घरेलू मक्खी के मुख उपांग (Mouth Parts of Housefly)|hindi


घरेलू मक्खी के मुख उपांग (Mouth Parts of Housefly)
घरेलू मक्खी के मुख उपांग (Mouth Parts of Housefly)|hindi

मक्खी के Mouth Parts तरल या अर्धतरल भोजन को स्पंज की भाँति सोखने के लिए उपयोजित होते हैं। अर्थात यह sponging type होते हैं। इनमें लेवियम (labium) सबसे अधिक विकसित और विशिष्टीकृत होता है। यह लम्बा होकर एक सिमट सकने वाली मांसल proboscis बनाता है जिसमें तीन स्पष्ट भाग होते हैं- 
  1. दूरस्थ शिखर भाग
  2. बीच में हॉस्टेलम 
  3. सिर से जुड़ा समीपस्थ आधार भाग या रोस्ट्रम।

(क) शिखर भाग (Distiproboscis) : इसमें दो चौड़ी, चपटी एवं स्पंजी गद्दियाँ (pads) होती हैं जिन्हें मुखाग्रविम्ब या लैबेला (labella) कहते हैं। प्रत्येक मुखाग्रबिम्ब (labellum) 30 महीन तथा परस्पर सटी नलिकाओं की बनी झिल्लीनुमा रचना होती है। इसकी प्रत्येक नलिका पूरी तरह बन्द न होकर एक महीन दरार द्वारा इसकी सतह पर खुली होती है। दोनों labella के बीच में एक मुखाग्रद्वार (preoral aperture) होता है। इसी में दोनों labella की सारी नलिकाएँ केन्द्रित होकर खुल जाती हैं। इन नलिकाओं को pseudotracheae कहते हैं, क्योंकि इनकी दीवार पर भीतर उपचर्म (cuticle) के बने वैसे ही मुद्राकार छल्ले होते हैं जैसे कि कॉकरोच की tracheae में होते हैं। 
घरेलू मक्खी के मुख उपांग (Mouth Parts of Housefly)|hindi


(ख) हॉस्टेलम (Haustellum or Mediproboscis) : इसकी अग्र सतह पर, बीच में, लम्बाई में फैली, एक गहरी oral groove होती है जिसमें दो सूईनुमा लम्बे मुख उपांग labrum तथा hypopharynx स्थित रहते हैं। labrum की पश्च सतह पर, मुख के पृष्ठ भाग से निकली, epipharynx जुड़ी रहती है। oral groove के भीतर, लैब्रम-एपीफैरिक्स एवं हाइपोफैरिंक्स अपने बीच एक नालवत् स्थान घेरे रहते हैं। जिसे food channel कहते हैं। मुखाग्रद्वार इसी channel में खुलता है। hypopharynx के भीतर, लम्बाई में लार नलिका फैली होती है। इसके आधार पर वास्तविक मुखद्वार (mouth) होता है।

(ग) रोस्ट्रम (Rostrum or Basiproboscis): इसमें सामने की ओर सिर की clypeus नामक स्क्लीराइट होती है। clypeus के नीचे, रोस्ट्रम में अंदर, काइटिन का बना fulcrum नामक खोल होता है जो ग्रसनी को पूरी लम्बाई में घेरे रहता है। fulcrum के दूरस्थ छोर पर छोटी-सी hyoid sclerite होती है जो ग्रसनी की गुहा को फैलाए रखने का काम करती है। हॉस्टेलम से रोस्ट्रम का जोड़ movable और ढीला होता है। अतः विश्रामावस्था में, हॉस्टेलम ऊपर की ओर मुड़कर रोस्ट्रम की आगे वाली सतह पर चिपका रहता है। मक्खी में मैन्डीबल्स (mandibles) नहीं होते हैं। रोस्ट्रम पर लगे एक जोड़ी छोटे संयुक्त पैल्प (joint palps) सम्भवतः लघुकृत मैक्सिली (reduced maxillae) के द्योतक होते हैं।



