकोणाकार ocellar plate होती है जिसपर तीन सरल नेत्र या नेत्रक (ocelli) भी स्थित होते हैं। सामने वाले भाग में, संयुक्त नेत्रों के बीच, फ्रॉन्स (frons) तथा इसके आगे, अगल-बगल, जीनी (genae) नामक sclerites होती हैं। जीनी के बीच में स्थित फ्रॉन्स का दूरस्थ भाग एक छिछले गड्ढे के रूप में होता है। इसमें से दो छोटी, लचीली एवं संवेदी antennae निकली रहती हैं। प्रत्येक antennae में तीन खण्ड या podomeres होते हैं—आधारीय स्केप (scape), मध्यवर्ती पेडिसेल (pedicel) तथा शिखरीय बड़ा-सा कशाभ (flagellum)। प्रत्येक flagellum में ऐरिस्टा (arista) नाम का एक बुशनुमा प्रवर्ध निकला रहता है। ऐन्टिनी जहाँ से निकलती है उस स्थान को lunule नामक एक अर्धचन्द्राकार-सी स्क्लीराइट जोड़ती है। फ्रॉन्स के गड्ढे को घेरती हुई, उल्टे 'U' (n) के आकार की ptilinal या frontal suture होती है। खाँच के ठीक आगे, अर्थात् मुख की ओर, एक स्पिंडल के आकार का उभार सा होता है जिसे epistome कहते हैं। इसके आगे, सिर के छोर पर, मुखद्वार से सम्बन्धित मुख उपांग होते हैं।

घरेलू मक्खी (housefly) : वर्गीकरण, परिचय, प्राकृतिक वास, बाह्य लक्षण|hindi


2. वक्ष भाग (Thorax) : इसमें, कॉकरोच की तरह ही, तीन खण्ड– -प्रोथोरैक्स, मीसोथोरैक्स एवं मेटाथोरैक्स (pro, meso, and metathorax) होते हैं। प्रोथोरैक्स एवं मेटाथोरैक्स काफी छोटे होते हैं। ये बड़े मीसोथोरैक्स से समेकित (consolidated) रहते हैं। है। अधरतल की ओर, तीनों वक्षीय खण्ड स्पष्ट होते हैं, लेकिन पृष्ठतल की ओर मीसोथोरैक्स के बड़े टर्गम, मीसोनोटम (mesonotum), के कारण ये स्पष्ट नहीं होते हैं। दो अनुप्रस्थ दरारों द्वारा मीसोनोटम आगे से पीछे की ओर तीन भागों प्रोस्कूटम, स्कुटम एवं स्कुटेलम (proscutum, scutum, scutellum) में बँटा होता है। तीनों वक्षीय खण्डों से एक-एक जोड़ी पैर तथा मीसोथोरैक्स से एक जोड़ी पंख लगे होते हैं। प्रोथोरैक्स पर, पादों के पास, दोनों ओर एक-एक श्वास रंध्र  (spiracle) होता है।

3. उदर भाग (Abdomen) : इसमें कॉकरोच की तरह ही दस खण्ड होते हैं लेकिन प्रथम खण्ड अविकसित तथा दूसरा काफी छोटा होता है। फिर तीन खण्ड सामान्य होते हैं। छठे से दसवें तक पाँच खण्ड भी छोटे होते हैं और पाँचवें में धँसे रहते हैं। मादा में ये पाँचों खण्ड मिलकर genital chamber और अण्ड-निक्षेपण (oviposition) के लिए एक बाहर निकलने वाला बेलनाकार ovipositor बनाते हैं। नर में ये खण्ड मिलकर एक बाह्य जननांग — हाइपोपाइजियम (hypopygium)– बनाते हैं। इनमें से नवें खण्ड पर मैथुन के लिए एक जोड़ी आलिंगक (claspers) होते हैं और आलिंगकों के बीच में एक शिशन जैसी दिखने वाली ऐडीगस (aedeagus) नामक रचना होती है। नर एवं मादा, दोनों में अन्तिम (दसवें) उदरखण्ड पर एक जोड़ी anal cerci होते हैं। नर में सात तथा मादा में पाँच जोड़ी श्वसन रन्ध्र भी उदर भाग में होते हैं।




इन्हें भी पढ़ें -

No comments:

Post a Comment