घोंघे (Pila) का प्रजनन तंत्र (Reproductive System of Pila)
घोंघा एकलिंगी जीव होता है, अर्थात इनमें मादा घोंघें और नर घोंघे दोनों अलग-अलग हैं। इनमें sexual dimorphism पाया जाता है जो मामूली लेकिन अलग होता है। इसके अंतर्गत नर घोंघे का खोल छोटा होता है, शरीर का चक्र कम सूजा हुआ होता है, और मादा घोंघे की तुलना में नर घोंघे में अधिक विकसित मैथुन अंग (copulatory organ) होता है।
घोंघे (Pila) का वर्गीकरण (Classification)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - प्रोटोस्टोमिया (Protostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - मोलस्का (Mollusca)
वर्ग (Class) - गैस्ट्रोपोडा (Gastropoda)
उपवर्ग (Subclass) - प्रोसोब्रैंकिया (Prosobranchia)
गण (Order) - मीसोगैस्ट्रोपोडा (Mesogastropoda)
जगत (Kingdom) - जन्तु (Animalia)
शाखा (Branch) - यूमेटाजोआ (Eumetazoa)
प्रभाग (Division) - बाइलैटरिया (Bilateria)
उपप्रभाग (Subdivision) - प्रोटोस्टोमिया (Protostomia)
खण्ड (Section) - यूसीलोमैटा (Eucoelomata)
संघ (Phylum) - मोलस्का (Mollusca)
वर्ग (Class) - गैस्ट्रोपोडा (Gastropoda)
उपवर्ग (Subclass) - प्रोसोब्रैंकिया (Prosobranchia)
गण (Order) - मीसोगैस्ट्रोपोडा (Mesogastropoda)
[I] नर घोंघे की प्रजनन प्रणाली (Male reproductive system of Pila)
1. वृषण (Testis)- यह एकल, चपटी, प्लेटनुमा तथा मोटे तौर पर त्रिभुजाकार सफेद संरचना होती है, जो खोल के पहले दो या तीन चक्रों के ऊपरी भाग पर स्थित होती है। यह अपने ऊपरी और भीतरी या स्तंभिका पार्श्वों (columellar sides) पर भूरे या हरे रंग की पाचन ग्रंथि के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा होता है तथा अपने creamy colour के कारण काफी अलग दिखाई देता है। एक पतली cutaneous membrane वृषण को खोल से अलग करती है।
घोंघे (पाइला) के वृषण में दो प्रकार के शुक्राणु उत्पन्न होते हैं, यूपिरीन (eupyrene) और ऑलिगोपाइरीन (oligopyrene)।
यूपिरीन शुक्राणु (eupyrene sperms) छोटे, धागे जैसे, लगभग 25µ लंबे और 1.2µ चौड़े होते हैं, तथा इनमें एक अलग सिर (जिसमें मुड़ा हुआ केंद्रक होता है), मध्य भाग और पूंछ होती है तथा इनमें एक सिलियम होता है। ये शुक्राणु गतिशील होते हैं तथा अंडाणुओं को निषेचित कर सकते हैं।
ओलिगोपाइरीन शुक्राणु (oligopyrine sperms) बड़े, स्पिंडल जैसे, लगभग 32.5µ लंबे और 3µ चौड़े होते हैं, जिनमें एक स्पष्ट सिर (जिसमें एक चौड़ा घुमावदार केंद्रक होता है), मध्य भाग और पूंछ होती है जिसमें 4 या 5 सिलियम होते हैं। वे गतिहीन होते हैं और अण्डाणु को निषेचित करने में असमर्थ होते हैं। संभवतः उनका कोई अन्य कार्य होता है।
2. Vasa efferentia- Vasa efferentia वह सूक्ष्म नलिकाएं होती हैं जो वृषण के विभिन्न क्षेत्रों से निकलती हैं और एकजुट होकर एक बड़ी सामान्य नली बनाती हैं जिसे vas deferens कहते हैं।
3. शुक्रवाहिका (Vas deferens)- यह वृषण के पिछले सिरे से निकलती है और तीन रूपात्मक रूप से अलग-अलग क्षेत्रों में विभेदित होती है-
(i) proximal tubular part
(ii) vesicula seminalis
(iii) terminal glandular part
बहल के अनुसार,
शुक्रवाहिका (Vas deferens) का proximal part संकीर्ण और पतली दीवार वाला होता है। यह पाचन ग्रंथि की आंतरिक या columellar border के साथ आगे की ओर पश्च वृक्क कक्ष (posterior renal chamber) तक जाता है, और फिर बाईं ओर जाता है।
पेरीकार्डियम (pericardium) तक पहुंचने के बाद यह ऊपर की ओर उठता है और दाईं ओर मुड़कर vesicula seminalis के ventral side में खुलता है, जो दो renal chambers के जंक्शन के नीचे pericardium के दाईं ओर स्थित होता है।
वेसिकुला सेमिनलिस (vesicula seminalis) कुछ हद तक घुमावदार, फूली हुई और flask के आकार की संरचना होती है जिसमें पीछे की ओर एक अंधा गोल विस्तार होता है। यह शुक्राणुओं के लिए एक भंडारगृह के रूप में कार्य करता है।
इसका बायीं ओर का संकीर्ण tubular सिरा शुक्रवाहिका (vas deferens) के अंतिम, मोटी दीवार वाले, glandular part की ओर जाता है, जो मलाशय के बाईं ओर आगे की ओर जाता है।
आखिर में यह पुरुष जननांग छिद्र द्वारा, गुदा के थोड़ा पीछे, पंजे के आकार के जननांग पैपिला (claw shaped genital papilla) के सिरे पर खुलता है, जो एक दूसरा लघु लिंग होता है।
