पक्षियों में चोंच के प्रकार (Types of Beaks in Birds)|in Hindi


पक्षियों में चोंच के प्रकार (Types of Beaks in Birds)


पक्षियों में चोंच के प्रकार (Types of Beaks in Birds)|in Hindi



पक्षियों में चोंच या बिल एक लम्बा ऊपरी और निचला जबड़ा होता है और यह सींगदार आवरण से ढका होता है जिसे rhamphotheca कहते हैं। विभिन्न पक्षियों में उनकी चोंच का आकार और रूप उनकी भोजन संबंधी आदतों से संबंधित होता है। यहाँ कुछ सामान्य प्रकार की चोंचों का वर्णन किया गया है-


A. बीज खाने या बीज कुचलने वाली चोंच (Seed eating or seed crushing beak)

1. बीज खाने वाली चोंच छोटी, मोटी, शंक्वाकार और नोक पर नुकीली होती है।

2. इस प्रकार की चोंच छोटे बीज खाने वाले या घास खाने वाले पक्षियों जैसे गौरैया, फिंच और कार्डिनल आदि में विशेष रूप से होती है।

3. जिन पक्षियों में कमज़ोर चोंच होती है उनका उपयोग वे छोटे बीजों को छेदने के लिए किया जाता है, जबकि शक्तिशाली चोंच का उपयोग वह बड़े, कठोर खोल वाले बीजों, stones fruit आदि को कुचलने के लिए होती है।

पक्षियों में चोंच के प्रकार (Types of Beaks in Birds)|in Hindi




B. काटने और कुतरने वाली चोंच (Cutting and biting beak)

1. काटने और कुतरने वाली चोंच लंबी और मजबूत होती है और इसमें तीखे सींगदार किनारे होते हैं।

2. पक्षी इस प्रकार की चोंच का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।

3. ऐसी चोंच कौवे (कॉर्वस) और रोवेन्स आदि में पाई जाती हैं।

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C. फल खाने वाली चोंच (Fruit eating beak)

1. फल खाने वाली चोंच बड़ी, तीखी, शक्तिशाली और हुकदार होती है।

2. ऊपरी चोंच खोपड़ी पर चलने योग्य होती है और फलों को फाड़ने और कठोर नट और बीजों को कुतरने के लिए अच्छी तरह से अनुकूलित होती है।

3. ऐसी चोंच तोते और cockatoos में पाई जाती है। Hornbill's में यह चोंच बड़ी और भारी होती है जिसके भीतरी क्षेत्र में कोशिकीय संरचना होती है जो तेज आवाज पैदा करने के लिए resonators के रूप में कार्य करती है।

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D. छेदने वाली और फाड़ने वाली चोंच (Piercing and tearing beak)

1. छेदने वाली और काटने वाली चोंच छोटी, नुकीली, तीखी धार वाली और नोक पर हुकदार होती है। इस प्रकार की चोंच मांस को छेदने और टुकड़ों में फाड़ने के लिए अनुकूलित होती है।

2. यह चोंच अच्छी तरह से विकसित जबड़े की मांसपेशियों द्वारा संचालित होते हैं।

3. ये चोंच आमतौर पर गिद्ध, बाज, चील, और उल्लू जैसे मांसाहारी पक्षियों में पाई जाते हैं।

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E. कीटभक्षी चोंच (Insectivorous beak)

1. कीटभक्षी चोंच (Insectivorous beak) swifts, swallows, flycatchers, night jars और hoopoe जैसे पक्षियों में पाई जाती है।

2. हूपो (hoopoe) यह में चोंच लंबी, पतली और थोड़ी घुमावदार होती है, जो पत्तियों को मोड़ने के लिए और कीट लार्वा, प्यूपा और माइट्स आदि की मिट्टी में जांच करने के लिए अनुकूलित होती है। 

3. स्वैलोज़, फ्रॉग-माउथ और स्विफ्ट (swallows, frog-mouth and swifts) में यह चोंच छोटी, चौड़ी और उड़ने वाले कीड़ों का शिकार करने के लिए नाजुक होती है। 

4. फ्लाई कैचर (fly catchers) में यह चोंच छोटी और मजबूत होती है जिसके सिरे पर नोकदार जबड़े होते हैं। चोंच के आधार पर रिक्टल ब्रिस्टल (Rictal bristles) भी मौजूद होते हैं।

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F. मछली पकड़ने वाली चोंच (Fish catching beak)

1. मछली पकड़ने वाली चोंच लंबी, शक्तिशाली और नुकीली होती है जो सारस, बगुले, किंगफिशर जैसे पक्षियों में पाई जाती है।

