द्विबीजपत्री तनों की आन्तरिक रचना (Internal Structure Of Dicot Stems)|hindi


द्विबीजपत्री तनों की आन्तरिक रचना (Internal Structure Of Dicotyledonous Stems)
द्विबीजपत्री तनों की आन्तरिक रचना (Internal Structure Of Dicot Stems)|hindi

द्विबीजपत्री (dicotyledonous) तनों की आन्तरिक रचना (जटिल संगठन) का अध्ययन करने से पहले तने के कुछ लक्षणों का ज्ञान होना आवश्यक है। ये प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
  1. बाह्यत्वचा (epidermis) के चारों ओर प्रायः उपत्वचा (cuticle) पायी जाती है।
  2. बाह्यत्वचा पर पाये जाने वाले रोम बहुकोशीय (multicellular hair) होते हैं।
  3. बाह्यत्वचा के नीचे अधस्त्वचा (hypodermis ) होती है।
  4. संवहन बण्डल ( vascular bundles ) संयुक्त (conjoint), बहि: फ्लोएमी (collateral), या उभयफ्लोएमी (bicollateral) तथा कभी-कभी संकेन्द्री (concentric) हो सकते हैं।
  5. आदिदारु (protoxylem) की अवस्था मध्यादिदारुक या अभिकेन्द्री (centrifugal or endarch) होती है।
सूर्यमुखी के तने की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Sunflower Stem)

जब सूर्यमुखी के तने की अनुप्रस्थ काट (transverse section) को सूक्ष्मदर्शी (microscope) में देखा जाता है तो निम्नलिखित रचनाएँ स्पष्ट दिखलायी देती हैं-

1. बाह्यत्वचा (Epidermis) — यह तने की सबसे बाहर की परत होती है। इस परत के ऊपर उपत्वचा (cuticle) की स्पष्ट परत उपस्थित होती है। कहीं-कहीं पर बहुकोशीय रोम (multicellular hairs) तथा रन्ध्र (stomata) पाये जाते हैं।


द्विबीजपत्री तनों की आन्तरिक रचना (Internal Structure Of Dicot Stems)|hindi



2. वल्कुट (Cortex) — यह बाह्यत्वचा के नीचे होता है तथा इसको तीन भागों में बाँटा जा सकता है-बाहर की ओर अधस्त्वचा (hypoder mis) मध्य में सामान्य वल्कुट (general cortex) तथा अन्दर की ओर अन्तस्त्वचा (endodermis) होती है।
  • अधस्त्वचा (Hypodermis) — यह बाह्य त्वचा के ठीक नीचे पायी जाती है। इसमें Collenchyma कोशिकाओं की 3 से 5 परतें होती हैं। इनमें अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) अनुपस्थित होते हैं तथा इनमें कोशिकाओं के कोने मोटे हो जाते हैं। यह मोटाई सेलुलोस तथा उसमें धँसे पेक्टिन पदार्थों के जम जाने के कारण होती है। इन कोशिकाओं में हरितलवक (chloroplasts) पाये जाते हैं। Hypodermis का कार्य तने को तनन सामर्थ्य (tensile strength) प्रदान करना है।
  • सामान्य वल्कुट (General cortex) – यह भाग अधस्त्वचा (hypodermis) तथा अन्तस्त्वचा (endodermis) के मध्य में होता है। इसमें parenchyma कोशिकाओं की बहुत-सी परतें होती हैं। इसमें पायी जाने वाली कोशिकाएं लगभग गोलाकार या अण्डाकार होती हैं तथा इन कोशिकाओं के मध्य में अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) होते हैं।
  • अन्तस्त्वचा (Endodermis) — यह cortex की अन्तिम परत होती है। इसकी कोशिकाएं ढोलक के आकार की (barrel-shaped) और एक-दूसरे के बहुत निकट होती हैं। अन्तस्त्वचा की केवल एक ही परत होती है। अन्तस्त्वचा की कोशाओं में स्टार्च कण (starch grains) पाये जाते हैं। अतः इसको मण्ड छाद (starch sheath) भी कहते हैं। इसमें कैस्पेरियन पट्टियाँ (casparian strips) दिखलायी देती हैं।

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3. परिरम्भ (Pericycle) — यह परत मृदूतक (parenchyma) तथा दृढ़ ऊतक (sclerenchyma) कोशिकाओं के एकान्तर (alternate) समूहों के रूप में उपस्थित होती है। दृढ़ ऊतक के समूह endodermis तथा संवहन बण्डलों (vascular bundles) के मध्य में पाये जाते हैं। दृढ़ ऊतक के प्रत्येक समूह के साथ संवहन बण्डल के फ्लोएम का सम्बन्ध होता है। इस समूह को hard bast कहते हैं।