भोजन एवं भोजन ग्रहण (Food and Feeding)
मक्खी मृतभक्षी, अर्थात् saprophagous होती है; यह निर्जीव अर्धतरल खाद्य वस्तुओं को ही भोजन के रूप में ग्रहण करती है। चीनी के दानों आदि खाद्य वस्तुओं को ग्रहण करने से पहले, यह इन पर लार एवं आन्त्रीय रस की बूँद उगलकर उसे घुला लेती है। मुखाग्रद्वार के पास labella पर cuticle के बने छोटे, काँटेनुमा prestomial teeth होते हैं। ये ठोस खाद्य वस्तुओं को खुरच खुरचकर घुलाने में सहायता करते हैं। भोजन ग्रहण में मक्खी अपनी शुण्ड को पूरी फैलाकर लैबेली को तरल या अर्धतरल सामग्री की सतह पर दबाती है। केशिक खिंचाव (capillary action) से तरल सामग्री स्यूडोट्रैकी में भर जाती है। अब रोस्ट्रम में भीतर, फल्क्रम (fulcrum) में बन्द, पेशीय ग्रसनी (pharynx) अपनी sucking action द्वारा इस तरल को मुखाग्रद्वार से आहार कुल्या और यहां से मुखद्वार में होकर खींच लेती है तथा पीछे ग्रासनली में पम्प कर देती है।

घरेलू मक्खी के मुख उपांग (Mouth Parts of Housefly)|hindi


पाद (Legs) : अन्य कीटों की तरह ही मक्खी में भी वक्षीय खण्डों से जुड़े तीन जोड़ी संयुक्त walking legs होते हैं। प्रत्येक पैर में, आधार से शिखर की ओर, movable joints द्वारा जुड़े वहीं पाँच पोडोमीयर-कॉक्सा, ट्रोकैन्टर, फीमर, टिबिया एवं टारसस (coxa, trochanter, femur, tibia and tarsus) होते हैं। tarsus में उसी प्रकार पाँच चलखण्ड या tarsomeres) होते हैं। अन्तिम टारसोमीयर के छोर पर प्रीटारसस (pretarsus) भी होता है। प्रीटारसस में एक जोड़ी हुकनुमा पंजे (claws) भी होते हैं, लेकिन ऐरोलियम (arolium) के स्थान पर pulvillae नामक एक जोड़ी बड़ी चिपचिपी गद्दियाँ होती हैं। pulvillae पर अनेक खोखले रोम होते हैं। इनसे एक चिपचिपा पदार्थ निकलता है जिसकी सहायता से मक्खी चिकनी एवं खड़ी सतहों पर चढ़-उतर सकती है।

पंख (Wings) : कॉकरोच के विपरीत, मक्खी में मीसोथोरैक्स से लगे, पहली ही जोड़ी के पंख विकसित होते हैं। मेटाथोरैक्स वाले, दूसरी जोड़ी के पंख सूक्ष्म घुण्डीदार संवेदी सूत्रों के रूप में होते हैं जिन्हें सन्तोलक या हाल्टर्स (halters) कहते हैं। ये उड़ने में शरीर का सन्तुलन बनाते हैं और सम्भवतः ध्वनि तरंगों को ग्रहण करते हैं। इसके पंख चौड़े, त्रिकोणाकार से तथा पारदर्शक होते हैं। इनका तथा halters का उद्गम शरीर के अंदर से होता है। प्रत्येक पंख का कुछ आधार भाग एक स्पष्ट lobe के रूप में पीछे बढ़ा रहता है जिसे ऐलूला, स्क्वैमा या कैलिष्ट्रॉन (alula, squama or calypteron) कहते हैं। यह अपनी ओर के halters को ढके रहता है। पंख सक्रिय उड़ान के लिए उपयोग किए जाते हैं। इसीलिए, मक्खी काफी दूर तक उड़ लेती है। उड़ने में पंख औसतन 190 बार प्रति सेकण्ड की दर से फड़फड़ाते हैं जिससे धीमी भिनभिनाहट की ध्वनि उत्पन्न होती है।

मक्खी के शरीर, विशेषतौर से पंखों, पैरों, मुख उपांगों एवं उदरखण्डों पर, असंख्य सूक्ष्म एवं कड़े bristles होते हैं। दूषित वस्तुओं के कण और कीटाणु bristles के बीच-बीच में फँसे रहते हैं। पैरों के कुछ पोडोमीयर्स पर निश्चित कतारों में बड़े bristles होते हैं। इनसे मक्खी कंधी की भाँति अपने मुख उपांगों, पंखों, पैरों आदि को साफ करती है। मुखाग्रबिम्बों (labellae) के bristles सम्भवतः भोजन ग्रहण के समय स्वाद एवं घ्राण (taste and smell) संवेदांगों का भी काम करते हैं।


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