4. मैथुन अंग (Copulatory organ)- घोंघे का मैथुन अंग या लिंग गुदा के सामने मेंटल किनारे से अलग होकर निकलता है। यह एक लंबा, मोटा, थोड़ा घुमावदार और कशाभिका संरचना वाला होता है जिसका आधार सूजा हुआ और एक पतला मुक्त सिरा होता है। इसकी भीतरी सतह पर पूरी लम्बाई में गहरी खांचे बनी हुई रहती हैं। यह अत्यधिक लचीला होता है। इसकी लम्बाई लगभग 1.5 सेमी होती है, लेकिन copulation के दौरान इसकी लंबाई 4 सेमी हो जाती है।
घोंघे का लिंग एक लिंग आवरण में बंद रहता है,और एक मोटे, ग्रंथियुक्त पीले रंग के फ्लैप से बना होता है, जो इसके किनारे पर मेंटल से जुड़ा होता है, जबकि इसका मुक्त बायां किनारा लिंग के लिए टोंटी जैसा आवरण बनाने के लिए मुड़ा हुआ होता है।
5. हाइपोब्रांचियल ग्रंथि (Hypobranchial gland)- लिंग आवरण के आधार पर एक अंडाकार ग्रंथियुक्त उभार होता है, जिसकी सतह pleated होती है, जिसे हाइपोब्रान्चियल ग्रंथि (hypobranchial gland) कहते हैं। इसमें छोटी basal nuclei वाली लंबी कोशिकाएँ होती हैं। इस ग्रंथि में कोई नली नहीं होती है, जिससे इसका स्राव सीधे इसकी सतह पर निकलता है।
[II] मादा घोंघे की प्रजनन प्रणाली (Female reproductive system of Pila)
1. अंडाशय (Ovary)- मादा घोंघे में अंडाशय उसी स्थान पर होता हैं जिस स्थान पर पुरुषों में वृषण स्थित होता है, लेकिन यह कम विस्तृत होता है और ज़्यादातर पाचन ग्रंथि के अंदरूनी हिस्से की ओर स्थित होता है। यह काफी शाखित होता है तथा युवा अवस्था में इसका रंग हल्का नारंगी होता है, जो वयस्क अवस्था में गहरा हो जाता है। अंडाशय की शाखाएं, या एसिनी, एकल-स्तरित और flask के आकार की संरचनाएं होती हैं, जिनके बंद गोल सिरे बाहर की ओर निकले हुए होते हैं और पतली नलिकाकार गर्दन एक एकल अंडवाहिनी (single oviduct) में जुड़ी होती हैं।
2. अंडवाहिनी (Oviduct)- यह संकीर्ण और पारदर्शी अंडवाहिनी अंडाशय के लगभग मध्य से निकलती है। यह पाचन ग्रंथि के आंतरिक किनारे के साथ त्वचा के ठीक नीचे आगे की ओर चलती है। वृक्क अंग (renal organ) के पास आते हुए यह नीचे की ओर मुड़ जाती है और फिर ऊपर की ओर receptaculum seminis में खुलती है।
3. रिसेप्टाकुलम सेमिनिस (Receptaculum seminis)- इसमें छोटा, बीन के आकार का receptaculum seminis (या seminal receptacle) होता है जो posterior renal chamber की गुहा के भीतर बंद रहता है, यह गर्भाशय की दीवारों से एक पतली दीवार वाली थैली से वेंट्रल रूप से जुड़ा होता है, जिसे रिसेप्टाकुलम (receptaculum) की थैली कहा जाता है। यह संभोग के दौरान नर घोंघे से प्राप्त शुक्राणुओं को संग्रहीत करने के लिए होता है।
4. गर्भाशय (Uterus)- मादा घोंघे में गर्भाशय बड़ा पीला और नाशपाती के आकार का होता है जो शरीर चक्र में आंत के नीचे और वृक्क कक्ष (renal chambers) के दाईं ओर स्थित होता है। इसका एक चौड़ा और गोल आधारीय भाग होता है जिसमें रिसेप्टाकुलम सेमिनिस (receptaculum seminis) खुलता है। आगे की ओर, गर्भाशय का संकीर्ण नलिकाकार शीर्ष योनि के रूप में आगे बढ़ता जाता है।
5. योनि (Vagina)- योनि (vagina) एक सफ़ेद या क्रीम रंग की, बैंड जैसी ट्यूब होती है जो त्वचा के ठीक नीचे आगे की ओर जाती है। यह अपने right posterior corner से शाखीय गुहा (branchial cavity) में प्रवेश करता है और मलाशय के बाईं ओर से होकर गुजरता है तथा एक छोटे से पैपिला पर स्थित एक संकीर्ण, छिद्रनुमा मादा जननांग छिद्र द्वारा गुदा के थोड़ा पीछे खुलता है।
6. मैथुन संबंधी अंग (Copulatory apparatus)- मादा घोंघे में अल्पविकसित लिंग एक अच्छी तरह से विकसित लिंग-आवरण के भीतर बंद नहीं होता है, बल्कि यह मेंटल की एक glandular fold के नीचे स्थित होता है। यह एक पतली, कशाभिका संरचना होती है जो लगभग 6 मिमी लंबी और मोटाई में एक समान है, लेकिन सिरे पर नुकीली है। इसके भीतरी सतह पर नर घोंघे के लिंग की तरह एक अल्पविकसित खांचा (rudimentary groove) भी होता है।
7. हाइपोब्रान्चियल ग्रंथि (Hypobranchial gland)- मादा की हाइपोब्रांकियल ग्रंथि (Hypobranchial gland) अल्पविकसित होती है, तथा उसमें अल्पविकसित ग्रंथिय मोटाई (rudimentary glandular thickening) होती है।
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