4. संवहन बण्डल (Vascular bundles) - संवहन बण्डल संयुक्त (conjoint), बहि:फ्लोएमी (collateral), खुले (open) प्रकार के तथा घेरे में व्यवस्थित होते हैं। प्रत्येक संवहन बण्डल दारु (xylem), पोषवाह (phloem) तथा एधा (cam bium) का बना होता है।

(अ) दारु (Xylem) – जाइलम प्रत्येक संवहन बण्डल में सबसे अन्दर की ओर पाया जाता है। इसमें निम्नलिखित ऊतियाँ होती हैं-
  • काष्ठ वाहिकाएँ (Wood vessels) — इनमें cavities कुछ बड़े होते हैं जिसके कारण ये आसानी से पहचाने जा सकते हैं। इसमें जो छोटी वाहिकाएँ हैं उनको प्रोटोजाइलम (protoxylem) कहते हैं तथा ये केन्द्र की ओर स्थित रहती हैं। बड़ी वाहिनियों को मेटाजाइलम (metaxylem) कहते हैं तथा ये केन्द्र से दूर स्थित रहती हैं। दोनों ही प्रकार की वाहिनियों की भित्तियाँ मोटी तथा लिग्निनयुक्त (lignified) होती हैं।
  • वाहिनिकाएँ (Tracheids) — काष्ठ वाहिकाओं के मध्य कुछ मोटी भित्ति वाली वाहिनिकाएँ (tracheids) पायी जाती है।
  • काष्ठ तन्तु (Wood fibres) — ये टेढ़े-मेढ़े मोटी भित्ति वाले लम्बे तन्तु होते हैं। इनकी भित्तियाँ lignified होती हैं तथा इनको काष्ठ तन्तु (wood fibres) कहते हैं।
  • काष्ठ मृदूतक (Wood parenchyma) — प्रोटोजाइलम को घेरे हुये मृदूतक के कुछ समूह पाये जाते हैं। इनको काष्ठ मृदूतक (wood parenchyma) कहते हैं।

(ब) एधा (Cambium) — संवहन बण्डल में जाइलम तथा फ्लोएम के मध्य पतली भित्ति वाली कोशिकाओं की पट्टी होती है। इनमें कोशिकाएं आयताकार (rectangular) होती हैं। ये कोशिकाएं विभाजन की स्थिति में रहती हैं तथा विभाजन होने पर नीचे की ओर जाइलम और ऊपर की ओर फ्लोएम उत्पन्न करती हैं।

(स) पोषवाह (Phloem) — यह सबसे बाहर की ओर पाया जाता है तथा सेलुलोस की पतली कोशाओं का बना होता है। इसमें निम्नलिखित ऊतियाँ होती हैं-
  • चालनी नलिकाएँ (Sieve tubes) — चालनी नलिकाओं का व्यास फ्लोएम की दूसरी कोशाओं से अधिक होता है।
  • सखि कोशा (Companion cells) — प्रत्येक चालनी नलिका के साथ एक छोटी कोशा भी पायी जाती है। इसको सखि-कोशा (companion cell) कहते हैं।
  • पोषवाह मृदूतक (फ्लोएम मृदूतक= Phloem parenchyma) — ये कोशिकाएं पतली भित्ति वाली होती हैं तथा इनमें भोज्य पदार्थ होते हैं।

5. पिथ (Pith) — तने का मध्य भाग पतली, गोलाकार अथवा बहुभुजी (polygonal) पैरेनकाइमा कोशिकाओं का बना होता है। इस भाग को पिथ (pith) कहते हैं। इसमें कोशाओं के मध्य में अन्तराकोशीय स्थान (intercellular spaces) पाये जाते हैं।



कुकुरबिटा के तने की आन्तरिक रचना (Internal Structure of Cucurbita Stem)

कुकुरबिटा का तना पाँच कोणीय होता है। इसकी सतह पर पाँच उभार (ridges) तथा पाँच खाँच (furrows) पाये जाते हैं। इस तने में विभिन्न ऊतकों का विन्यास निम्न प्रकार से होता है -

1. बाह्यत्वचा (Epidermis) — यह एक-दूसरे से सटी बहुत-सी कोशिकाओं की एक परत होती है। कुछ कोशिकाओं से बहुकोशीय रोम (multicellular hair) निकलते हैं। तरुण तने में रन्ध्र (stomata) भी पाये जाते हैं।