2. कॉर्मोरेंट (cormorant) में चोंच की नोक थोड़ी मुड़ी हुई होती है और इसमें पार्श्व में दाँत जैसी प्रक्रियाएँ होती हैं जो मछली पकड़ने के लिए अनुकूल होती हैं। साँप पक्षियों (भारतीय डार्टर) [snake birds (Indian darters)] में, चोंच के ऊपर ये पार्श्व दाँत जैसी प्रक्रियाएँ सुई जैसी प्रक्रियाओं के रूप में दिखाई होती हैं।

3. किंगफिशर में मछली, मेंढक, टैडपोल, मोलस्क और अन्य जलीय जानवरों को पकड़ने के लिए यह चोंच लंबी, शक्तिशाली और नुकीली होती है।

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G. लकड़ी को छेदने वाली चोंच (Wood chiselling beak)

1. लकड़ी को छेदने वाली चोंच लंबी, सीधी, मोटी और छेनी जैसी होती है। यह चोंच पक्षी की खोपड़ी के साथ मजबूती से जुड़ी होती है।

2. पक्षी की खोपड़ी की हड्डियाँ भी मोटी और आघात को सहने वाली होती हैं। इनकी गर्दन की मांसपेशियाँ भी मजबूत होती हैं।

3. इस प्रकार की चोंच का उपयोग पेड़ों की छाल या लकड़ी में छेद करने और शिकार के लिए किया जाता है, जैसे कि कीड़े और उनके लार्वा को पकड़ने के लिए और घोंसले के निर्माण के लिए।

4. यह चोंच आमतौर पर कठफोड़वा में पायी जाता है।

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H. मिट्टी की जांच करने वाली चोंच (Mud probing beak)

1. इस प्रकार की चोंच बहुत लंबी, पतली और थोड़ी घुमावदार होती है, जो जलीय कीड़े और लार्वा की खोज के लिए मिट्टी की गहराई तक जांच करने के अनुकूलित होती है।

2. ये आमतौर पर स्टिल्ट, स्निप्स, सैंड-पाइपर्स, जैकाना, लैपविंग्स और curlews आदि में पाई जाती हैं।

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I. कीचड़ और पानी छानने वाली चोंच (Mud and water straining beak)

1. इस प्रकार की चोंच चौड़ी और चपटी होती है, और इसके जबड़े के किनारों पर अनुप्रस्थ lamellae या सींगदार दाँते होते हैं जो इसे एक कुशल फ़िल्टर या छलनी बनाते हैं।

2. इसके जबड़े के किनारों पर अनुप्रस्थ lamellae होने के कारण, कीचड़ और पानी बाहर निकल जाता है और भोजन मुँह में बचा रह जाता है।

3. इस प्रकार की चोंच आमतौर पर बत्तख, टील, गीज़ और फ्लेमिंगो में पाई जाती है। फ्लेमिंगो में यह चोंच दूर तक मुड़ी हुई होती है। इसके निचले जबड़े के दोनों हिस्से बड़े होकर एक विस्तृत गुहा बनाते हैं, जो ऊपरी जबड़े से ढका रहता है।

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J. फूल जांचने वाली चोंच (Flower probing beak)

1. इस प्रकार की चोंच लंबी, संकरी और नुकीली होती है, जो फूलों को जांचने और शहद चूसने के लिए अनुकूलित होती है।

2. ऐसी चोंच हमिंग बर्ड में पाई जाती है, जो शहद चूसने के लिए फूलों के ऊपर हवा में स्थिर हो जाते हैं। इसकी चोंच थोड़ी मुड़ी हुई होती है, जो इस तरह के काम के लिए अनुकूल होती है।

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K. थैलीनुमा चोंच (Pouched beak)

1. यह चोंच मुख्यतः पेलेकन (pelecans) में पाई जाती है।

2. यह चोंच बड़ी होती है जिसमें एक बड़ी गूलर थैली होती है।

3. गूलर की थैली त्वचा का एक विस्तार होती है और निगली हुई मछली को संग्रहीत करने के लिए जबड़े से जुड़ी होती है।

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L. चपटी चोंच (Spatulate beak)

1. यह spoon-bill पक्षी की विशेषता होती है।

2. यह चोंच पूरी लंबाई में विशेष रूप से चपटी होती है, लेकिन अंत में एक चौड़ी चपटी या चम्मच जैसी आकृति में फैली रहती है।

3. spoon-bill इस चपटी चोंच का उपयोग मछली, टैडपोल, कीड़े, कीट और अन्य छोटे जलीय जानवरों की तलाश करने के लिए कीचड़ और पानी में घुसने के लिए करता है।


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