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2. वल्कुट (Cortex) — यह तीन भागों में विभाजित होता है-
  • अधस्त्वचा (Hypodermis) - यह स्थूलकोण ऊतक (collenchyma) कोशिकाओं की कई परतों की बनी होती है और केवल उभारों के नीचे पाई जाती है। खाँचों में स्थूलकोण ऊतक या तो अनुपस्थित होता है या एक-दो परतों का बना होता है।
  • सामान्य वल्कुट (General cortex) — यह हरितलवकयुक्त मृदूतक (हरितमृदूतक = chlorenchyma) की दो या तीन परतों का बना होता है। ये ऊतियाँ प्रकाश संश्लेषण में सहायक होती हैं।
  • अन्तस्त्वचा (Endodermis) — यह ढोलक के आकार की कोशिकाओं की बनी कॉर्टेक्स की सबसे भीतरी परत होती है। यह परत लहरदार (wavy) होती है। इसमें अनेक मण्डकण मिलते हैं।

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3. रम्भ (Stele) — इसमें निम्नलिखित भाग होते हैं -
  • परिरम्भ (Pericycle) — यह दृढ़ ऊतक कोशाओं का बहुपरतीय क्षेत्र होता है।
  • आन्तरिक मृदूतक (Internal parenchyma) —परिरम्भ से पिथ तक पतली भित्ति वाली कोशिकाओं का समूह होता है जिसमें संवहन बण्डल स्थित होते हैं। इसे आन्तरिक मृदूतक कहते हैं।
  • संवहन बण्डल (Vascular bundle) — संवहन बण्डलों की संख्या दस होती है तथा ये दो वलयों में स्थित होते हैं। भीतरी वलय में बण्डल खाँचों के अभिमुख होते हैं और आकार में बड़े होते हैं तथा बाहरी वलय के बण्डल उभारों के नीचे होते हैं और आकार में छोटे होते हैं। सभी संवहन बण्डल संयुक्त (conjoint), उभयफ्लोएमी (bicollateral) तथा खुले (open) होते हैं। प्रत्येक फ्लोएम तथा जाइलम के बीच कैम्बियम (cambium) की परतें होती हैं, परन्तु केवल बाह्य कैम्बियम ही सक्रिय होता है।
  • पिथ (Pith) — तने के मध्य का भाग पिथ कहलाता है । परन्तु यह शिशु तने में ही नष्ट होकर एक बड़ी गुहिका (cavity) बना लेता है।


जैन्थियम के तने की संरचना (Structure of Xanthium Stem)

जैन्थियम के तने में विभिन्न ऊतकों का विन्यास निम्न प्रकार से होता है -

1. बाह्यत्वचा (Epidermis) — इसकी कोशाएँ एक परत में होती हैं जिसकी बाह्य भित्ति पर उपत्वचा (cuticle) पायी जाती है और उससे बहुकोशीय रोम निकलते हैं।

2. वल्कुट (Cortex) — तीन भागों में विभाजित होता है-
  • अधस्त्वचा (Hypodermis) - यह Collenchyma कोशिकाओं की कुछ परतों की बनी होती है।
  • सामान्य वल्कुट (General cortex) – यह parenchyma कोशिकाओं की कुछ परतों का बना होता है।
  • अन्तस्त्वचा (Endodermis) - यह ढोलक के आकार की कोशिकाओं की एक लहरियादार परत से बनी होती है।

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3. रम्भ (Stele)इसमें निम्नलिखित भाग होते हैं -
  • परिरम्भ (Pericycle) – यह दृढ़ ऊतक (sclerenchyma) तथा मृदूतक कोशाओं (parenchyma) के समूहों (patches) में पाया जाता है। दृढ़ ऊतक के समूह संवहन बण्डलों के बाहर होते हैं।
  • आन्तरिक मृदूतक (Internal parenchyma) –परिरम्भ (pericycle) से पिथ तक एक पतली भित्ति वाली कोशिकाओं का समूह होता है जिसमें संवहन बण्डल एक वलय (ring) में स्थित होते हैं। संवहन बण्डलों के बीच मेड्यूलरी किरणें स्थित होती हैं। इस भाग को आन्तरिक मृदूतक कहते हैं।
  • संवहन बण्डल (Vascular bundles) - संवहन बण्डल संयुक्त (conjoint), बहि: फ्लोएमी (collateral) तथा खुले (open) होते हैं। सब संवहन बण्डल एक घेरे में स्थित होते हैं और आदिदारु (protoxylem) मध्यादिदारुक (endarch) होते हैं।
  • पिथ (Pith) — तने के मध्यभाग में मृदूतक (parenchyma) कोशाएँ होती हैं जिनमें अन्तराकोशीय स्थान (intercellular space) होते हैं। इसे पिथ कहते हैं।



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